वोट बैंक को साधने के लिए ठीक से नहीं की गई जांच! गांधी परिवार ने राजीव गांधी के हत्यारों को क्यों किया माफ?

By अभिनय आकाश | Feb 15, 2021

अपने पिता के हत्यारे को राहुल ने क्यों बुलेट प्रूफ जैकेट लाकर दी? राजीव गांधी के हत्याकांड की दोषी से मिलकर क्यों फूट-फूट कर रोने लगी प्रियंका? क्यों सोनिया ने राजीव के हत्यारे को नहीं देने दी फांसी? आखिर कैसे प्रधानमंत्री बनने से पहले कर राजीव गांधी ने कर दी थी अपनी मौत की भविष्यवाणी। अपनी हत्या से कुछ ही पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी ने कहा था कि अगर कोई अमेरिका के राष्ट्रपति को मारना चाहता है तो ये कोई बड़ी बात नहीं होगी बशर्ते हत्यारा ये तय कर ले कि मुझे मारने के बदले वो अपना जीवन देने के लिए तैयार है। "अगर ऐसा हो जाता है तो दुनिया की कोई भी ताक़त मुझे बचा नहीं सकती।" 21 मई, 1991 की रात दस बज कर 21 मिनट पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में कुछ ऐसा ही घटित हुआ। तीस बरस की एक छोटे कद की लड़की चंदन का एक हार लेकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तरफ़ बढ़ी। जैसे ही वो उनके पैर छूने के लिए झुकी, एक जोरदार धमाके ने वहां सन्नाटा कर दिया। इस घटना को करीब तीस दशक गुजर चुके हैं। लेकिन कुछ सवाल अभी भी कायम है जिस पर से पर्दा उठना बाकी है। वोट बैंक को साधने की फिराक में क्या ठीक से नहीं की गई जांच? गांधी परिवार ने राजीव के हत्यारों को क्यों माफ कर दिया? तीन दशक बाद राजीव गांधी हत्याकांड फिर से कोई चर्चा में है। पहले तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को सात दोषियों की रिहाई का अनुरोध। फिर केंद्र का देश की सर्वोच्च अदालत को यह कहना कि राजीव गांधी के हत्यारे को क्षमा करने का फैसला लेने में राष्ट्रपति सक्षम। हाल के घटनाक्रमों की एक श्रृंखला ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषियों को सुर्खियों में ला दिया है। 

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22 जनवरी को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि तमिलनाडु के गवर्नर एजी पेरारिवलन की रिहाई पर निर्णय के लिए तैयार थे। इसके बाद 25 जनवरी को राज्यपाल कार्यालय ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को इन सभी दोषियों की क्षमा पर फैसला लेने के लिए छोड़ दिया। और पिछले हफ्ते, केंद्र ने अदालत को बताया कि “केंद्र सरकार को प्राप्त प्रस्ताव के बाद कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। मामले में सात आरोपी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 1999 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनमें से चार को मौत की सजा और अन्य तीन को उम्रकैद की सजा सुनाई। अप्रैल 2000 में राजीव गांधी की पत्नी व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक दोषी नलिनी को मृत्युदंड नहीं देने की अपील की थी। सोनिया गांधी की सिफारिश और तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने 24 अप्रैल 2000 को चमिसनाडु सरकार ने एक दोषी नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को मुरुगन, संथम व पेरारीवालन की दया याचिका 11 साल से लंबित होने के आधार पर उनका मृत्युदंड भी खारिज कर दिया। बता दें कि चेन्नई की टाडा अदालत ने 1998 में 26 आरोपियों को सजा सुनाई थी। लेकिन मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोषी ठहराए गए लोगों में से कोई भी हत्याकांड की टीम का हिस्सा नहीं था और केवल सात की सजा को बरकरार रखा, अन्य सभी को रिहा कर दिया। ऐसे में सात दोषियों पर क्या आरोप लगाया गया था, और वे अब क्या कर रहे हैं, इसके बारे में आपको बताते हैं। 

