15 अगस्त की तारीख आजादी के लिए क्यों चुनी गई, जानें राष्ट्रीय पर्व से जुड़ी बड़ी बातें
हमें यह आजादी जिन संघर्षों से मिली उसके बारे में नयी पीढ़ी को बताना तो हमारा दायित्व है ही साथ ही हमें देश की वर्तमान कामयाबियों को हासिल करने के लिए की गयी मेहनत से भी लोगों को रूबरू कराना चाहिए।
जय हिन्द। आजादी की 75 वर्ष पूरे होने पर पीछे मुड़कर देखें तो स्वतंत्र होने के बाद से देश ने कई चुनौतियों से अवश्य ही बहुत संघर्ष किया लेकिन इसकी बदौलत हम हमारी आने वाली पीढ़ियों का सुनहरा भविष्य सुनिश्चित कर चुके हैं। हमें यह आजादी जिन संघर्षों से मिली उसके बारे में नयी पीढ़ी को बताना तो हमारा दायित्व है ही साथ ही हमें देश की वर्तमान कामयाबियों को हासिल करने के लिए की गयी मेहनत से भी लोगों को रूबरू कराना चाहिए। भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व पर हर भारतीय की यही कामना है कि हमारा यह प्यारा गणतंत्र स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध रहे, भारत भूमि का मान-सम्मान दुनिया में बढ़ता रहे, भारत पुनः विश्व गुरु बने, हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से तरक्की करे, भारतीय और भारतवंशी दुनिया के जिस भी कोने में रहें नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाएँ, जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में भारत अभूतपूर्व तरक्की करे और महामारी का प्रकोप इस दुनिया से खत्म हो। आज जब हम आजादी का पर्व मना रहे हैं तो आइए जानते हैं हमारे इस राष्ट्रीय पर्व से जुड़ी कुछ बड़ी बातें-
-भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली स्थित संविधान हॉल में 14 अगस्त को रात्रि 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की। इस सत्र की अध्यक्षता तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की। इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ट्रिस्ट विद डेस्टिनी यानि नियति से वादा नामक ऐतिहासिक भाषण दिया।
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-हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं। लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था।
-15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे क्योंकि उस समय वह दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं और राष्ट्रपिता उस हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
-15 अगस्त 1947 तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था। इसका फ़ैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ था।
-भारत 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था। हालाँकि रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया।
-आजादी के समय सैंकड़ों ऐसी रियासतें थीं जिनको इस बात का निर्णय करना था कि उन्हें भारत के साथ जाना है या पाकिस्तान के साथ, बाद में अधिकतर ने भारत के साथ आने का निर्णय किया।
-कभी आपके मन में यह विचार आया है कि क्यों भारत की आजादी (Independence Day) के लिए 15 अगस्त की तारीख ही चुनी गई थी? इसका जवाब हम आपको देते हैं। दरअसल ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन (Lord Mountbatten) को 30 जून 1948 तक भारत की सत्ता भारतीयों को हस्तांतरित करने का पूरा अधिकार दे दिया था। लॉर्ड माउंटबेटन को साल 1947 में भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर नियुक्त किया गया था और उन्होंने ही भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख का चयन किया था।
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-कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानता था इसीलिए उसने इस तारीख का चयन भारत की आजादी के लिए किया था। दरअसल 15 अगस्त लॉर्ड माउंटबेटन के लिए इसलिए शुभ था क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय वह संयुक्त सेना का कमांडर था और 15 अगस्त, 1945 को जापानी सेना ने उसके समक्ष आत्मसमर्पण किया था।
-15 अगस्त को भारत आजाद क्यों किया गया इसके बारे में कुछ इतिहासकारों ने यह भी कहा है कि लॉर्ड माउंटबेटन ने इस तारीख का चयन सी. राजगोपालाचारी के सुझाव पर किया। दरअसल ब्रिटिश सरकार की पहले की योजना के तहत भारत को 30 जून 1948 को आजाद किया जाना था लेकिन जिस तरह भारत में अंग्रेज हुकूमत का विरोध तेज होता जा रहा था उसको देखते हुए सी. राजगोपालाचारी ने लॉर्ड माउंटबेटन से कहा था कि अगर 30 जून 1948 तक इंतजार किया गया तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी। ऐसे में अब लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त की तारीख भारत की आजादी के लिए चुनी।
-लॉर्ड माउंटबेटन इसलिए भी परेशान था क्योंकि उस समय जिन्ना और नेहरू के बीच देश बंटवारे को लेकर मतभेद खुल कर सामने आ गये थे। जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग कर दी जिसके चलते देश के विभिन्न भागों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गये। इससे पहले कि हालात और बिगड़ते, आजादी 1948 में देने की योजना में बदलाव करते हुए 1947 में ही भारत को आजादी दे दी गयी।
-भारत की आजादी का दिन जब 15 अगस्त तय हो गया तो इसके बाद ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल (Indian Independence Bill) 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया। इस बिल में भारत के बंटवारे और पाकिस्तान के बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था। यह बिल 18 जुलाई 1947 को मंजूर हुआ और 14 अगस्त को विभाजन के बाद 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि 12 बजे भारत की आजादी का ऐलान किया गया।
-क्या आप जानते हैं कि जब लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय कर दी तो देश के ज्योतिषियों ने इसका विरोध किया। यह विरोध इसलिए हो रहा था क्योंकि यह शुभ दिन नहीं माना जा रहा था। फटाफट लॉर्ड माउंटबेटन को कुछ और तारीखों का सुझाव दिया गया लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर अड़ गये। तब ज्योतिषियों ने एक बीच का रास्ता निकाला और 14 तथा 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया गया। इससे दोनों पक्षों की बात रह गयी। अंग्रेजों के हिसाब से दिन 12 AM पर शुरू होता है और हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय होने पर नया दिन माना जाता है। इस तरह 15 अगस्त की सुबह भारत के लिए शुभ सवेरा लेकर आई।
-ज्योतिषियों ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी कहा था कि वह आजादी मिलने पर अपना ऐतिहासिक भाषण अभिजीत मुहूर्त (11:51 PM से 12:39 AM) के बीच में ही दें। नेहरू जी ने इसका पालन करते हुए अपना भाषण समय पर समाप्त कर दिया जिसके बाद शंखनाद किया गया।
-15 अगस्त 1947 को सुबह 8.30 बजे गवर्नमेंट हाउस पर गवर्नर जनरल और मंत्रियों का शपथ समारोह आयोजित किया गया, उसके बाद गवर्नर जनरल को शाही सलाम दिया गया और संवैधानिक सभा में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।
-15 अगस्त 1947 को इंडिया गेट पर झंडा समारोह आयोजित किया गया, आतिशबाजी की गयी और गवर्नमेंट हाउस पर आधिकारिक रात्रि भोज दिया गया।
-नीरज कुमार दुबे
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