Lockdown के 20वें दिन मौत के आंकड़े में सबसे बड़ी वृद्धि, अब तक 324 मरे
भाजपा ने सोमवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ मोदी सरकार की लड़ाई में कांग्रेस ‘नकारात्मक’ भूमिका निभा रही है। पार्टी ने कहा कि विपक्षी पार्टी के ‘‘असहयोगपूर्ण’’ रवैये ने इसकी प्रासंगिकता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
देश में कोरोना वायरस के कारण पिछले 24 घंटों में 51 लोगों की मौत होने के बाद इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर सोमवार को 324 हो गई जबकि संक्रमित लोगों की कुल संख्या बढ़कर 9,352 हो गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में 8,048 लोग संक्रमित हैं, 979 लोगों का उपचार हो चुका है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है जबकि एक व्यक्ति देश से बाहर जा चुका है। संक्रमण के इन मामलों में 72 विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। रविवार रात से अब तक 51 लोगों की मौत हो गई है। इनमें महाराष्ट्र में 22, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में सात-सात, दिल्ली में पांच, गुजरात में चार, पश्चिम बंगाल में दो और तमिलनाडु, झारखंड एवं आंध्र प्रदेश में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार संक्रमण के कारण मरने वाले 324 लोगों में से सर्वाधिक लोग महाराष्ट्र से हैं। महाराष्ट्र में इस संक्रमण से अब तक 149, मध्य प्रदेश में 43, गुजरात में 26 और दिल्ली में 24 और तेलंगाना में 16 लोगों की मौत हुई है। पंजाब और तमिलनाडु में अब तक 11-11 लोगों की और पश्चिम बंगाल एवं आंध्र प्रदेश में सात-सात, कर्नाटक में छह, उत्तर प्रदेश में पांच, जम्मू-कश्मीर में चार, हरियाणा एवं राजस्थान में तीन-तीन और झारखंड में दो लोगों की मौत हुयी है। इसके अलावा बिहार, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और असम में अब तक इस संक्रमण के कारण एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।
कई मंत्रियों, अधिकारियों ने मंत्रालयों से काम करना शुरू किया
लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की जाने वाली संभावित घोषणा के एक दिन पहले ही कई केन्द्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को अपने-अपने कार्यालयों से काम करना शुरू कर दिया। इस कदम के तहत सरकार ने कोरोना वायरस संकट के कारण बने हालात से निपटने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। अधिकारियों ने कहा कि कार्यालयों में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए मंत्रालयों ने पूरी तरह काम करना शुरू कर दिया है। ज्यादातर मंत्री और अधिकारी कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सरकार द्वारा ‘घर से काम करने’ संबंधी निर्देश का पालन कर रहे हैं। मंत्रियों ने सोमवार को अपने मंत्रालयों के तहत आने वाले क्षेत्रों के हालात का जायजा लिया और लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए व्यवसायिक गतिविधियों को जारी रखने की योजना तैयार करने में जुटे रहे। सरकारी परिवहन की सुविधा पाने वाले संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी भी सोमवार को कार्यालय पहुंचे। द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी बारी-बारी से काम कर रहे हैं और इनमें से एक तिहाई सदस्यों का मंत्रालयों में उपस्थित होना जरूरी है। प्रधानमंत्री मोदी लॉकडाउन की अवधि खत्म होने के अंतिम दिन मंगलवार सुबह 10 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। इस बीच, संकेत मिल रहे हैं कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए कुछ रियायतों के साथ लॉकडाउन की अवधि को अगले दो हफ्ते के लिए बढ़ाया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें: भारत कोरोना से जंग पहले ही चरण में जीत जाता, परन्तु जमातियों ने सब बिगाड़ दिया