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अभियुक्त नंबर 1: एस नलिनी

चेन्नई की एक नर्स और पुलिस अधिकारी की बेटी, नलिनी ने एक प्रमुख चेन्नई कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। सात दोषियों में से केवल नलिनी ही राजीव गांधी की हत्या के वक्त श्रीपेरुम्बुदूर में घटना स्थल पर मौजूद थी। बाद में तस्वीरों में राजीव गांधी के आने से पहले नलिनी को कथित हत्यारों के साथ देखा गया था। हत्या के बाद, नलिनी और एक अन्य अभियुक्त मुरुगन ने चेन्नई को छोड़ दिया और एक महीने से अधिक समय तक विभिन्न स्थानों पर छिपकर रहे। नलिनी तब गर्भवती थी। बाद में उसकी एक बेटी पैदा हुई और पाँच साल की उम्र तक जेल में रही। एक अन्य कैदी का परिवार बच्चे को कोयंबटूर ले गया और उसकी स्कूली शिक्षा की देखभाल की। बाद में बच्ची श्रीलंका में मुरुगन की मां के साथ यूके चली गई, जहां अब वह एक डॉक्टर है। जेल से छूटने के बाद नलिनी और मुरुगन अपनी बेटी से कभी नहीं मिले। वे पत्रों के माध्यम से संपर्क में रहे, जेल के मानदंड माता-पिता को अंतरराष्ट्रीय या वीडियो कॉल करने से रोकते हैं। 

अभियुक्त नंबर 2: संथन

श्रीलंकाई नागरिक संथान वेल्लोर सेंट्रल जेल के अंदर एक मंदिर में अनुष्ठान का प्रभारी है। वह कई वर्षों से श्रीलंका में अपने परिवार के साथ संपर्क में नही है और उसके पास अपना मामला उठाने के लिए लीगल टीम भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, हत्या में उनकी भूमिका प्रत्यक्ष और सक्रिय थी। वह शुरू में पेरारिवलन, नलिनी और मुरुगन के साथ मौत की सजा पाने वालों में से एक था। लेकिन बाद में इसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। 

अभियुक्त नंबर 3: मुरुगन

नलिनी ने एक बार याद किया कि मुरुगन श्रीलंकाई युवाओं में से एक था जो देश छोड़कर विदेश भाग जाने की उम्मीद में चेन्नई पहुंचा था। वह उसके भाई का दोस्त था, और उनके घर पर थोड़ी देर रुका था। एक बार, जब नलिनी ने अपनी मां से झगड़ा किया और घर छोड़ दिया, तो मुरुगन ने उसे वापस लाने के लिए हस्तक्षेप किया था। उनकी दोस्ती एक गहरे रिश्ते में तब्दील हुई। नलिनी की शिवरासन के साथ पहली मुलाकात मुरुगन के माध्यम से ही हुई थी। संथान की तरह मुरुगन भी बहुत धार्मिक हो गया और अपनी दाढ़ी बढ़ा ली है। 

अभियुक्त नंबर 4: रॉबर्ट पायस

एक अन्य श्रीलंकाई नागरिक रॉबर्ट पायस सितंबर 1990 में अपनी पत्नी और बहनों के साथ भारत आए थे। ऐसा माना जाता है कि आतंकवादी समूह LTTE के साथ उसके संबंध थे। पायस के भी शिवरासन के साथ घनिष्ठ संबंध के आरोप हैं। जब अदालत ने साजिश में उसकी संलिप्तता पर गौर किया तो पाया गया कि वह एक व्यक्ति था जिसने श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षा बल (IPKF) से अत्याचार का सामना किया था और एक बच्चे को खो दिया था।

अभियुक्त नंबर 5: जयकुमार

पायस की बहन का पति जयकुमार पायस के साथ भारत पहुंचा था। अभियोजन पक्ष ने उस पर शिवरासन के साथ घनिष्ठ संबंध का हवाला देते हुए हत्या में गंभीर रूप से शामिल होने का आरोप लगाया।

