By अंकित सिंह | Jan 09, 2023
धर्मांतरण को लेकर आज एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। दरअसल, देश भर में जबरन धर्म परिवर्तन फिलहाल बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। कुछ राज्यों में इसके खिलाफ कानून जरूर बने हैं। लेकिन यह लगातार कई राज्यों में फैल चुका है। इसीलिए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से एक सख्त कानून बनाने की मांग की गई है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर से सुनवाई हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने आज भी जबरन और धोखे से कराए जा रहे धर्मांतरण पर चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि देश भर में हो रहे ऐसे मामलों से हम चिंतित हैं और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
इसके साथ ही कोर्ट ने छलपूर्ण धर्मांतरण को रोकने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह करने वाली याचिका पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी की मदद मांगी। न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने वेंकटरमणी से उस मामले में पेश होने के लिए कहा, जिसमें याचिकाकर्ता ने भय, धमकी, उपहार और मौद्रिक लाभ के जरिए धोखाधड़ी के माध्यम से कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने का आग्रह किया है। इससे पहले 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। उस समय भी सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा था कि धर्म चुनने का अधिकार सभी को है लेकिन धर्मांतरण करवाना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सुनवाई की शुरुआत में, तमिलनाडु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने याचिका को राजनीतिक रूप से प्रेरित जनहित याचिका कहा। उन्होंने कहा कि राज्य में इस तरह के धर्मांतरण का कोई सवाल ही नहीं है।
हालांकि, पीठ ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि आपके इस तरह उत्तेजित होने के अलग कारण हो सकते हैं। अदालती कार्यवाही को अन्य चीजों में मत बदलिए।... हम पूरे राज्य के लिए चिंतित हैं। यदि यह आपके राज्य में हो रहा है, तो यह बुरा है। यदि नहीं हो रहा, तो अच्छा है। इसे एक राज्य को लक्षित करने के रूप में न देखें। इसे राजनीतिक मुद्दा न बनाएं। अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें छलपूर्ण धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। शीर्ष अदालत ने हाल ही में कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर सकता है। इसने केंद्र से बेहद गंभीर मुद्दे से निपटने के लिए गंभीर प्रयास करने को कहा था। अदालत ने चेतावनी दी थी कि अगर धोखे, प्रलोभन और भय-धमकी के जरिए कराए जाने वाले धर्मांतरण को नहीं रोका गया तो ‘‘बहुत मुश्किल स्थिति’’ पैदा हो जाएगी।