ट्रकों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन पर मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का ‘‘अक्षरश:’’ पालन होना चाहिए। इसके साथ ही जरूरी और गैरजरूरी सामानों में अंतर किए बिना सभी ट्रकों या माल लदे वाहनों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए 25 मार्च से लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन के दौरान किए गए उपायों पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा कि आवश्यक सामानों और सेवाओं की स्थिति नियंत्रण में है। इस व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 21 दिवसीय देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जरूरी और गैरजरूरी सामानों में अंतर किए बिना राज्यों के भीतर-बाहर ट्रकों और मालवाहक वाहनों को आवाजाही की अनुमति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाली ट्रकों और मालवाहक वाहनों को भी अनुमति होनी चाहिए क्योंकि हो सकता है कि वे माल लाने जा रहे हों या सामान पहुंचाकर लौट रहे हों। उन्होंने कहा, ‘‘सामानों को लाने-ले जाने के लिए ट्रकों और मालवाहक वाहनों को किसी परमिट या पास की जरूरत नहीं है।’’ अधिकारी ने कहा कि एक ट्रक में एक ड्राइवर और एक क्लीनर की अनुमति दी गयी है और जिला प्रशासन को उनके घरों से ट्रक के स्थान तक आने-जाने में मदद करना चाहिए। मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लॉकडाउन पाबंदी से छूट वाले संगठनों और कंपनियों में कार्यरत कर्मियों को तुरंत पास जारी करने को भी कहा है। उन्होंने कहा, ‘‘यह भी ध्यान देना चाहिए कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सीमाई इलाके में स्थित निर्माण इकाइयों में तैनात कर्मियों को कोई दिक्कत नहीं हो।’’ उन्होंने कहा कि रेलवे, हवाई अड्डा, बंदरगाह और सीमाशुल्क विभाग के अधिकारियों को अपने कर्मचारियों और अनुबंध पर काम करने वाले कर्मियों को आवाजाही के लिए पास जारी करने का अधिकार दिया गया है। उन्होंने कहा कि आटा, खाद्य तेल जैसी आवश्यक सामग्री से जुड़े सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के कामकाज में कोई व्यवधान नहीं होना चाहिए। उन्होंने, ‘‘गोदाम और शीत भंडार को बिना किसी अवरोध के संचालन की अनुमति होनी चाहिए चाहें उसमें जरूरी सामान हो या गैर जरूरी सामान।’’
प्रेस का गला नहीं दबायेंगे
उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी फैलने को हालिया निजामुद्दीन मरकज की घटना से जोड़कर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत और धर्मान्धता फैलाने से मीडिया के एक वर्ग को रोकने के लिये मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की याचिका पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से सोमवार को इंकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि ‘‘वह प्रेस का गला नहीं घोटेगा।’’ प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने इस मुस्लिम संगठन की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की और उससे कहा कि इस मामले में भारतीय प्रेस परिषद को भी एक पक्षकार बनाये। पीठ ने कहा कि वह इस समय याचिका पर कोई अंतरिम आदेश नहीं देगा और उसने यह मामला दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया। याचिकाकर्ता ने इस याचिका में आरोप लगाया है कि मीडिया का एक वर्ग दिल्ली में पिछले महीने आयोजित तबलीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैला रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अपनी याचिका में फर्जी खबरों को रोकने और इसके लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश केन्द्र को देने का अनुरोध किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तबलीगी जमात की दुर्भाग्यपूर्ण घटना का इस्तेमाल सारे मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराने के लिये किया जा रहा है। पश्चिमी निजामुद्दीन में पिछले महीने तबलीगी जमात के मुख्यालय में हुये धार्मिक कार्यक्रम में कम से कम नौ हजार लोगों ने शिरकत की थी और यह कार्यक्रम ही भारत में कोविड-19 महामारी के संक्रमण फैलने का एक मुख्य स्रोत बन गया क्योंकि इसमें हिस्सा लेने वाले अधिकांश व्यक्ति अपने धार्मिक कार्यो के सिलसिले में देश के विभिन्न हिस्सों में गये जहां वे अन्य लोगों के संपर्क में आये। