मौसम की तरह ही अनुभवों का कलेवर है नववर्ष

New year
ANI

मौसम के विभिन्न रूप विभिन्न फसलों को नया रूप प्रदान करते हैं। पिछला वर्ष प्रत्येक दिन के परिस्थितियों का संकलन होता है। नववर्ष परिस्थितियों की समाप्ति और अनुभवों की प्राप्ति का दिन होता है। बीते वर्ष की घटनाओं/परिस्थतियों से अनुभव लेकर हम नव वर्ष में प्रवेश करते हैं।

नववर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। नववर्ष उत्सव 4,000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। ईसा पूर्व 45 वें वर्ष में रोम के शासक जूलियस सीजर ने जूलियन कैलेंडर की स्थापना की थी। इसी जूलियन कैलेंडर के अनुसार विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है। चैत्र हिंदू पंचांग का पहला मास है। इसी महीने से भारतीय नववर्ष आरम्भ होता है। वर्ष 2023 में चैत्र महीना 22 मार्च से प्रारम्भ होगा। इस्लामिक कैलेंडर का नया साल मुहर्रम होता है। इस्लामी कैलेंडर एक पूर्णतया चन्द्र आधारित कैलेंडर है जिसके कारण इसके बारह मासों का चक्र 33 वर्षों में सौर कैलेंडर को एक बार घूम लेता है। प्रत्येक दिन जीवन को जीने के प्रति अनुकूल बनाता है। प्रत्येक दिन की शुरुआत सूर्योदय और अंत सूर्यास्त से होता है। सृष्टि प्रत्येक दिन को संवारती है। प्रकृति सृष्टि के निर्माण का कारक है। सृष्टि नवीनता का द्योतक है। जाड़ा (ठंडी), गर्मी बरसात, पतझड़ आदि घटनाएं नवीनता को जन्म देती हैं। 

मौसम के विभिन्न रूप विभिन्न फसलों को नया रूप प्रदान करते हैं। पिछला वर्ष प्रत्येक दिन के परिस्थितियों का संकलन होता है। नववर्ष परिस्थितियों की समाप्ति और अनुभवों की प्राप्ति का दिन होता है। बीते वर्ष की घटनाओं/परिस्थतियों से अनुभव लेकर हम नववर्ष में प्रवेश करते हैं। परिस्थतियों का अनुभव ही हमे आने वाले कल के लिए तैयार करता है। हमारे अनुभव बीते हुए कल से आने वाले कल को सार्थक बनाता है। अनुभव से सीख जीवन को जीवंतता प्रदान करती है। बीता हुआ कल हमारे परिस्थितियों का अंत होता है। आने वाला कल अनुभवों की प्राप्ति का होता है। कहने का तात्पर्य है कि बीते हुए अनुभवों से जो हम सीखते हैं उसे ही आने वाला कल कहते हैं। यही आने वाला कल, नववर्ष है। सामाजिक सामंजस्यता नववर्ष को प्रगाढ़ता प्रदान करेगा। नववर्ष में सामाजिक सामंजस्यता को बनाए रखने के लिए न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करना होगा। प्रमाणों के आधार पर किसी निर्णय पर पहुँचना ही न्याय है। 

इसे भी पढ़ें: नया साल आया है, नया सवेरा लाया है (कविता)

नववर्ष में गरीब तथा समाज के कमजोर वर्ग के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता की व्यवस्था अधिक से अधिक हो। न्यायिक निर्णय कम से कम समय में दिए जाएं। इससे अपराध में कमी आएगी। न्यायपालिका अपने निर्णयों से राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाती है। नव वर्ष में सभी को न्याय मिले। नववर्ष सकारत्मकता का प्रतीक है। यह जीवन को नई राह देता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव आते हैं। इस दिन हमे अपने आप से कोई न कोई अच्छा काम करने का संकल्प करना चाहिए। यह संकल्प अन्धकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर ले जाने वाला एवं राष्ट्रहित में होना चाहिए। बौद्ध दर्शन का एक सूत्र वाक्य है- ‘अप्प दीपो भव’ अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो। आप खुद तो प्रकाशित हों ही, लेकिन दूसरों के लिए भी एक प्रकाश स्तंभ की तरह जगमगाते रहो। विश्व पटल पर भारत की संस्कृति व सभ्यता की गरिमा बनी रहे। इस नव वर्ष में आप अपने को नवीनता से भरें और और प्रकृति के प्रति आदर भाव को बरकरार रखें। प्रकृति के प्रति सम्मान, सृष्टि को सार्थक बनाता है। अतएव हम कह सकते हैं कि परिस्थितियों का अंत ही अनुभव की प्राप्ति है। अतएव नववर्ष अनुभवों का कलेवर है। 

- डॉ. शंकर सुवन सिंह

वरिष्ठ स्तम्भकार एवं विचारक/ सीनियर ब्लॉगर

असिस्टेंट प्रोफेसर

कृषि विश्वविद्यालय,प्रयागराज (यू.पी.)

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़