SBI ने SC से मांगी 30 जून की मोहलत, कांग्रेस ने इसे लोकसभा चुनाव से जोड़ा, Electoral Bonds का क्या है पूरा मामला?

By अभिनय आकाश | Mar 05, 2024

मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी बांड योजना को अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक बताया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बैंक को ढाल की तरह इस्तेमाल कर रही है। चुनावी बांड विवरण का खुलासा करने के लिए अधिक समय की मांग करने वाली भारतीय स्टेट बैंक की सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर प्रतिक्रिया करते हुए कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर अपने कथित संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए बैंक का उपयोग करने का आरोप लगाया।

एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अर्जी 

सुप्रीम कोर्ट में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (सीबीआई) की ओर से अर्जी दाखिल कर रहा गया है कि इलेक्ट्रोरल बॉण्ड के मामले में जानकारी देने के लिए उन्हें 30 जून तक का वक्त दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉण्ड स्कीम को खारिज कर दिया था और एसबीआई को निर्देश दिया था कि वो इसके बारे में जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग के सामने पेश करें। एसबीआई ने अर्जी में कहा कि बॉण्ड देने वालों की पहचान गुप्त रखी जाए इसके लिए कड़े कदम उठाए गए थे। इस वजह से चुनावी बॉण्ड को डिकोड करना और दान देने वालों के दान का मिलान करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। कोई सेंट्रल डेटाबेस नहीं रखा गया था। ऐसा तय करने के लिए किया गया था कि डोनर की पहचान को गुप्त रखा जा सके। आवेदन में कहा गया है कि 12 अप्रैल 2019 से लेकर 15 फरवरी 2024 के बीच 22,217 इलेक्टोरल बॉण्ड जारी किए गए हैं। यह वॉण्ड अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों को डोनेशन के लिए जारी हुए हैं। इन्हें मुंबई स्थित शाखा में डिपॉजिट किया गया था। उसे डिकोड और तैयार करना है। इस तरह 44,434 सेट की जानकारी चाहिए। 

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कांग्रेस ने जताई आपत्ति 

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एसबीआई को चुनावी बांड पर अपनी चालाकी से बच निकलने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। आम चुनाव से पहले लोगों को पता होना चाहिए कि किसने किससे क्या प्राप्त किया और क्या इसमें प्रथम दृष्टया कोई बदले की भावना शामिल थी? एक्स पर एक पोस्ट में राहुल गांधी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी ने 'चंदा कारोबार' को छुपाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनावी बांड के बारे में सच्चाई जानना देश के लोगों का अधिकार है, तो फिर एसबीआई क्यों नहीं चाहता कि यह जानकारी चुनाव से पहले सार्वजनिक की जाए? 

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