Lockdown के 49वें दिन मोदी ने किया दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि घर पर पृथक रहने की अवधि केवल अनिवार्य 14 तक तक सीमित नहीं की जा सकती क्योंकि वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति में लक्षण सामने आने में लगने वाले को समय को लेकर कोई निश्चितता नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जरूरत की चीजों के विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हुये मंगलवार को जनता से ‘लोकल पर वोकल बनने’ यानी स्थानीय उत्पादों को महत्व देने और उनकी मांग बढ़ाने के साथ ही उनका प्रचार करने पर भी जोर दिया। उन्होंने देश में 18 मई से चौथे चरण का लॉकडाउन लगाये जाने की भी घोषणा की। कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर अंकुश के लिये लागू लॉकडाउन के तीसरे चरण के समाप्त होने से पांच दिन पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट के इस दौर में ‘लोकल’ ने ही हमें बचाया है। स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों ने ही आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है, हमें इसे ही अपने आत्मनिर्भर बनने का मंत्र बनाना चाहिये। प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ को सशक्त बनाना है। यह सब आत्मनिर्भरता, आत्मबल से ही संभव होगा। उन्होंने कहा, ‘‘समय की मांग है कि भारत हर प्रतिस्पर्धा में जीते, सरकार जो आर्थिक पैकेज घोषित कर रही है उसमें अनेक प्रावधान किये गये हैं, इससे क्षमता बढ़ेगी, गुणवत्ता बेहतर होगी।’’ मोदी ने स्थानीय उत्पाद के मामले में खादी और हथकरघा का उदाहरण देते हुये कहा कि ‘‘आपसे मैंने इन उत्पादों को खरीदने का आग्रह किया तो इन उत्पादों की बिक्री रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। इसका काफी अच्छा परिणाम मिला।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वायरस ने पूरी दुनिया को तहस-नहस कर दिया, सारी दुनिया जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। यह मानव जाति के लिये अकल्पनीय है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा यह इस संकट से भी विराट होगा।’’ मोदी ने सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिये 20 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक पैकेज की घोषणा करते हुये कहा यह पैकेज 2020 में आत्मनिर्भर भारत को नई गति देगा। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण लंबा बना रहेगा। ऐसे में हमें इसके साथ रहकर जीना सीखना होगा। ‘‘हम मास्क पहनेंगे और दो गज की दूरी रखकर काम करेंगे। ऐसा करते हुये हम अपने लक्ष्यों को नहीं छोड़ेंगे।’’ गौरतलब है कि भारत में 25 मार्च को काम धंधे और आवागमन पर राष्ट्रव्यापी रोक लगा दी गयी थी ताकि कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम की जा सके। इसे तीन चरण में 17 मई तक बढ़ा दिया गया है पर 20 अप्रैल से काम के लिए कुछ ढील दी गयी है। कोरोना से देश में संक्रमित लोगों की संख्या 70 हजार से ऊपर पहुंच गयी है और दो हजार से अधिक लागों की मौत हुई है।
आर्थिक पैकेज का ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने और किसानों, श्रमिकों, मध्यमवर्ग के लोगों समेत समाज के सभी प्रभावित वर्गों और क्षेत्रों को राहत देने के लिये 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की। देश के नाम टीवी पर संदेश में उन्होंने कहा कि सरकार के हाल के निर्णय, रिजर्व बैंक की घोषणाओं को मिलाकर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपये का होगा जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 10 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पैकेज के बारे में विस्तृत ब्योरा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल से अगले कुछ दिनों तक देंगी। मोदी ने कहा कि यह बड़ा संकट है लेकिन भारत कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जारी अभियान में हार नहीं मानेगा और एक समृद्ध देश के रूप में उभरेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आर्थिक पैकेज हमारे श्रमिकों, किसानों, ईमानदार करदाताओं सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों और कुटीर द्योगों के लिये होगा। उन्होंने कहा कि भारत पांच आधार स्तंभों- अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, शासन व्यवस्था, जीवंत लोकतंत्र और आपूर्ति श्रृंखला पर खड़ा है।
बिहार में मामले बढ़े
