Dating Apps: 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय डेटिंग ऐप्स का करते हैं इस्तेमाल, कोरोना के बाद युवाओं में बढ़ा क्रेज, आफताब-श्रद्धा मामले ने इसे चर्चा में ला दिया
वर्तमान दौर में यंग जेनरेशन के लड़के-लड़कियों की जिंदगी के अकेलापन, राइट स्वैप, लेफ्ट स्वैप में ही बीत रहा है। आफताब पूनावाला और श्रद्धा वाकर दिल्ली जाने से पहले मुंबई में एक डेटिंग ऐप बंबल के जरिए मिले थे।
डेटिंग एप से परवान चढ़ा प्यार, फिर लिव इन रिलेशनशिप से होता हुआ बर्बर हत्या के साथ समाप्त हुआ, चर्चित श्रद्धा मर्डर केस की कहानी के यही 3 पड़ाव हैं। अक्सर हम कई फिल्मों में देखते हैं दोस्त या रिश्तेदार की शादी और लड़का और लड़की की पहली मुलाकात, तकरार फिर धीरे-धीरे प्यार और फिर दोनों की नई लव लाइफ की शुरुआत हो गई। लेकिन वर्तमान दौर में युवाओं में डेटिंग ऐप्स बहुत फेमस हैं। लड़का और लड़की एक दूसरे से मिलने के लिए डेटिंग एप्स का इस्तेमाल अक्सर करते हैं और प्ले स्टोर पर इसके ढेरों ऑप्शन्स उपलब्ध हैं। आलम ये है कि वर्तमान दौर में यंग जेनरेशन के लड़के-लड़कियों की जिंदगी के अकेलापन, राइट स्वैप, लेफ्ट स्वैप में ही बीत रहा है। आफताब पूनावाला और श्रद्धा वाकर दिल्ली जाने से पहले मुंबई में एक डेटिंग ऐप बंबल के जरिए मिले थे।
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दिल्ली पुलिस प्रोफाइल की जानकारी मांग सकती
दिल्ली पुलिस बंबल से आरोपी आफताब की प्रोफाइल की जानकारी मांग सकती है ताकि उससे मिलने गई दूसरी महिला का पता लगाया जा सके। जैसे-जैसे भीषण हत्याकांड के चौंका देने वाले तथ्य सामने आए, डेटिंग ऐप्स का स्याह पक्ष सामने आ गया। ऐसे ऐप पर मिलने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर प्रासंगिक प्रश्न उठाए जा रहे हैं। मनोवैज्ञानिक डॉ श्वेता शर्मा ने कहा कि अकल्पनीय घटना ऑनलाइन डेटिंग ऐप के उपयोगकर्ताओं के बीच भय और अविश्वास को बढ़ाने का काम कर सकती है। भले ही इस तरह की आशंकाएं निराधार नहीं हैं, लेकिन इस तथ्य से कोई इनकार नहीं है कि डेटिंग ऐप्स पर सुरक्षित रहने के लिए बस कुछ हद तक एहतियात की जरूरत है।
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दोनों पक्ष
यह पहली बार नहीं है जब ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स सोशल रडार पर आए हो। नेटफ्लिक्स पर आए टिंडर स्विंडलर नामक डॉक्यूमेंट्री ऑनलाइन डेटिंग के अंधेरे पक्ष पर प्रकाश डालने का काम किया। डॉक्यूमेंट्री का मेन किरदार इजरायल का ठग है जिसका नाम साइमन लिवाय, असली नाम शिमोन ह है। ये कई बार फर्जीवाड़े केस में फंस चुका है। बावजूद इसके ये हर बार पुलिस को चकमा देकर निकल जाता है, लेकिन ठगी करना नहीं छोड़ता है। टिंडर पर लड़कियों संग बात करने के बाद उनसे दोस्ती करना और फिर प्यार का नाटक करना ही उसका काम नहीं था बल्कि लड़कियों से मुलाकात करना मैसेज पर प्यारी-प्यारी बातें करना और फिर कुछ समय बाद उन्हें गर्लफ्रेंड बना लेना। इसके बाद रिलेशन में आने के करीब 1 से डेढ़ महीने बाद वो लड़कियों से रुपयों की मांग करने लगता था। आफताब से जुड़ी बर्बर घटना के विपरीत, यह ठग केवल पैसे के पीछे था। भले ही श्रद्धा हत्याकांड ने डेटिंग ऐप्स को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला दिया हो, लेकिन ऐसे ऐप्स को इस घटना की वजह से सीधे सवाल उठाना गलत होगा। कुछ डेटर्स का मानना है कि वे मैच बनाने और यहां तक कि दोस्ती बनाने का सबसे अच्छा तरीका हैं और सही कनेक्शन चुनने की आजादी देते हैं। वे कहते हैं, आखिरकार, यह सब उपयोगकर्ता के विवेक पर निर्भर करता है कि इसका कैसे इस्तेमाल किया जाए।
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डेटिंग ऐप्स का गणित क्या कहता है
देश में 3 करोड़ से ज्यादा भारतीय डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं। इनमें 67 प्रतिशत यूजर्स पुरुष हैं और 33 प्रतिशत यूजर्स महिलाएं हैं। एक डेटिंग ऐप के सर्वे में ये भी पता चला है कि जेन जेडZ यानी जिनका जन्म वर्ष 2000 के बाद हुआ है। ऐसे हर 10 में से 9 युवा डेटिंग ऐप के जरिए दोस्त तलाशते हैं। कोरोना महामारी के बाद से डेटिंग ऐप्स का इस्तेमाल, युवाओं में ज्यादा बढ़ गया है।
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