Kedarnath-Badrinath के अलावा बिहार में भी है भगवान शिव का धाम, भस्मासुर से छिपने के लिए गुफा में किया था निवास

Gupteshwar Mahadev
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भारत के बिहार राज्य में स्थित गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यह मंदिर बिहार के रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड में स्थित है। यहां पर स्थित शिवलिंग का जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है। भगवान शिव को त्रिदेवों में से एक हैं। भगवान शिव की महिमा अपार है। भगवान शिव के प्रति आस्‍था को देखते हुए अब भारत में स्थित शिव मंदिरों में हमेशा भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे में अगर आप भी भगवान शिव के मंदिर दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो भारत में एक ऐसा शिव मंदिर मौजूद है। जहां पर पहुंचने का रास्ता काफी कठिन है। 

जिस तरह से लोग तमाम मुश्किलों को पार करने के बाद केदारनाथ और बद्रीनाथ दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ठीक उसी तरह से बिहार में भी भगवान शिव का एक अनोखा मंदिर मौजूद है। भोलेनाथ के इस धाम को गुप्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। बता दें कि यह मंदिर बिहार के रोहतास जिले के चेनारी प्रखंड में स्थित है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भगवान शिव के इस अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। 

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गुफा में करते हैं निवास

इस मंदिर की जिस गुफा में भगवान शिव विराजते हैं, वह कितनी पुरानी है। इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। हालांकि इसकी बनावट को देखकर कहा जाता है कि यह गुफा मानवों द्वारा निर्मित है। मान्यता के अनुसार, गुप्ताधाम के मंदिर की गुफा में सिर्फ जलाभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। 

ऑक्सीजन की कमी

जिस तरह से केदारनाथ की यात्रा के दौरान कई लोगों में ऑक्सीजन की कमी देखने को मिलती है। उसी तरह से इस धाम की यात्रा करने के दौरान लोगों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। बताया जाता है कि साल 1989 में ऑक्सीजन की कमी से यहां पर करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन इसके बाद भी यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भोलेनाथ को खुश करने के लिए भस्मासुर तपस्‍या कर रहा था। भस्मासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर भस्मासुर ने कहा कि वह जिस किसी के सिर पर अपना हाथ रखे वह भस्म हो जाए। भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया। तब देवी पार्वती की सुंदरता पर मोहित होकर भस्मासुर ने वरदान की परीक्षा लेने के लिए भगवान शिव के सिर पर हाथ रखना चाहा। इसलिए भगवान शिव को भस्मासुर से बचने के लिए इस गुफा में छिपना पड़ा। यह देख भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर बड़ी ही चतुराई से भस्मासुर का हाथ उसी के सिर पर रखवाकर उसे भस्म कर दिया। 

गंगाजल चढ़ाने की परंपरा

बिहार के ऐतिहासिक गुप्‍तेश्‍वर महादेव में शिवलिंग पर बक्‍सर से गंगाजल लेकर चढ़ाने की पुरानी परंपरा है। खासतौर पर शिवरात्रि के दिन झारखंड, उत्‍तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ व नेपाल से भी लोग यहां पर जलाभिषेक करते हैं।

कठिन है रास्ता

बता दें कि इस गुफा तक पहुंचने का रास्ता काफी मुश्किलों भरा है। जिला मुख्‍यालय सासाराम से 65 किमी की दूरी पर यह गुफा स्थित है। यहां पर पहुंचने के लिए भक्तों को दुर्गावती नदी को पांच बार और पांच पहाड़ियों की यात्रा करनी पड़ती है। उसके बाद महादेव के दर्शन के सौभाग्य प्राप्त होते हैं।

गुफा का रहस्य

इस गुफा के एक रहस्य का आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। दरअसल, गुफा में शिवलिंग के ऊपर हमेशा पानी टपकता रहता है। यह पानी कहां से आता है, इसका आज तक पता नहीं चल पाया है। वहीं यहां पर दर्शन करने आने वाले भक्त इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। सावन, सरस्वती पूजा और महाशिवरात्रि के मौके पर यहां विशाल मेला लगता है।

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