बिहार में मंगलवार को कोरोना संक्रमण के 81 नये मामले प्रकाश में आने के साथ प्रदेश में कोविड-19 से संक्रमित मामले बढ़कर अब 830 हो गये हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने मंगलवार को बताया कि खगड़िया एवं पश्चिम चंपारण में 16—16, रोहतास में 13, बेगूसराय जिले में नौ, पटना में छह, मधुबनी में चार, मुजफ्फरपुर में तीन, दरभंगा, गोपालगंज एवं औरंगाबाद में दो-दो, सुपौल, बांका, सारण, पटना, पूर्णिया, भागलपुर, सिवान, कटिहार एवं भोजपुर में एक—एक कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। उन्होंने बताया कि इन सभी रोगियों के संपर्क के बारे में पता लगाया जा रहा है। गौरतलब है कि बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक कुल छह मरीजों (मुंगेर, पटना, रोहतास, पूर्वी चंपारण, वैशाली एवं सीतामढ़ी जिले में एक—एक) की मौत हो चुकी है। बिहार के 38 जिलों में से 37 जिलों में कोविड—19 के मामले अब तक प्रकाश में आए हैं। बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले अब तक सबसे अधिक मुंगेर में 115, पटना में 79, रोहतास में 72, बक्सर में 56, नालंदा में 51, बेगूसराय में 40, सिवान में 34, कैमूर में 32, मधुबनी में 30, पश्चिम चंपारण एवं खगडिया में 27—27, भागलपुर में 26, गोपालगंज में 22, भोजपुर में 21, दरभंगा में 18, औरंगाबाद में 15, पूर्वी चंपारण में 14, नवादा में 13, कटिहार, मुजफ्फरपुर एवं अरवल में 12—12, सहरसा में 10, मधेपुरा, किशनगंज, समस्तीपुर एवं सारण में नौ-नौ, गया एवं शेखपुरा में आठ-आठ, सीतामढी एवं बांका में सात-सात, जहानाबाद एवं सुपौल में पांच-पांच, लखीसराय, अररिया, वैशाली एवं पूर्णिया में चार-चार, शिवहर में तीन मामले प्रकाश में आए हैं। बिहार में अब तक कोरोना वायरस के संदिग्ध 37,430 लोगों के नमूने की जांच की जा चुकी है और कोरोना संक्रमित 383 मरीज ठीक हुए हैं।
इसे भी पढ़ें: जनप्रतिनिधियों से ज्यादा ब्यूरोक्रेसी पर भरोसा करते दिख रहे हैं योगी आदित्यनाथ
महाराष्ट्र में शराब की होम डिलीवरी को मंजूरी
महाराष्ट्र सरकार ने दुकानों पर भीड़ को रोकने के लिये मंगलवार को शराब की होम डिलीवरी की मंजूरी दे दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हालांकि गृह विभाग द्वारा जारी आदेश तभी प्रभावी होगा जब इस संदर्भ में दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। जिन लोगों को पीने की अनुमति है, वही होम डिलिवरी के लिये ऑर्डर कर सकते हैं। शराब की दुकानों पर फोन से ऑर्डर दिया जा सकेगा। शराब की दुकानों को पांच मई से खोलने की इजाजत दी गई थी। अधिकारी ने कहा कि इसका मकसद शराब की दुकानों पर भीड़ कम करना और कोरोना वायरस के प्रसार को रोकना है। उन्होंने बताया, “आदेश आज जारी किया गया, लेकिन यह तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक विस्तृत दिशा-निर्देश तय नहीं कर लिये जाते। सरकार अगले दो दिनों में दिशा-निर्देश जारी करेगी।” उन्होंने कहा, “भुगतान के तरीके का फैसला क्रेता और विक्रेता करेंगे। एक व्यक्ति अधिकतम 12 बोतल भारत में निर्मित विदेशी शराब का ऑर्डर दे सकता है।” अधिकारी ने कहा कि घर पर विभिन्न तरह की शराब रखने के नियमों के बारे में जानकारी आबकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है और ऑर्डर देने से पहले खरीदार वहां से इन्हें देख सकता है।
केबिन में सामान की इजाजत नहीं देना चाहता विमानन मंत्रालय
लॉकडाउन के बाद व्यावसायिक उड़ान सेवा फिर से शुरू करने के लिए पहले चरण में कोविड-19 से संबंधित विस्तृत प्रश्नावली भरना, केबिन में सामान नहीं ले जाना, आरोग्य सेतु ऐप का उपयोग करना और विमान प्रस्थान के समय से कम से कम दो घंटे पहले हवाई अड्डे पर पहुंचना अनिवार्य किया जा सकता है। नागर विमानन मंत्रालय ने देश में व्यावसायिक हवाई यात्रा सेवा फिर से शुरू करने के लिए मसौदा मानक परिचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) तैयार की हैं। कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण 25 मार्च से घरेलू हवाई यातायात निलंबित चल रहा है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह स्पष्ट किया जाता है कि एक मसौदा चर्चा पत्र पर विमानन कंपनियों और हवाईअड्डों से सुझाव मांगे गए थे। ये सुझाव अब प्राप्त हो गए हैं। अंतिम मानक संचालन प्रक्रिया अभी जारी की जानी है।” घरेलू हवाई यात्रा करने वाले सभी लोगों के लिए आरोग्य सेतु ऐप में ग्रीन स्टेटस, वेब चैक-इन और तापमान की जांच का प्रस्ताव किया गया है। पक्षकारों के बीच वितरित मसौदा एसओपी में एक उड़ान के दौरान चालक दल और कॉकपिट कर्मियों को बदलने पर कुछ नहीं कहा गया है। जहां तक संभव हो, उन्हें ही उड़ान के दौरान बरकरार रखने पर विचार किया गया है ताकि उनमें आपस में संक्रमण का जोखिम कम हो। मसौदा एसओपी केवल यात्रियों के लिए ही नहीं, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों, विमान पत्तन संचालकों के अनुपालन के लिए भी सुझाये गये हैं जिनमें हवाईअड्डे के प्रवेश द्वारों पर पहचान पत्र की जांच