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि देश में कोरोना वायरस महामारी के फैलने के संबंध मे मीडिया की रिपोर्टिंग और सरकार की रिपोर्ट लगातार तलबीगी जमात के बारे में ही बात कर रही हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हम सोचते हैं कि आप भारतीय प्रेस परिषद को भी इस मामले में एक पक्षकार बनायें। भारतीय प्रेस परिषद इस मामले में एक जरूरी पक्ष है। उन्हें पक्षकार बनायें और इसके बाद हम सुनवाई करेंगे।’’ याचिकाकर्ता के वकील ने जब यह दावा किया कि मीडिया की खबरों की वजह से लोगों पर हमला हुआ है तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हम खबरों के बारे में ठोस दीर्घकालीन उपाय करना चाहते हैं। एक बार जब हम संज्ञान लेंगे तो लोग समझेंगे। यदि यह हत्या करने या बदनाम करने का मसला है तो आपको राहत के लिये कहीं और जाना होगा। लेकिन अगर यह व्यापक रिपोर्टिंग का मामला है तो प्रेस परिषद को पक्षकार बनाना होगा।’’ इस याचिका में मीडिया के सभी वर्गों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है कि वे शीर्ष अदालत के उन निर्देशों का सख्ती से पालन करें जिसमें यह सुनिश्चत किया जाये कि खबरें पूरी जिम्मेदारी के साथ दी जायें और अपुष्ट खबरें संप्रेषित नहीं हों।
इसे भी पढ़ें: कोरोना से लड़ाई में सभी दल पार्टी हितों और विचारधाराओं को दरकिनार कर एक हुए
राहुल ने लगाये सरकार पर आरोप
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को आरोप लगाया कि पूरे देश में एक ही तरह का लॉकडाउन लागू करने से करोड़ों किसानों, मजदूरों एवं कारोबारियों को बहुत पीड़ा हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस से ज्यादा प्रभावित इलाक़ों (हॉटस्पॉट) के अलावा दूसरे क्षेत्रों में कारोबार धीरे-धीरे खुलने दिया जाए। उन्होंने यह मांग ऐसे वक्त की है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार सुबह लॉकडाउन एवं कोरोना संकट पर देश को संबोधित करने वाले हैं। गांधी ने ट्वीट किया, ''पूरे देश के लिए एक जैसा लॉकडाउन करने से करोड़ों किसानों, प्रवासी कामगारों, दिहाड़ी मजदूरों और कारोबार मालिकों को ऐसी तकलीफें झेलनी पड़ रही है जिन्हें बयां नहीं किया जा सकता।'' उन्होंने कहा कि इस स्थिति में बड़ी अक्लमंदी से सुधार होना चाहिए। बड़े पैमाने पर जांच के माध्यम से ज्यादा प्रभावित इलाकों को चिन्हित करके अलग किया जाए और दूसरे इलाकों में कारोबार को धीरे-धीरे खुलने दिया जाए।
थोक मंडी में लागू होंगे सम-विषम नियम
दिल्ली सरकार शहर में सभी थोक मंडी में सम-विषम नियमों को लागू करेगी। इस नियम के तहत व्यापारी एक दिन छोड़कर सब्जियां बेच पाएंगे। दिल्ली के विकास मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को बताया कि दूरी बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने इन थोक मंडियों में सब्जियों और फलों की बिक्री के वास्ते समय तय करने का भी फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में सभी थोक मंडी में सब्जियां सुबह छह बजे से 11 बजे तक बिकेंगी और फलों की बिक्री दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक होगी।’’ राय ने कहा कि उनकी अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह फैसला किया गया। राष्ट्रीय राजधानी में सब्जियों और फलों के लिए आजादपुर मंडी, गाजीपुर मंडी और ओखला मंडी सहित पांच बड़ी थोक मंडी है। इसके अलावा नजफगढ़ और नरेला में अनाज मंडी भी हैं।
किसानों को 16,621 करोड़ रुपये जारी