अभियुक्त नंबर 6: रविचंद्रन

एक भारतीय नागरिक है जो 1980 के दशक में तमिल ईलम आंदोलन के करीब था, रविचंद्रन ने कहा कि सशस्त्र समूह के गठन से पहले लिट्टे नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे। अभियोजन के आरोपों में कहा गया है कि रविचंद्रन शिवरासन को भी जानते थे और 1980 के दशक के मध्य में समुद्र के रास्ते श्रीलंका गया था। हालांकि, रविचंद्रन के खिलाफ साजिश के आरोपों को 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। टाडा प्रावधानों को भी निलंबित कर दिया था। रविचंद्रन को मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी माँ द्वारा दायर याचिका पर पिछले महीने 15 दिनों की पैरोल दी थी।

अभियुक्त संख्या 7: पेरारिवलन

पेरारिवलन उर्फ ​​अरिवु 19 साल का था जब उसे जून 1991 में गिरफ्तार किया गया था। उस पर शिवरासन के लिए दो बैटरी सेल खरीदने का आरोप था। जांच के दौरान सबूत के तौर पर 7 मई, 1991 को शिवरासन द्वारा श्रीलंका में एलटीटीई के नेता पोट्टू अम्मान को भेजा गया एक रेडियो संदेश डिकोड किया गया था। हालांकि नलिनी और रविचंद्रन सहित कई अन्य के खिलाफ साजिश के आरोपों को उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था। 

राहुल गांधी ने अपने पिता के हत्यारे को बुलेटप्रूफ जैकेट लाकर क्यों दी

अपने अंतिम क्षणों में राजीव गांधी के मन में क्या चल रहा था। ये ऐसा सवाल है जिसका जवाब उसी के पास हो सकता है जो उस घड़ी में उनके साथ हो। वरिष्ठ पत्रकार नीना गोपाल ने अपनी किताब द असैसिनेशन ऑफ राजीव गांधी में इस बात का खुलासा किया था। किताब के अनुसार नीना गोपाल वह आखिऱी शख्स थी जो हादसे के ठीक पहले राजीव गांधी के साथ उनकी एंबेसडर कार में मौजूद थी। जिसमें सवाल होकर राजीव रैली में शरीक होने पहुंचे थे। नीनी गोपाल ने अपनी किताब में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण को राजीव गांधी की तरफ से दिए गए एक खास तोहफे का भी जिक्र किया है। जुलाई 1987 को दिल्ली के 10 जनपथ में राजीव गांधी के निवास पर एक बैठक हो रही थी। उस बैठक में राजीव गांधी के ठीक सामने लिट्टे का कमांडर प्रभाकरण बैठा था। दिल्ली के अशोका होटल में ठहरे प्रभाकरण को खुफिया निगरानी में राजीव गांधी के समक्ष लाया गया था। प्रभाकरण ने कहा कि श्रीलंता सरकार पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। राजीव गांधी ने कहा कि वह तमिलों के हितों के लिए काम कर रहे हैं। अंतत: प्रभाकरण भारत- श्रीलंका समझौते को एक मौका देने के लिए तैयार हो गए। जिससे राजीव गांधी बेहद ही खुश हुए। उन्होंने तुरंत प्रभाकरण के लिए खाना मंगवाया। खाना खाने के बाद प्रभाकरण जब वहां से रवाना होने लगे तो राजीव गांधी ने राहुल गांधी को बुलाया और अपना बुलेट प्रूफ जैकेट लाने को कहा। प्रभाकरण को जैकेट देते हुए राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा कि आप अपना ख्याल रखिएगा। 

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 गांधी परिवार ने नलिनी को माफ करने का किया फैसला