नहीं करना और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना शामिल है। एक अन्य सुझाव में चिकित्सकीय आपात स्थिति वाले किसी यात्री को अलग बैठाने के लिए विमान की तीन कतारों को खाली रखना भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार, एयरलाइन्स और विमान पत्तन संचालकों समेत सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श के बाद मसौदा एसओपी तैयार किया गया है। इस पर हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं। इस मसौदा एसओपी में सामाजिक दूरी बनाकर रखने के लिए विमान की बीच वाली सीट को खाली रखने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। विमानन नियामक डीजीसीए ने मार्च में व्यावसायिक उड़ान सेवाएं स्थगित होने से पहले ही बीच की सीट को खाली रखने का सुझाव दिया था। इसमें कहा गया है, ‘‘यात्रियों को एक प्रश्नावली दी जाए और पिछले कम से कम एक महीने में कोविड-19 के संबंध में या यदि वे पृथक-वास में रहे हैं तो उसके संबंध में जानकारी यात्रा से पहले ही भरवाई जाए।’’ दस्तावेज के मुताबिक, ‘‘पिछले एक महीने में पृथक-वास में रहे किसी यात्री को अलग से बनाई गयी सुरक्षा जांच इकाई के पास ही सुरक्षा जांच के लिए भेजा जाए।’’ दस्तावेज के मुताबिक, यात्रियों को सलाह दी जानी चाहिए कि वे खुद को हवाईअड्डे के नए तौर-तरीकों से अवगत रखें, खास तौर पर सामाजिक दूरी के नियम और विभिन्न सतहों को कम से कम स्पर्श करने से जुड़ी बातों को ले कर। इसमें कहा गया है कि यात्रियों को सामान संबंधी सीमाओं की भी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें आरोग्य सेतु ऐप पर पंजीकरण कराना चाहिए तथा हवाईअड्डे पर पहुंचने के लिए अधिकृत टैक्सियों से पहुंचना चाहिए। मंत्रालय ने यह भी प्रस्ताव दिया कि यात्रियों को उड़ान से कम से कम दो घंटे पहले हवाईअड्डे पहुंच जाना चाहिए और प्रवेश बिंदुओं पर भीड़ को कम से कम रखने के लिये यात्री पहचान जांच करा लेनी चाहिए। दस्तावेज के मुताबिक, यात्री वेब चेक-इन कर सकते हैं और केबिन बैगेज रखने की इजाजत संचालन के शुरुआती दौर में नहीं दी जानी चाहिए। मंत्रालय का यह भी सुझाव है कि जिन यात्रियों को शारीरिक तापमान अधिक होने या उम्र आदि की वजह से यात्रा की अनुमति नहीं दी जाती, उन्हें बिना अतिरिक्त शुल्क के तिथि बदलने की अनुमति होनी चाहिए।
‘वंदे भारत मिशन’ का दूसरा चरण
भारत ‘वंदे भारत मिशन’ के दूसरे चरण में 16 से 22 मई के बीच 31 देशों में फंसे भारतीयों को 149 उड़ानों के माध्यम से वापस लाएगा। यह बात आधिकारिक सूत्रों ने कही। सरकार ने कोविड-19 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के चलते विदेश में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए ‘वंदे भारत मिशन’ की शुरुआत की थी। मिशन के पहले चरण में सरकार अमेरिका, ब्रिटेन, फिलीपीन, बांग्लादेश, मलेशिया और मालदीव जैसे देशों तथा खाड़ी क्षेत्र के देशों से कुल 6,527 भारतीय लोगों को वापस लेकर आई है। दूसरे चरण में सरकार कनाडा, ओमान, कजाकिस्तान, यूक्रेन, फ्रांस, ताजिकिस्तान, सिंगापुर, अमेरिका, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, कतर, रूस, किर्गिस्तान, जापान, कुवैत और इटली से लोगों को वापस लाएगी। नेपाल, नाइजीरिया, बेलारूस, आर्मीनिया, थाईलैंड, आयरलैंड, जर्मनी, जॉर्जिया और ब्रिटेन से भी भारतीयों को वापस लाया जाएगा। एअरलाइन के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दूसरे चरण में, एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस 149 उड़ानों का परिचालन करेंगी।’’ सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह तक लगभग 68 हजार भारतीयों को ‘‘आवश्यक कारणों’’ के सरकार के मानक के तहत ‘वंदे भारत मिशन’ के अंतर्गत देश वापस लाने के योग्य पाया गया। लोगों को वापस लाने की सरकार की नीति के तहत गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, छात्रों और वे लोग जो वापस भेजे जाने की संभावना का सामना कर रहे हैं, को आवश्यक कारणों के अंतर्गत वापस लाया जा रहा है। पहले चरण में, सरकार ने 12 देशों से लगभग 15 हजार लोगों को 64 उड़ानों के जरिए वापस लाने की योजना बनाई थी। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है। यह घातक वायरस भारत में अब तक 70 हजार से अधिक लोगों को बीमार कर चुका है तथा लगभग 2,290 लोगों की जान ले चुका है। लॉकडाउन की अवधि तक के लिए सभी वाणिज्यिक यात्री उड़ानें निलंबित कर दी गई हैं।
कोविड-19 के मामले अब 12.2 दिन में हो रहे दोगुने