सरकार ने लॉकडाउन शुरू होने के बाद से अब तक देशभर में 8.31 करोड़ किसानों को 16,621 करोड़ रुपये वितरित कर दिये हैं। कोरोना वायरस माहमारी के प्रसार को रोकने के लिये देशभर में 24 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान पीएम किसान योजना के तहत जो पूरी राशि जारी की गई है उसमें पिछले वित्त वर्ष की बकाया राशि 1,674.43 करोड़ रुपये भी शामिल है। यह राशि 83.77 लाख लाभार्थी किसानों को जारी की गई। योजना के तहत शेष राशि मौजूदा वित्त वर्ष के लिये पहली किस्त के तौर पर 14,945 करोड़ रुपये की राशि 7.47 करोड़ किसानों को जारी की जा चुकी है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना के तहत किसानों को एक वित्त वर्ष में दो-दो हजार रुपये की तीन किस्तों में कुल 6,000 रुपये की नकद सहायता दी जाती है सीधे किसानों के बैंक खातों में डाली जाती है। केवल कुछ ऊंची आय वाले किसानों को ही इससे बाहर रखा गया है। बहरहाल सरकार ने 27 मार्च से तीन सप्ताह के लिये लागू लॉकडाउन को देखते हुये तुरंत सहायता देने के लिये पीएम किसान योजना के 8.69 करोड़ लाभार्थी किसानों को अप्रैल के पहले सप्ताह में ही 2,000 रुपये की पहली किस्त जारी करने का वादा किया। इसी वादे के तहत अब तक 16,621 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में डाले गये हैं।
इसे भी पढ़ें: बैसाखी पर करें दुनिया को कोरोना से मुक्ति दिलाने की अरदास
अरूणाचल प्रदेश ने बढ़ाया लॉकडाउन
अरूणाचल प्रदेश की सरकार ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया है। मुख्य सचिव नरेश कुमार ने कहा कि लॉकडाउन को 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान केवल सरकारी बसों को चलने की अनुमति होगी। संबंधित अधिकारियों से मंजूरी हासिल कर निर्माण कार्य किए जा सकेंगे लेकिन प्रवासी मजदूरों की सेवा नहीं ली जा सकेगी। अधिकारी ने कहा कि तवांग, तेजू, आलो, पासीघाट, जीरो और खोनसा में इस महीने गहन चिकित्सा इकाइयां बनाई जाएंगी।
राज्यपाल की सलाह
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राज्य सरकार से लॉकडाउन में क्रमिक ढील देने के विरूद्ध केंद्र द्वारा दी गयी चेतावनी पर ध्यान देने की अपील की और कहा कि अगर अधिकारियों से कोई चूक हुई है तो उन्हें इसके लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन में क्रमिक रूप से ढील दिये जाने को लेकर पिछले सप्ताह चिंता प्रकट की थी और राज्य से सामाजिक मेल-जोल से दूरी रखने के नियम का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का आह्वान किया था। उससे पहले मुर्शिदाबाद और सिलीगुड़ी में लॉकडाउन के कथित उल्लंघन की खबर आयी थी। धनखड़ ने ट्व़ीट किया, ‘‘(मैं) ममता से राजभवन के साथ टकराव खत्म करने की अपील करता हूं। हम कोरोना महामारी से लड़ रहे हैं। ऐसे में हमें राज्य के हित में एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। गृह मंत्रालय की चेतावनी से सुधार की दिशा में कदम उठाये जाने चाहिए। अधिकारियों को सामाजिक मेल-जोल से दूरी के अनुपालन एवं धार्मिक कार्यक्रमों संबंधी चूकों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।’’ उन्होंने लिखा, ''लॉकडाउन विस्तार व्यापक सर्तकता की मांग करती है। सभी को कोरोना महामारी से लड़ाई में अपना 100 फीसदी योगदान देना चाहिए। गृह मंत्रालय की चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए एवं राजनीति को दरकिनार किया जाना चाहिए।’’ इससे पहले राज्यपाल ने ट्वीट किया था, ''सरकार कोविड-19 से निपटने के लिए उठाये जा रहे कदमों को लेकर उन्हें जानकारी नहीं दे रही है।’’
सोनिया की माँग
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि कोरोना वायारस के संकट को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाले लाभार्थियों को सितंबर महीने तक प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम अनाज (मासिक) उपलब्ध कराया जाए और मुश्किल में घिरे उन लोगों को भी यह राहत प्रदान की जाए जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में सोनिया ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध की इस घड़ी में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी नागरिक के समक्ष भुखमरी का संकट पैदा नहीं हो। उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के कारण देश में लाखों गरीब लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह बहुत दुखद है क्योंकि देश के पास विशाल अन्न भंडार है।' कांग्रेस अध्यक्ष ने सुझाव दिया, 'खाद्य सुरक्षा कानून के लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति 10 किलोग्राम अनाज (हर महीने) की सुविधा तीन महीने के लिए और (सितंबर तक) बढ़ा देनी चाहिए।'
