Chhath Puja 2023: उगते नहीं बल्कि डूबते हुए सूर्य को दिया जाता है अर्घ्य, जानिए इसके पीछे की वजह
छठ पूजा में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पुराणों में सूर्य को सप्तमी तिथि का स्वामी माना गया है। इस कारण सप्तमी तिथि को सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का व्रत पूरा होता है।
आज यानी की 17 नवंबर 2023 से देश के विभिन्न इलाकों में छठ महापर्व शुरू हो गया है। बता दें कि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। हांलाकि हिंदू धर्म में आमतौर पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। लेकिन छठ पूजा में डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पुराणों में सूर्य को सप्तमी तिथि का स्वामी माना गया है।
इस कारण सप्तमी तिथि को सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पूजा का व्रत पूरा होता है। वहीं षष्ठी तिथि से इस व्रत की शुरूआत होती है। इस दिन गवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन षष्ठी मैय्या की पूजा की जाती जाती। इस कारण इसको छठ व्रत के नाम से जाना जाता है।
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क्यों देते हैं डूबते सूर्य को अर्घ्य
ज्योतिषियों के मुताबिक सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य दिए जाने से जातक का स्वास्थ्य सही रहता है। वहीं दोपहर में अर्घ्य देने से नाम और यश की प्राप्ति होती है। वहीं सूर्य को शाम के समय अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। वहीं मान्यता के अनुसार, शाम के समय भगवान सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्युषा के साख रहते हैं और प्रसन्न भाव में होते हैं। जिसके कारण शाम को अर्घ्य देने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ
मान्यता के अनुसार, शाम के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने से मुकदमे और कानूनी मामलों में फंसे लोगों का फायदा होता है। वहीं अगर कोई छात्र बार-बार किसी परीक्षा में असफल हो रहा है, या फिर किसी को लगातार पेट की समस्या रहती है। उनको शाम के समय सूर्य नारायण को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। शाम को सूर्य देव को अर्घ्य देने से व्यक्ति को समाजिक, मानसिक औऱ आर्थिक समस्याओं से निजात मिलता है।
इस तरह दें अर्घ्य
छठ पूजा के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य देते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। अगर आप विधिवत तरीके से अर्घ्य देते हैं, तो भगवान आपको संपन्नता का आशीर्वाद देते हैं। मान्यताओं के मुताबिक एक बांस के सूप में केला समेत 5 तरह के फल रखें। फिर उसमें गन्ना और प्रसाद रखें। अब पीले रंग के नए पकड़े से सभी फलों को ढक दें। फिर दीपक जलाकर दोनों हाथों से सूप को पकड़ें और तीन बार डुबकी लगाकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दें।
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