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 मामलों के दोगुने होने का समय 10.9 दिन से बढ़कर 12.2 दिन हो गया है। उन्होंने प्रवासियों और विदेश से लोगों की वापसी को देखते हुए निगरानी बढ़ाने और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की तलाश करने की आवश्यकता पर बल दिया। वर्धन ने कहा कि संक्रमण के कारण होने वाली मौत की दर 3.2 प्रतिशत है और उपचार के बाद स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या की दर वर्तमान में 31.74 प्रतिशत है और इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के साथ जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 के मामलों के प्रबंधन की समीक्षा करते हुए हर्ष वर्धन ने राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से कहा कि वे वापस आए सभी लोगों की निगरानी, जांच, संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की तलाश और समय पर उपचार को प्राथमिकता दें। वर्धन ने कहा कि बेहतर निगरानी के लिए, वापस आए सभी लोगों को आरोग्य सेतु ऐप का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले चौबीस घंटे में मंगलवार रात आठ बजे तक कोविड-19 से होने वाली मौत के मामलों की संख्या बढ़कर 2,293 हो गई और संक्रमितों की संख्या बढ़कर 70,756 हो गई। इस दौरान मृतकों की संख्या में 87 की वृद्धि हुई और संक्रमण के 3,604 मामले बढ़े। वर्धन ने एक वक्तव्य में कहा, “पिछले 14 दिन में संक्रमण के मामले दोगुने होने का समय 10.9 दिन था जो पिछले तीन दिन में बढ़कर 12.2 दिन हो गया।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में सोमवार तक कोविड-19 के 2.37 प्रतिशत मरीज आईसीयू में थे, 0.41 प्रतिशत मरीज वेंटिलेटर पर थे और 1.82 प्रतिशत मरीज ऑक्सीजन पर थे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जांच करने की क्षमता बढ़कर प्रतिदिन एक लाख हो गई है और इसमें 347 सरकारी और 137 निजी प्रयोगशालाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, “अभी तक कोविड-19 की कुल 17,62,840 जांच की जा चुकी है। सोमवार को 86,191 नमूनों की जांच की गई।” उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य और संघ शासित प्रदेशों की सरकारें एक साथ मिलकर कोरोना वायरस का मुकाबला कर रही हैं और “इससे हम आश्वस्त हैं कि देश कोविड-19 के कारण उपजी किसी भी परिस्थिति से मुकाबला करने में सक्षम है।''
श्रमिकों के खातों में 7500 रुपये भेजने की मांग
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह गरीबों और श्रमिकों के खातों में 7,500 रुपये भेजने की घोषणा करें। उन्होंने ट्वीट किया, ''प्रधानमंत्री जी से मेरा आग्रह है कि आज रात के सम्बोधन में, सड़कों पर चलते हमारे लाखों श्रमिक भाइयों-बहनों को उनके घरों तक सुरक्षित पहुंचाने की घोषणा करें।’’ गांधी ने कहा, ''इसके साथ ही इस संकट के समय में सहारा देने के लिए उन सभी के खातों में कम से कम 7,500 रुपए सीधे भेजें।’’
गुजरात में कोविड-19 के मामले 362 बढ़कर 8,904 हो गये
गुजरात में मंगलवार को कोविड-19 संक्रमण के 362 मामले सामने आये और 24 मरीजों की मौत हो गयी। इसी के साथ इस महामारी के मामले बढ़कर 8,904 हो गये और इससे जान गंवाने वालों की संख्या 537 हो गयी। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि कोरोना वायरस के और 466 मरीजों को स्वस्थ होने पर अस्पतालों से छुट्टी दी गयी है। इसी के साथ राज्य में इस महामारी के 3246 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।
7 घंटे में वाट्सऐप पर मिले 3 लाख संदेश
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 17 मई के बाद लॉकडाउन में छूट को लेकर लोगों से सुझाव मांगे जाने के बाद दिल्ली सरकार को सात घंटे में वाट्सऐप पर तीन लाख से ज्यादा संदेश मिले हैं। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को 1031 हेल्पलाइन पर 25,000 रिकॉर्डेड संदेश के साथ ही करीब पांच हजार ई-मेल भी मिले हैं। लोग बुधवार शाम पांच बजे तक टोल फ्री नंबर 1031 पर कॉल कर या वाट्सऐप नंबर 8800007722 पर संदेश भेज कर अथवा डेल्हीसीएम.सजेशंस@जीमेल.कॉम पर ईमेल के जरिये अपने सुझाव भेज सकते हैं। इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री ने दिल्ली वालों से यह सुझाव देने को कहा था कि 17 मई को जब बंद का तीसरा दौर खत्म होगा तो बंदिशों में कैसे ढील दी जाए। केजरीवाल ने हालांकि यह साफ कर दिया कि मौजूदा स्थिति में जब दिल्ली में संक्रमण के मामले बड़ी संख्या में मिल रहे हैं, ऐसे में बंद को पूरी तरह वापस नहीं लिया जा सकता। लोगों से यह भी पूछा गया कि क्या दिल्ली में अब बसों, मेट्रो, टैक्सियों और ऑटो रिक्शा के संचालन की इजाजत दी जानी चाहिए और क्या 17 मई के बाद स्कूल, बाजार और औद्योगिक क्षेत्र खोले जाने चाहिए? मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार विशेषज्ञों और डॉक्टरों से सुझावों पर चर्चा के बाद बृहस्पतिवार को दिल्ली में बंद से छूट के लिये प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजेगी।
