ISI की संभाल चुके हैं कमान, पाकिस्तान के नये सेना प्रमुख की है इमरान खान से पुरानी दुश्मनी, लेफ्टिनेंट जनरल सैयद असीम मुनीर के बारे में यहां जानें सब कुछ
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को नए प्रमुख के रूप में घोषित करने के बाद कहा, यह योग्यता, कानून और संविधान के अनुसार है। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने गुरुवार को ट्विटर पर नियुक्ति की घोषणा की। लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
अटकलों और विवादों के बीच लेफ्टिनेंट-जनरल सैयद असीम मुनीर (Lieutenant-General Syed Asim Munir) को पाकिस्तान (Pakistan) के अगले सेना प्रमुख के रूप में नामित किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल यकीनन देश के सबसे शक्तिशाली पद पर काबिज होंगे। वह 29 नवंबर को निवर्तमान जनरल कमर जावेद बाजवा (General Qamar Javed Bajwa) से बागडोर लेकर अपने हाथों में संभालेंगे। जनरल बाजवा अपने छह साल के कार्यकाल के अंत के बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सेना और पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के बीच एक उग्र विवाद चल रहा है। इमरान खान ने आरोप लगाया था कि पाकिस्तान में उनके पद को छीनने के लिए देश की सेना ने ही साजिश रची थी।
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नये पाकिस्तान सेना अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर के राजनीतिक लिंक
रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को नए प्रमुख के रूप में घोषित करने के बाद कहा, यह योग्यता, कानून और संविधान के अनुसार है। सूचना मंत्री मरियम औरंगजेब ने गुरुवार को ट्विटर पर नियुक्ति की घोषणा की। लेफ्टिनेंट जनरल साहिर शमशाद ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालेंगे।
इससे पहले गुरुवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कैबिनेट की बैठक बुलाई और शीर्ष सैन्य पद के लिए छह उम्मीदवारों की सूची में से लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को चुना। लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर और लेफ्टिनेंट जनरल शमशाद के नाम राष्ट्रपति आरिफ अल्वी की मंजूरी के लिए भेजे गए हैं। अल्वी पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर भी हैं और विपक्षी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के हैं, जिसके प्रमुख इमरान खान हैं। पीटीआई के आधिकारिक हैंडल ने कहा कि इमरान खान और अल्वी दोनों "संविधान और कानून के अनुसार कार्य करेंगे"।
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इमरान से क्यों है दुश्मनी
पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट नजम सेठी ने ले. जनरल मुनीर को उनके पद से क्यों हटाया गया, इसका खुलासा एक इंटरव्यू में किया था। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया था कि जिस समय जनरल मुनीर, डीजी आईएसआई थे तो उस समय उन्होंने इमरान से कहा था कि पंजाब प्रांत के अंदर हालात बेहद खराब हैं। यहां पर उन्होंने, इमरान को सारी स्थिति के बारे में विस्तार से बताया था। ले. जनरल मुनीर ने पूर्व पीएम से कहा था कि अगर यहां पर नेतृत्व में परिवर्तन नहीं किया गया तो फिर सेना और सरकार के लिए परेशानियां पैदा हो सकती हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर की एक लंबी यात्रा
1- लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर 1947 से पाकिस्तान के 17वें सेना प्रमुख होंगे। मंगला में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल के 17वें कोर्स से स्नातक, उन्हें फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने सैन्य करियर की शुरुआत 1986 में की थी।
2- सितंबर 2018 में लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को तीन सितारा जनरल के पद पर पदोन्नत किया गया था। दरअसल, लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में उनका चार साल का कार्यकाल 27 नवंबर को खत्म हो रहा है।
3- वर्तमान में लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर रावलपिंडी में जीएचक्यू में क्वार्टर मास्टर जनरल के रूप में तैनात हैं - सभी सैन्य इकाइयों के लिए आपूर्ति की देखरेख का प्रभार संभाला था।
4- 2017 की शुरुआत में, उन्हें सैन्य खुफिया महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया और 21 महीने तक इस पद पर रहे। अक्टूबर 2018 में, उन्हें देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था।
5- पद से हटाए जाने से पहले उन्होंने केवल आठ महीने के लिए ISI प्रमुख के रूप में कार्य किया। यह वह समय था जब फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के 40 जवानों की जान लेने वाले पुलवामा हमले में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था।
6- रिपोर्टों में कहा गया है कि उन्हें तत्कालीन पीएम इमरान खान के अनुरोध पर बाजवा द्वारा आईएसआई प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। खान ने लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर की जगह लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद को नियुक्त किया, जिन्हें खान का विश्वासपात्र माना जाता है।
7- लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर दो साल के लिए गुजरांवाला कॉर्प्स कमांडर के पद पर भी तैनात रहे। यहीं से उन्हें जीएचक्यू, रावलपिंडी में उनकी वर्तमान पोस्टिंग में स्थानांतरित कर दिया गया था।
8- वह स्वॉर्ड ऑफ ऑनर के धारक हैं और उन्हें मार्च 2018 में हिलाल-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया था।
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