World Mental Health Day : मानसिक बीमारी की शीघ्र पहचान होना है जरूरी

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मानसिक बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया जाता है। कोरोना महामारी के बाद कई लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा है, जिसका असर देखने को मिल जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक बीमारी का शीघ्रता से पता कर इसका इलाज शुरू करना चाहिए।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए और अधिक मनोचिकित्सकों के अलावा एक सहायता प्रणाली विकसित करने की जरूरत पर बल दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी हैं। 

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि यह समस्या तेजी से बढ़ी है और कोविड-19 महामारी ने इस विषय को चर्चा के केंद्र में लाने में अहम भूमिका निभाई है। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा ने कहा कि हालांकि कोविड-19 ने मानसिक स्वास्थ्य के विषय को चर्चा के केंद्र में लाने में योगदान दिया, लेकिन मौजूदा संकट महामारी से पहले ही पनपना शुरू हो गया था। 

मुतरेजा ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, लेकिन इनसे निपटने के लिए हमारा बुनियादी ढांचा बहुत ही अपर्याप्त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2017 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि भारत में लगभग 9,000 मनोचिकित्सक हैं, जो प्रति एक लाख लोगों पर 0.75 प्रतिशत के बराबर है। 

डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि इस संबंध में आदर्श अनुपात प्रति एक लाख लोगों के लिए तीन मनोचिकित्सक हैं। इसी तरह, भारत में प्रति 10,000 लोगों पर 1.93 मानसिक स्वास्थ्य संबंधी पेशेवर हैं, जबकि वैश्विक औसत 6.6 है, पूनम मुतरेजा ने कोविड-19 महामारी को लोगों की जिंदगी में अनिश्चितताओं और आर्थिक मंदी जैसी चुनौतियों को पैदा करने वाला करार देते हुए कहा कि इसका सबसे अधिक असर महिलाओं, युवाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों पर पड़ा है। 

उन्होंने कहा कि स्कूलों के बंद होने, महिलाओं के लिए घरेलू कार्यों में इजाफा होने, लोगों की नौकरी जाने और आय प्रभावित होने से घरेलू हिंसा में भी काफी इजाफा हुआ है। मुतरेजा ने कहा कि गंभीर मानसिक रोग के रोगी नियमित देखभाल पर निर्भर होते हैं। कई लोगों के लिए जिन्हें इस तरह की निरंतर देखभाल की आवश्यकता होती है, लॉकडाउन उनके लिए विनाशकारी था। हालांकि, मानसिक बीमारियों से पीड़ित लोगों की जिंदगी पर लॉकडाउन का कितना असर पड़ा, इस संबंध में अब तक व्यापक आंकड़ें उपलब्ध नहीं हो सके हैं।

वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और इस संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। वर्ष 2022 की डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि लोगों में चिंता और अवसाद में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। फोर्टिस हेल्थकेयर में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के निदेशक डॉ समीर पारिख ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से निपटने के कुछ तरीके सुझाए।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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