फंसे लोगों को राहत मिली
भारतीय रेल ने करीब 50 दिन बाद मंगलवार को अपनी यात्री सेवाओं को फिर से शुरू किया और दो रेलगाड़ियां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से निर्धारित समय पर रवाना हुईं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को राहत और आशंकाओं की मिलीजुली भावनाओं के साथ यात्री एकत्र हुए। यात्री विशेष रेलगाड़ियों के रवाना होने से कुछ घंटे पहले आ गये थे। रेलवे ने बताया कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से मंगलवार को तीन विशेष वातानुकूलित रेलगाड़ियां डिब्रूगढ़, बेंगलुरु और बिलासपुर के लिए रवाना होनी है जिनमें से दो रेलगाड़ियां रवाना हो चुकी हैं। पहली रेलगाड़ी शाम चार बजे छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के लिए रवाना हुई जबकि दूसरी गाड़ी असम के डिब्रूगढ़ के लिए शाम चार बजकर 45 मिनट पर रवाना हुई। एक अन्य रेलगाड़ी मंगलवार की रात नौ बजकर 15 मिनट पर बेंगलुरु के लिए रवाना होगी। रेल सेवाओं के फिर से शुरू होने से राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण राष्ट्रीय राजधानी में फंसे लोगों को एक बड़ी राहत मिली है। नई दिल्ली-बिलासपुर रेलगाड़ी से यात्रा के लिए 1,177 यात्रियों ने टिकट की बुकिंग कराई थी जबकि नई दिल्ली-डिब्रूगढ़ विशेष रेलगाड़ी के लिए 1,122 यात्रियों ने बुकिंग कराई थी। नई दिल्ली-बेंगलुरु विशेष ट्रेन के लिए 1,162 यात्रियों ने बुकिंग कराई है। रेलवे ने बताया, ‘‘आज नई दिल्ली से कुल 3,461 यात्री रवाना होंगे।’’ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाले चेम्सफोर्ड रोड पर पुलिस ने अवरोधक लगाये हुए थे। रेलवे स्टेशन के प्रवेश द्वार पर पुलिस तैनात थी। पुलिस रेलवे स्टेशन के बाहर सड़क पर लोगों से सामाजिक दूरी बनाये रखने का पालन करने का अनुरोध कर ही थी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि यात्रियों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियाती कदम उठाये गये हैं। बिलासपुर जाने वाली रेलगाड़ी में सवार होने वाले यात्रियों ने प्रवेश द्वारों पर अपने हाथों को सेनिटाइज किया। यात्री मास्क पहने हुए थे ओर वे रेलवे की सलाह पर कम से कम सामान लेकर आये हुए थे। स्टेशन में यात्रियों के प्रवेश करते ही अधिकारियों ने उनके डिब्बों में सवार होने में उनकी मदद की, जिससे प्लेटफार्म पर कम भीड़ रही। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव भी स्टेशन पर मौजूद थे। रेलवे ने बताया कि दिल्ली के लिए पांच और रेलगाड़ियां पटना, बेंगलुरु, हावड़ा, मुंबई और अहमदाबाद से रवाना होंगी। उत्तर रेलवे ने एक बयान में बताया कि यात्रियों को स्टेशन में पहाड़गंज की तरफ से प्रवेश दिया जा रहा है। किसी भी यात्री को अजमेरी गेट की तरफ से प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। यात्रियों को रेलगाड़ी के रवाना होने से कम से कम डेढ़ घंटे पहले रेलवे स्टेशन पहुंचने को कहा गया है ताकि उनकी स्वास्थ्य जांच की जा सके। रेलवे पुलिस बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। प्रवेश द्वार पर सैनिटाइजर मशीन भी लगाई गई है ताकि यात्री स्टेशन परिसर में प्रवेश से पहले अपने हाथों को साफ कर सकें। फिलहाल रेलवे ने 12 मई से 20 मई तक चलने वाली रेलगाड़ियों के लिए एक समय सारिणी जारी की है। इन विशेष रेलगाड़ियों में सिर्फ वातानुकूलित श्रेणी (एसी-1, एसी-2 और एसी-3) के डिब्बे होंगे, किराया सामान्य राजधानी ट्रेन के अनुरुप होगा। आठ रेलगाड़ियां 13 मई को नई दिल्ली से चलाई जायेंगी जो हावड़ा, राजेन्द्र नगर (पटना), जम्मू तवी, तिरुवनंतपुरम, चेन्नई, रांची, मुंबई और अहमदाबाद पहुंचेंगी। एक अन्य रेलगाड़ी भुवनेश्वर से नई दिल्ली आयेगी। रेलवे 14 मई को पांच रेलगाड़ियां डिब्रूगढ़, जम्मू तवी, बिलासपुर और रांची से राष्ट्रीय राजधानी के लिए चलायेगा और एक रेलगाड़ी नई दिल्ली से भुवनेश्वर के लिए चलाई जायेगी। तीन रेलगाड़ियां 15 मई को निर्धारित हैं, जिनमें से दो रेलगाड़ी तिरुवनंतपुरम से और एक चेन्नई मध्य से चलाई जायेगी और एक रेलगाड़ी नई दिल्ली से मडगांव के लिए संचालित होगी। समय सारिणी के अनुसार 16 मई और 19 मई को कोई रेलगाड़ी नहीं चलेगी। लॉकडाउन का तीसरा चरण समाप्त होने की तिथि 17 मई को एक रेलगाड़ी मडगांव से नई दिल्ली और एक रेलगाड़ी नई दिल्ली से सिकंदराबाद के लिए रवाना होगी। अगरतला से नई दिल्ली के लिए एकमात्र रेलगाड़ी 18 मई को रवाना होगी, जबकि 20 मई को निर्धारित दो रेलगाड़ियां नई दिल्ली से अगरतला और सिकंदराबाद से नई दिल्ली के लिए हैं। भारतीय रेल का कहना है कि रेलवे स्टेशन आने वाले यात्रियों और उन्हें लेकर आने वाले वाहन के चालक को स्टेशन के भीतर प्रवेश की अनुमति इसी