7-8 लाख करोड़ रुपये का असर
देश में कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये जारी 21 दिन के ‘लॉकडाउन’ (सार्वजनिक प्रतिबंध) से अर्थव्यवस्था पर 7-8 लाख करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है। विश्लेषकों और उद्योग मंडलों ने यह अनुमान जताया है। इस देशव्यापी बंद में ज्यादातर कारखाने और व्यवसाय में कामकाज ठप है। उड़ानें निलंबित हैं, ट्रेनों का परिचालन बंद है और वाहनों तथा लोगों की आवाजाही को भी प्रतिबंधित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये 25 मार्च से 21 दिन के देशव्यापी बंद की घोषणा की। इससे 70 प्रतिशत आर्थिक गतिविधियां, निवेश, निर्यात और जरूरी वस्तुओं को छोड़कर अन्य उत्पादों की खपत थम गयी है। केवल कृषि, खनन, उपयोगी सेवाएं, कुछ वित्तीय और आईटी सेवाएं तथा जन सेवाओं को ही काम करने की अनुमति मिली है। सेंट्रम इंस्टीट्यूशनल रिसर्च ने कहा कि यह महामारी ऐसे समय आयी जब भारतीय अर्थव्यवस्था में साहसिक राजकोषीय और मौद्रिक उपायों के बाद पुनरूद्धार के संकेत दिख रहे थे। इस संकट के कारण देश फिर से 2020-21 में निम्न एकल दर के वृद्धि दर के रास्ते पर पहुंच गया है।
दो साल से बंद लोगों की रिहाई का आदेश
कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर उच्चतम न्यायालय ने असम में नजरबंदी केन्द्रों के बंदियों की रिहाई के बारे में अपनी पहले की शर्तो में ढील देते हुये सोमवार को निर्देश दिया कि विदेशी घोषित किये गये उन नजरबंदियों को रिहा किया जाये जो दो साल या इससे अधिक समय से बंद हैं। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एमएम शांतनगौडर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने 10 मई, 2019 के अपने आदेश का हवाला देते हुये नजरबंदी की अवधि तीन साल से घटाकर दो साल करने के साथ ही निजी मुचलके की राशि भी एक लाख रुपये से घटाकर पांच हजार रुपये कर दी। शीर्ष अदालत ने नजरबंदी शिविरों में बंद व्यक्तियों की रिहाई के संबंध में कुछ शर्तें लगायी थीं जिनमें ऐसे नजरबंदियों को तीन साल से अधिक इन केन्द्रों में व्यतीत करना भी शामिल था। ऐसे बंदियों को रिहाई के लिये एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही रकम की दो जमानत राशि देने की शर्त थी।
दुनिया भर में एक लाख 14 हजार 539 की मौत
दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वालों की संख्या सोमवार को एक लाख 14 हजार 539 हो गई। एएफपी द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। चीन में दिसम्बर में इस महामारी के सामने आने के बाद से 193 देशों और क्षेत्रों में 18 लाख 53 हजार 300 से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से कम से कम तीन लाख 95 हजार लोग अब तक ठीक भी हुए हैं। एएफपी ने ये आंकड़े राष्ट्रीय प्राधिकारों और विश्व स्वास्थ्य संगठन से प्राप्त सूचना के आधार पर एकत्रित किए हैं जो वास्तविक संख्या में संक्रमित मामलों की तुलना में काफी कम हो सकते हैं। कई देश केवल बेहद गंभीर मामलों की ही जांच कर रहे हैं। अमेरिका में महामारी से अब तक 22 हजार 109 लोगों की मौत हुई है और पांच लाख 57 हजार 590 लोग संक्रमित हैं। करीब 41 हजार 831 लोग इससे ठीक चुके हैं। इटली दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है जहां अब तक 19 हजार 899 लोग इस बीमारी का शिकार बने हैं और एक लाख 56 हजार 363 लोग संक्रमित हुए हैं। स्पेन में 17 हजार 489 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हुई है और एक लाख 69 हजार 496 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है। फ्रांस में 14 हजार 393 लोग काल कवलित (मरना) हुए हैं और एक लाख 32 हजार 591 लोग संक्रमित हुए हैं। ब्रिटेन में दस हजार 612 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो चुकी है और 84 हजार 270 लोग संक्रमित हुए हैं। चीन ने इस बीमारी से 3341 लोगों के मौत और 82 हजार 160 लोगों के संक्रमित होने की घोषणा की है।
- नीरज कुमार दुबे
अन्य न्यूज़