ट्विटर को खरीदने के लिए क्यों बेताब हैं मस्क, अधिग्रहण नहीं होगा आसान, बोर्ड ने लिया Poison pill का सहारा
व्यापार की दुनिया में में प्वाइजन पिल नामक एक टर्म है। ये एक तरह की रणनीति है। इस टर्म को ट्विटर बोर्ड की तरफ से एलन मस्क की ट्विटर को खरीदने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए अपनाया है। जिसकी वजह से मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदना असंभव तो नहीं लेकिन बेहद महंगा जरूर हो जाएगा।
दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क जिनके पास टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनिया हैं। उस एलन मस्क ने अब ट्विटर पर दावा बोल दिया है। 13 अप्रैल को सोशल मीडिया की दुनिया में उस वक्त हलचल मच गई जब एलन मस्क ने शाम को ट्विटर पर एक पोस्ट डाला। एलन मस्क लोकप्रिय सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को खरीदने के लिए भारी रकम देने को तैयार हैं। उन्होंने कंपनी के हरेक शेयर के लिए 54.20 डॉलर देने की पेशकश की है। इस हिसाब से कंपनी की वैल्यू 43 अरब डॉलर बैठती है। मस्क इससे पहले ही ट्विटर में 9.2 फीसदी हिस्सेदारी खरीद चुके हैं। मस्क का कहना है कि अगर उनका ऑफर नहीं माना गया तो निवेश पर नए सिरे से विचार कर सकते हैं। ट्विटर पर कब्जा करने के प्रयासों के मद्देनजर अब माइक्रोब्लॉगिंग साइट ने खुद को बचाने के लिए एक 'प्वाइजन पिल' योजना को अपनाया है।
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ट्विटर को खरीदने के लिए क्यों बेताब हैं मस्क
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ट्विटर में ऐसा क्या है कि उसे मस्क खरीदना चाहते हैं। मस्क ट्विटर की ताकत को समझते हैं और अपनी बात कहने के लिए इसका खूब इस्तेमाल करते हैं। इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके 8.1 करोड़ फॉलोअर्स हैं। उनके एक ट्विट से क्रिप्टोकरेंसीज की कीमत में भारी उतार-चढ़ाव आ सकता है। मार्च 2021 में एलेन मस्क ने कहा था कि टेस्ला बिटक्वाइन स्वीकार करना शुरु कर देगी। लोगों ने सोचा की बिटक्वाइन की डिमांड बढ़ने वाली है और लोगों ने इसे खरीदना शुरू कर दिया। बिटक्वाइन का रेट भी बढ़ने लगा। बिटक्वाइन एलेन मस्क के ऐलान से पहले 60 हजार डॉलर पर था वो 30 हजार डॉलर पर आ गया। मस्क ने इसके साथ ही एक नया सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने का आइडिया भी दिया है।
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प्वाइजन पिल रणनीति है क्या
व्यापार की दुनिया में में प्वाइजन पिल नामक एक टर्म है। ये एक तरह की रणनीति है। इस टर्म को ट्विटर बोर्ड की तरफ से एलन मस्क की ट्विटर को खरीदने की कोशिशों को नाकाम करने के लिए अपनाया है। जिसकी वजह से मस्क द्वारा ट्विटर को खरीदना असंभव तो नहीं लेकिन बेहद महंगा जरूर हो जाएगा। शेयरधारकों का ये राइट्स प्लान तभी लागू हो जाएगा जब कोई व्यक्ति, ग्रुप या संस्था ट्विटर के आउटस्टैंडिंग कॉमन स्टॉक्स के 15 फीसदी शेयर खरीदने की कोशिश करेगा। ट्विटर बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि राइट्स प्लान इस तरह की किसी भी संभावना को कम करेगा कि किसी भी संस्था, व्यक्ति, समूह के शेयरधारकों को उचित नियंत्रण प्रीमियम का भुगतान किए बिना खुले बाजार से कंपनी पर नियंत्रण करने की कोशिश करे। इस राइट्स प्लान का मुख्य लक्ष्य मस्क या किसी भी अन्य निवेशकों के लिए कंपनी पर नियंत्रण को और मुश्किल बनाना है।
कई बेहतरीन उदाहरण मौजूद
प्वाइजन पिल्स का विकल्प पिछली सदी के 80 के दशक में बहुत पॉपुलर हुआ था जब पब्लिक कंपनियों को कब्जे में करने की कोशिशें होती थी। इसके इस्तेमाल को दिग्गज सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल और पीपुलसॉफ्ट के बीच की लड़ाई के सहारे से समझ सकते हैं। जब बिजनेस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी ओरेकल ने एक छोटे प्रतिद्वंद्वी पीपुलसॉफ्ट को जून 2003 में 510 करोड़ डॉलर का ऑफर दिया था। जिसके बाद दोनों ही कंपनियों के बीच करीब 18 महीने तक लड़ाई चली। पीपुलसॉफ्ट ने खुद को बचाने के लिए न सिर्फ प्वाइजन पिल का इस्तेमाल किया बल्कि एक कस्टमर एश्योरेंस प्रोग्राम भी तैयार किया। प्वाइजन पिल के जरिये बोर्ड को ढेर सारे नए शेयर जारी करने का अधिकार मिला। जिसके बाद कस्टमर एशयोरेंस प्रोग्राम के माध्यम से ग्राहकों से दो साल के भीतर कंपनी के बिकने की सूरत में सॉफ्टवेयर लाइसेंस की कीमत का पांच गुना भुगतान करने का वादा किया गया। पीपुलसॉफ्ट को खरीदने के लिए 80 करोड़ की देनदारी मिलती है। डिफेंस स्ट्रेटजी के चलते शेयरधारकों को फायदा मिला और ओरिजिनल बोली के दोगुने से अधिक 1110 करोड़ डॉलर में सौदा पूरा हो सका।
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