सूरत में दी जाएगी, जब उनके पास यात्रा का वैध और कन्फर्म टिकट हो। कुछ चुनिंदा मार्गों पर चलाई जा रही विशेष रेलगाड़ियों के मार्गों पर सांसदों तथा स्वतंत्रता सेनानियों के लिए बहुत कम आरक्षण केन्द्र खोले जायेंगे जबकि सामान्य कोटे के यात्रियों को टिकट के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट से बुकिंग करानी होगी। अधिकारियों ने बताया कि मरीज, छात्र, दिव्यांग लोग टिकट किराये में रियायत ले सकते हैं जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई रियायत लागू नहीं है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों के लिए 3 एसी में दो सीट आरक्षित रहेंगी तथा वर्तमान और पूर्व सांसदों के लिए 1एसी में दो सीट, 2 एसी में चार सीटें आरक्षित रहेंगी। रेलवे ने बताया कि गंतव्य स्थल पर पहुंचने पर यात्रियों को संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करना होगा।
औद्योगिक उत्पादन गिरा
देश के औद्योगिक उत्पादन में मार्च महीने में रिकार्ड 16.7 प्रतिशत की गिरावट आयी। ‘लॉकडाउन’ (बंद) के कारण मुख्य रूप से खनन, विनर्माण और बिजली क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से औद्योगिक उत्पादन घटा है। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़े के अनुसार पिछले साल मार्च महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 2.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये 25 मार्च 2020 से देशव्यापी बंद लागू किया है। आधार वर्ष 2011-12 के साथ नई श्रृंखला के आईआईपी के साथ औद्योगिक उत्पादन में 16.7 प्रतिशत की गिरावट अप्रैल 2012 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार मार्च 2020 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 20.6 प्रतिशत घटा जबकि एक साल पहले इसी महीने में इसमें 3.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। बिजली उत्पादन में आलोच्य महीने में 6.8 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि मार्च 2019 में इसमें 2.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी। आंकड़ों के अनुसार खनन क्षेत्र का उत्पादन इस साल मार्च में एक साल पहले के स्तर पर स्थिर रहा जबकि एक वर्ष पहले इसी महीने में इसमें 0.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। आईआईपी में पिछले वित्त वर्ष में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि 2018-19 में इसमें 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। मार्च महीने के आंकड़े के अनुसार निवेश का आईना माने जाने वाला पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन आलोच्य माह में 35.6 प्रतिशत घटा जबकि पिछले साल इसी महीने में 9.1 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। उपयोग के आधार पर प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में मार्च महीने में सालाना आधार पर 3.1 प्रतिशत, मध्यवर्ती वस्तुओं के उत्पादन में 18.5 प्रतिशत और बुनियादी ढांचा/निर्माण वस्तुओं के उत्पादन में 23.8 प्रतिशत की गिरावट आयी। टिकाऊ उपभोक्ता-वस्तुओं का उत्पादन आलोच्य महीने में 33.1 प्रतिशत घटा जबकि गैर-टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन 16.2 प्रतिशत नीचे आया। आंकड़ों के अनुसार उद्योगों के संदर्भ में विनिर्माण क्षेत्र के 23 औद्योगिक समूह में से 7 में मार्च महीने के दौरान वृद्धि दर्ज की गयी।
इसे भी पढ़ें: एक वायरस ने दुनिया को जिंदगी के कई अनमोल सबक सिखा दिये हैं
महाराष्ट्र सरकार 17,000 कैदियों को रिहा करेगी
महाराष्ट्र सरकार ने राज्य भर की जेलों में बंद कुल 35 हजार कैदियों में से 17 हजार कैदियों को अस्थायी पैरोल पर छोड़ने का फैसला किया है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने मंगलवार को कहा कि ऐसा कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिये किया गया है। इनमें से 5000 विचाराधीन कैदियों को पहले ही छोड़ा जा चुका है। देशमुख ने कहा कि सरकार ने यह फैसला हाल में मुंबई की आर्थर रोड जेल में 185 कैदियों के संक्रमित पाए जाने के बाद किया है। