Lord Dhanvantari: आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं धनवंतरि देव, जानिए क्यों की जाती है धनतेरस पर इनकी पूजा
हर साल दिवाली से दो दिन पहले कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, धन कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर के साथ मुख्य देव के तौर पर भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है।
हर साल दिवाली से दो दिन पहले कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है। इसी दिन से दीपोत्सव यानी की दिवाली का पर्व शुरु हो जाता है। इस साल 10 नवंबर 2023 को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन लोग खरीददारी करते हैं। इस दिन सोना, चांदी के सामनों से लेकर पीतल वा तांबे के पात्र भी खरीदे जाते हैं। बता दें कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, धन कोषाध्यक्ष भगवान कुबेर के साथ मुख्य देव के तौर पर भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है।
मान्यता के अनुसार, धनतेरस पर जहां मां लक्ष्मी और कुबेर देव के पूजन से धन-संपदा में वृद्धि होती है, तो वहीं इस दिन धनवंतरि देव की पूजा से आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज हम इस आर्टिकल के जरिए आपको बताने जा रहे हैं कि धनवंतरि देव कौन हैं और धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों की जाती है।
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जानिए कौन हैं धनवंतरी देव
हिंदू धर्म में धनवंतरि देव को भगवान विष्णु का अंश अवतार माना गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, धनवंतरि देव का प्रादुर्भाव समुद्र मंथन से हुआ था। धनवंतरि देव को आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र देवताओं के वैद्य के तौर पर जाना जाता है। धनवंतरि देव को आरोग्यता देने वाला देवता कहा गया है। ऐसे में धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्यता की प्राप्ति होती है।
धनतेरस पर धनवंतरि देव की पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और दानवों के द्वारा जब अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन किया गया था। तो उस दौरान एक-एक कर समुद्र से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। वहीं समुद्र मंथन के बाद सबसे आखिरी में अमृत की प्राप्ति हुई थी। मान्यता के मुताबिक धनवंतरि देव अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर जिस दिन प्रकट हुए। उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी। इसी कारण से धरतेरस यानी की धनत्रयोदशी को भगवान धनवंतरि की पूजा का विधान है।
क्यों करते हैं धनतेरस पर खरीददारी
समुद्र मंथन से जब भगवान धनवंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में कलश था। इसी वजह से धनतेरस के दिन बर्तन आदि खरीदने की परंपरा है। बता दें कि इस दिन खरीदे हुए बर्तनों में लोग दिवाली पर अन्न भरकर रखते हैं। तो वहीं कुछ लोग इन बर्तनों में धनिया के बीज रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने पर अन्न और धन का भंडार भरा रहता है। धनतेरस के दिन खरीदी हुई चीज में तेरह गुना वृद्धि होती है। इसी कारण से धनतेरस के दिन लोग पीतल व तांबे आदि के पात्र खरीदने के साथ ही सोने व चांदी की चीजें खरीदते हैं।
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