हिन्दी मंथ का समापन समारोह (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Sep 30, 2023

आज जब हिंदी का परचम विश्व में अनेक मंचों पर ऊंचा लहरा रहा है, मुझे हिंदी मंथ का, शानदार ढंग से आयोजित पुराना समारोह ज़ोर से याद आ रहा है।

 

मुख्य अतिथि का स्वागत पढ़कर किया गया ताकि उन्हें और स्वागतकर्ता को हिंदी में परेशानी न हो। वार्षिक पत्रिका का विमोचन हड़बड़ी में निबटाया गया। जल्दी में छपवाई बेचारी पत्रिका का केवल मुखपृष्ठ, मुश्किल से बाहर निकाला। मंच से यह राज़ खोला गया कि हिन्दी को सही ढंग से प्रोत्साहन देने के लिए हर साल पुरस्कार दिए जाते हैं। एक शरारती श्रोता बोला, ‘हिन्दी इज़ लैंग्वेज ऑफ़ पुअर लोग’। मंच संचालिका ने आयोजन को रूहानी कार्यक्रम बताया लेकिन दर्जनों रोमांटिक शेर पेश किए। अनेक श्रोताओं ने मज़े से नींद पूरी की। कार्यक्रम के दौरान बताया कि राजधानी से सरकारी तोप आ रही हैं जो हिन्दी प्रयोग और विकास बारे सलामी लेंगी।

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ग़ज़ल गायक आए, उन्होंने गज़ल में प्रयोग हो रहे राग बारे, अंग्रेज़ी में इतमिनान से समझाया और ग़ज़ल पेश करने की ज़हमत उठाई। युवा नर्तकी तराना पेश करने लगी तो पुरानी सीडी ने चलने के लिए बार बार मना किया।  मंच से घोषणा हुई, तकनीकी व्यव्धान बारे खेद है, इसके सामने हम सभी बेबस हो जाते हैं। हर वर्ष की तरह, हिन्दी के दोहे, पद, गीत व कविताएं किसी को याद नहीं रही। मुश्किल से की गई मेहनत से, आयोजित हो सकने वाले इस विशेष वार्षिक कार्यक्रम में कैसे प्रवेश पाती । बेचारी बेबसी, हिंदी से भी बड़ी होती है। 


सितम्बर महीने के दौरान हिंदी सेवा के लिए की गई प्रतियोगिताओं के पुरस्कार, कई दिग्गज अतिथियों ने मिल कर निबटाए। मुख्य अतिथि ने वक्तव्य, हिंदी में पढ़कर सुनाया और उन्हें पढ़ते पढ़ते ही पता चला कि उन्होंने क्या कहना था और सामने बैठे ठालों ने क्या सुनना था। देश की राजधानी से पधारी तोप टाइप उच्चाधिकारी ने, समापन भाषण हिन्दी में शुरू किया, विचार प्रकट नहीं बल्कि लगभग निर्देश दिए कि सरकारी बोलचाल व कामकाज सरल हिन्दी में ही होना चाहिए लेकिन उन्होंने अंग्रेजी बोलने की पटरी आराम से पकड़ ली। 


उन्होंने नौकरशाही की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक परम्परा अनुसार, हाल में बैठे कर्मचारियों, अधिकारियों के साथ श्रोताओं की भी क्लास ले डाली। कर्मचारियों की बोलती बंद रहनी ही थी, बेचारे पुरस्कार विजेता, हिन्दी प्रेमी, श्रोता व अन्यों ने वही रस पिया। पुरस्कार वितरण समारोह को, ‘आफिशियल मीटिंग’ में परिवर्तित होते देख कुछ बंदे अंग्रेज़ी में सख्त नाराज़ हो गए।

 

इस यादगार कार्यक्रम का सबसे स्वादिष्ट हिस्सा रहा, खूबसूरत हरे, पहाड़ी लॉन में परोसे चाय, पकौड़े व गुलाब जामुन, जो खूब सारी अंग्रेजी बोलते हुए खाए गए क्यूंकि हिंदी मंथ समापन समारोह तो संपन्न हो चुका था।


- संतोष उत्सुक

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