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य की जेलों में भीड़ कम करने के उद्देश्य से करीब 50 प्रतिशत कैदियों को अस्थायी रूप से रिहा करने का फैसला किया था। ट्विटर पर एक वीडियो संदेश में देशमुख ने कहा आर्थर रोड जेल के 185 कैदी संक्रमित मिले हैं। उनका इलाज चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब जेलों में कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के मद्देनजर महाराष्ट्र की जेलों में बंद 35 हजार कैदियों में से 17 हजार को अस्थायी पैरोल पर छोड़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि 5000 विचाराधीन कैदियों को पहले ही रिहा किया जा चुका है। देशमुख ने कहा कि 3000 और 9000 कैदी – जिन्हें क्रमश: सात साल तक के लिये और उससे ज्यादा समय के लिये कैद की सजा मिली है, उन्हें भी छोड़ा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि दुष्कर्म, बड़े आर्थिक और बैंक घोटालों, मकोका, टाडा और ऐसे ही अन्य संगीन मामलों में दोषी ठहराए गए कैदियों को नहीं छोड़ा जाएगा। मंत्री ने कहा कि सरकार ने पहले ही आठ जेलों को “लॉक डाउन” कर दिया है और कोरोना वायरस संबंधी बंदिशों के लागू रहने तक वहां किसी के प्रवेश या बाहर निकलने की इजाजत नहीं होगी। समिति ने सोमवार को फैसला लेते हुए यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर आरोपों में दोषी ठहराये गए और मकोका, गैर कानूनी गतिविधि (निरोधक) अधिनियम, धनशोधन (निरोधक) अधिनियम जैसे सख्त कानूनी प्रावधानों के तहत दोषी ठहराये गए कैदियों को अस्थायी जमानत या पैरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय द्वारा मार्च में, कोरोना वायरस के मद्देनजर देश भर की जेलों में भीड़ कम किये जाने की बात कहे जाने के बाद इस समिति का गठन किया गया था। समिति में बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए ए सैयद, राज्य के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजय चहांडे और महाराष्ट्र के महानिदेशक कारागार एस एन पांडेय शामिल थे। समिति ने अधिवक्ता एस बी तालेकर के उस प्रतिवेदन को भी खारिज कर दिया जिसमें दावा किया गया था कि विशेष कानूनों के तहत दोषी या आरोपी कैदियों को रिहा न करना भेदभावपूर्ण और मनमाना है। समिति ने कहा कि जो कैदी अस्थायी जमानत या पैरोल के हकदार नहीं हैं उन्हें नियमित जमानत के लिये संबंधित अदालत में अर्जी देनी होगी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्वास्थ्य सचिव का तबादला किया
कोविड-19 के संकट से कथित तौर पर सही तरीके से नहीं निपटने की आलोचनाओं के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव विवेक कुमार का तबादला कर दिया जिसके बाद विपक्ष ने दावा किया है कि अधिकारी को हटाये जाने से साबित होता है कि वाकई कुछ गलत हुआ था। सरकारी अधिसूचना के अनुसार, पर्यावरण सचिव नारायण स्वरूप निगम को विवेक कुमार की जगह नया स्वास्थ्य सचिव नियुक्त किया गया है। कुमार को सचिव के तौर पर पर्यावरण विभाग में भेजा गया है। इससे कुछ दिन पहले ही कोविड-19 संकट से निपटने में पश्चिम बंगाल सरकार की आलोचना को लेकर उसके और केंद्र सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले थे। राज्य में कोविड-19 के हालात का मौका-मुआयना करने के लिए गए अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दलों ने कुमार की अगुवाई में स्वास्थ्य विभाग के कामकाज पर निराशा प्रकट की थी। कुमार को पिछले साल दिसंबर में ही संघमित्रा घोष की जगह स्वास्थ्य सचिव बनाया गया था। केंद्र सरकार ने हाल ही में कोविड-19 के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा था कि राज्य में आबादी के अनुपात में जांच की बहुत कम दर तथा 13.2 फीसद की बहुत अधिक मृत्यु दर राज्य में कुप्रबंधन को दिखाती है। सूत्रों के अनुसार, तीन अप्रैल को मृत्यु ऑडिट समिति के गठन का विचार कुमार का था जिसे लेकर राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। विपक्षी दलों ने इसे कोरोना वायरस से मौत और संक्रमण के आंकड़ों में ‘हेरफेर’ के लिए सरकार द्वारा बनाया गया हथियार करार दिया। आलोचना के मद्देनजर राज्य प्रशासन ने अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ऑडिट समिति से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया जब खुद स्वास्थ्य मंत्रालय का कामकाज देख रहीं ममता बनर्जी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने ऑडिट समिति बनाने का फैसला किया था और उनका इससे कोई लेनादेना नहीं है। गत दो मई को राज्य सरकार ने ऑडिट समितियों के कार्यक्षेत्र में बदलाव कर कहा कि अब से यह समिति इस बात का प्रमाणन नहीं करेगी कि किसी रोगी की मृत्यु कोरोना वायरस से हुई है या पहले से मौजूद किसी बीमारी से। पश्चिम बंगाल में अब तक संक्रमण से 190 लोगों की मौत हो चुकी है जिनमें से राज्य ने 72 मामलों में मौत की वजह अन्य बीमारियों को बताया है जिनमें रोगियों को साथ में कोरोना वायरस संक्रमण भी था। राज्य में सोमवार तक संक्रमण के 1,939 मामले आए हैं जिनमें से 1,374 लोगों का उपचार चल रहा है। भाजपा ने दावा किया कि स्वास्थ्य सचिव को हटाये जाने से साबित होता है कि महामारी से निपटने के राज्य के तरीके में कुछ तो ‘गंभीर रूप से गलत’ था। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘सारे फैसले मुख्यमंत्री की मंजूरी से होते हैं तो वह अपनी जिम्मेदारी से कैसे पल्ला झाड़ सकती हैं?’’ इससे पहले राज्य में 16 अप्रैल को खाद्य सचिव मनोज अग्रवाल को हटाया गया था। माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि यह फैसला बहुत पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक राज्य सरकार कोविड-19 से निपटने की अपनी नीति में बदलाव नहीं करती तब तक, क्या इस फैसले से कुछ हासिल होगा। तृणमूल कांग्रेस की तरफ से इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इसे भी पढ़ें: प्रवासी मजदूरों के पलायन से देश के विकास मॉडल पर उठे बड़े सवाल