साल 1999 में गांधी परिवार की ओर से राजीव गांधी हत्याकांड की दोषी नलिनी को माफ करने का निर्णय लिया गया। 18 नवंबर 1999 को सोनिया गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायमन को बुलाकर कहा कि वो और उनके बच्चे नलिनी को माफ किए जाने की अपील करते हैं। सोनिया गांधी की बात सुनकर केआर नारायणन सन्न रह दए। ये वो वक्त था जब वेल्लौर जेल में नलिनी को फांसी दिए जाने की तैयारी चल रही थी और नलिनी के परिवार ने लगभग सारी उम्मीदें छो़ड़ दी थी। केआर नारायणन को दया याचिका के लिए बेहद मशक्कत का सामना करना पड़ा क्योंकि सोनिया गांधी इस खबर को मीडिया के सामने आने देने के पक्ष में नहीं थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उस वक्त राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष मोहिनी गिरी की वजह से ये बात बाहर आ गई। सोनिया गांधी ने ही उनसे केआर नारायणन से मुलाकात की बात शेयर की थी। बात को दबाए रखने के लिए एनजीओ गिल्ड ऑफ सर्विस ने नलिनी की दया याचिका लगाई गई जिससे खुद केआर नारायणन जुड़े थे। कहा जाता है कि नलिनी को माफ करने के मुद्दे पर 10 जनपथ में कई बार सोनिया, प्रियंका और राहुल के बीच बातचीत हुई। मुरुगन से शादी के बाद नलिनी ने एक बेटी को जन्म दिया था और जिस वक्त उसे फांसी देने की तैयारी चल रही थी उसकी बेटी साल साल की थी। उस दौरान नलिनी के मुद्दे पर चर्चा के दौरान प्रियंका का कहना था कि कोई भी कार्रवाई की वजह से किसी बच्चे को अनाथ नहीं होना चाहिए। राहुल भी प्रियंका के इस बात से सहमत थे। जिसके बाद गांधी परिवार ने यह तय किया कि अगर नलिनी को फांसी हो गई तो परिवार को किसी तरह का सुकून हासिल नहीं होगा। 

नलिनी से मिलकर रोने लगी प्रियंका

नलिनी ने जेल में राजीव गांधी: हिडेन ट्रुथ एंड प्रियंका नलिनी मीटिंग नामक किताब लिखी। इस किताब में नलिनी ने प्रियंका से मुलाकात के बारे में लिखा था। नलिनी ने लिखा था कि उनसे मुलाकात के वक्त प्रियंका फूट-फूट कर रो रही थी। प्रियंका ने नलिनी से पूछा कि तुमने ऐसा क्यों किया? मेरे पिता एक अच्छे इंसान थे, एक नरमदिल इंसान। अगर तुम्हें कोई समस्या थी तो तुम उनके साथ बात करके सुलझा सकती थी। नलिनी ने अपनी किताब में लिखा है कि उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी कि प्रियंका गांधी इस तरह से रोने लगेंगी। 

वोट बैंक को साधने के लिए ठीक से नहीं की गई जांच

राजीव गांधी की हत्या से पहले कई सबूत हाथ लगने के बावजूद तमिलनाडु के प्रशासन ने इसकी जांच सही से नहीं की थी। मामले के मुख्य जांचकर्ता पूर्व आईपीएस अमोद कंठ ने अपनी किताब खाकी इन डस्ट स्टाॅर्म में दावा किया कि लिबरेशन ऑफ टाइगर्स ऑफ तमिल ऐलम के प्रति सहानभूति रखने वाले तमिल वोटरों के तुष्टिकरण के लिए इन सबूतों को नजरअंदाज किया गया। पूर्व आईपीएस की किताब में लिखा कि उस वक्त के डिप्टी इंसपेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ऑफ सीबीआई ने राजीव गांधी हत्याकांड की जांच की थी। राज्य सरकार की ओर से मामले की जांच सही से नहीं की गई। 

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प्रधानमंत्री बनने से पहले कर दी थी अपनी मौत की भविष्यवाणी

इंदिरा गांधी के प्रधान सचिव रहे पीसी एलेक्जेंडर ने अपनी किताब ‘माई डेज विद इंदिरा गांधी’ में लिखा है कि ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट के गलियारे में सोनिया और राजीव आपस में किसी बात को लेकर झगड़ रहे थे। राजीव सोनिया को बता रहे थे कि “पार्टी उन्हें प्रधानमंत्री बनाना चाहती है।” सोनिया का जवाब बिल्कुल अप्रत्याशित था। सोनिया ने राजीव को जवाब दिया कि “नहीं हरगिज नहीं, वो तुम्हें भी मार डालेंगे।” उसके प्रत्युत्तर में राजीव ने कहा कि “मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, मैं वैसे भी मारा जाऊंगा। और इसके कुछ ही घंटों बाद शाम के लगभग 6:45 बजे राजीव गांधी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हैं। सात साल बाज राजीव गांधी के ये शब्द सच हो गए।- अभिनय आकाश