By अंकित सिंह | Jan 13, 2024
लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान में महज डेढ़ से 2 महीने का वक्त बचा है। लेकिन राजनीतिक दल अभी से ही अपनी चुनावी तैयारी को धार देने की कोशिश में जुट गए हैं। इस बार मुख्य मुकाबला विपक्षी इंडिया गठबंधन और वर्तमान की सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के बीच होने की संभावना है। भाजपा और नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए 28 से ज्यादा दल एक मंच पर साथ आए हैं। इन दलों ने भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार उतारने की बात की है। यही कारण है कि धुर विरोधी रहने वाले राजनीतिक दल भी एक मंच पर आकर भाजपा के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं।
इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में भी एक बड़े गठबंधन की कवायत कांग्रेस की ओर से शुरू की जा रही है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पहले ही इंडिया गठबंधन के हिस्सा है। लेकिन अब इसमें मायावती को जोड़ने की कोशिश की जा रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में इंडिया साझेदार के रूप में मायावती को भी गठबंधन में शामिल करना चाहती हैं। हालांकि कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौतियां है कि समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच बातचीत पूरी तरीके से बंद है और दोनों ही पार्टियों के बीच एक बार फिर से मन मुटाव अपने चरम पर है। लेकिन कांग्रेस को उम्मीद है कि जब यह दोनों पार्टी अपनी पुरानी दुश्मनी को भुलाकर 2019 में एक साथ आ सकते हैं। तो इस बार भी उसे कामयाबी मिल सकती है। यही कारण है कि मायावती के जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस के कई नेता उनसे मुलाकात कर सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि पार्टी नेता इस दौरान कांग्रेस आलाकमान का संदेश मायावती को दे सकते हैं।
मायावती को साथ लाने में कांग्रेस का एक प्लान भी है। अगर समाजवादी पार्टी कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने में उत्तर प्रदेश में नखरे दिखाती है तो ऐसे में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर कांग्रेस चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। मायावती की भी स्थिति पहले इतनी मजबूत नहीं है। ऐसे में दोनों दल समय की मांग को ध्यान में रखते हुए गठबंधन में आ भी सकते हैं। हालांकि, मायावती लगातार भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाकर रखना जानती है। हाल में ही जब उनकी पार्टी के सांसद दानिश अली ने कांग्रेस से नजदीकी बढ़ाई थी तो उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। ऐसे में कांग्रेस नेताओं के संदेश को मायावती कितना स्वीकार करेंगी, यह तो वक्त ही बताएगा।