इस साल भी नियुक्तियां जारी रहेंगी, पर गति होगी कम
कोरोना वायरस संकट का असर रोजगार बाजार पर साफ दिख रहा है और कुछ कंपनियों ने नई नियुक्तियां टाल दी हैं। हालांकि उद्योग जगत से जो आंकड़े आ रहे हैं, उसे लगता है कि इस साल नियुक्तियां जारी रहेंगी लेकिन उसकी गति जरूर कम होगी। कार्यकारी स्तर के कर्मचारियों को नौकरी के बारे में सूचना देने वाली ग्लोबलहंट की रिपोर्ट के अनुसार इस साल नियुक्ति प्रक्रिया लगभग थम सी गयी है लेकिन कुछ उद्योग ऐसे भी हैं जहां अब भी मांग है और आने वाले समय में मांग बढ़ सकती है। कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ से विमानन, यात्रा और होटल, वाहन, खुदरा तथा विनिर्माण क्षेत्र का पहिया लगभग थम गया है। इसका कारण मांग के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला का बाधित होना है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में कोविड-19 संकट एक अवसर के रूप में दिख रहा है। ‘कोविड-19 काल में नियुक्ति’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट के अनुसार ‘लाइफ साइंस’ और स्वास्थ्य से जुड़े उद्योगों में प्रतिभा की मांग बढ़ेगी। इन क्षेत्रों को अपनी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है और इसके लिये कार्यबल की जरूरत होगी। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में भी तत्काल मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसका कारण बड़ी संख्या में लोगों का घर से ही काम करना है और यह प्रवृत्ति आगे भी बनी रह सकती है। इसके अलावा ई-वाणिज्य क्षेत्र का भी दायर बढ़ेगा क्योंकि जो लोग अभी ऑनलाइन खरीदारी नहीं कर रहे थे, वे भी अब इससे जुड़ सकते हैं। रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल भुगतान मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनियों में भी नये लोगों की मांग होगी। यह स्थिति तबतक होगी जब तक लोग खरीदारी के लिये बाहर नहीं निकलने लगते। यह रिपोर्ट प्रमुख संगठनों के संभावित नियोक्तओं और नौकरी चाहने वालों से बातचीत के आधार पर तैयार की गयी है। इसमें यह भी कहा गया है कि वेतन और वेतन वृद्धि पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। कोरोना वायरस संकट से पहले एक नौकरी छोड़कर दूसरी कंपनी में जाने पर वेतन में 30 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होती थी लेकिन रोजगार के अवसर कम होने के कारण यह 15 से 25 प्रतिशत ही रह सकता है। ग्लोबल हंट इंडिया के प्रबंध निदेशक सुनील गोयल ने कहा, ‘‘लोगों को नौकरी स्वीकार करने को लेकर थोड़ा लचीला रुख अपनाना होगा। साथ ही कंपनियों को भी लचीला रुख अपनाने की जरूरत होगी। कुछ छंटनी हो सकती है, वेतन में भी कटौती होगी, कर्मचारियों को महीने में कम दिन ही काम करने का अवसर मिल सकता है लेकिन एक-दो तिमाही में स्थिति बदलेगी और चीजें ढर्रे पर आएंगी।’’
वुहान की पूरी आबादी की जांच की जाएगी
चीन के वुहान में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले सामने आने के बाद शहर की पूरी आबादी की कोविड-19 जांच कराने की तैयारी की जा रही है। सरकारी मीडिया ने मंगलवार को यह जानकारी दी। समाचार माध्यमों को मिले एक आधिकारिक नोटिस के अनुसार अधिाकरियों को मंगलवार दोपहर तक एक करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस शहर के सभी निवासियों का न्यूक्लिक एसिड परीक्षण कराने की योजना बताने के लिए कहा गया है। नोटिस में कहा गया है, 'प्रत्येक जिले को उसके अंतर्गत आने वाली पूरी आबादी का दस दिन के भीतर न्यूक्लिक एसिड परीक्षण कराने के लिये योजना बनानी होगी और प्रबंध करना होगा।' हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि जांच कब से शुरू होगी। कोरोना वायरस के केन्द्र रहे वुहान में 76 दिन तक चला लॉकडाउन आठ अप्रैल को खत्म कर दिया गया था, तब से संक्रमण के कई मामले सामने आ चुके हैं। रविवार और सोमवार को डोंगशिऊ जिले में एक आवासीय परिसर में छह नए मामले सामने आए हैं। पिछले साल दिसंबर में वुहान से ही यह वायरस फैलना शुरू हुआ था। तब से शहर में कुल 3,869 लोगों की मौत हो चुकी है।
-नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़