बिहार में लॉकडाउन बना मौत का मातम, मां की गोद में बच्चे की रुक गयीं सांसें
शुभम यादव । Apr 11 2020 6:09PM
जहानाबाद के सरकारी अस्पताल में किसी भी सरकारी नुमाइंदे ने एम्बुलेंस उपलब्ध कराने में गरीब दंपत्ति की मदद नहीं की। आखिरकार दर-ब-दर भटकने के बाद मां बच्चे को गोद में लेकर ही दौड़ती रही। मासूम बच्चे के पिता ने कई लोगों से मदद करने की अपील की लेकिन किसी ने भी मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया।
सरकारी दावों और जनता तक सारी मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने का वादा खोखला साबित होता नजर आता है, जब एक बच्चे की सांसे उसकी मां की गोद में ही टूट जाती है, क्योंकि लाॅकडाउन के बीच बीमार बच्चे को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पाई।
मामला बिहार के जहानाबाद जिले का है, जहां सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस ऐसे इमरजेंसी हालातों में भी उपलब्ध नहीं हो पाई। एक गरीब दंपत्ति अपने 3 साल के बेटे के लिए दर-दर भटकते रहे। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचने की कोशिश में मां का कलेजा पिघला तो अपने लाल को गोद में उठाकर ही अस्पताल के लिए दौड़ लगा दी। आखिरकार मां की दौड़ से बच्चे की सांसे ज्यादा तेज निकलीं। मासूम की दर्दनाक मौत उसकी मां की गोद में ही हो गई।
बिहार के ये गरीब दंपत्ति जहानाबाद के सदर अस्पताल में अपने 3 साल के बच्चे की तबीयत खराब होने पर लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए जहानाबाद से पटना के सरकारी हॉस्पिटल में रेफर कर दिया।
जहानाबाद के सरकारी अस्पताल में किसी भी सरकारी नुमाइंदे ने एम्बुलेंस उपलब्ध कराने में इनकी मदद नहीं की। आखिरकार दर-ब-दर भटकने के बाद मां बच्चे को गोद में लेकर ही दौड़ती रही। मासूम बच्चे के पिता ने कई लोगों से मदद करने की अपील की लेकिन किसी ने भी मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। बच्चे की हालत और भी गंभीर होती गई, आखिरकार बच्चे ने दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रशासन की ऐसी हरकत पर उठे सवाल?
जहानाबाद जिला कलेक्टर नवीन कुमार से जब इस मामले पर सवाल उठाए गए एवं अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही पर संज्ञान लेने को कहा गया तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है। तत्काल कार्रवाई करते हुए अस्पताल के हेल्थ मैनेजर को सस्पेंड कर दिया है।
क्षेत्रीय लोगों की मदद से पहुंचाया गया घर
आखिरकार बेबस मां और पिता अपने मासूम बच्चे की लाश लिए भटक रहे थे। पत्रकारों के द्वारा क्षेत्र के लोगों को सूचित कर मजबूर और बेसहारा दंपत्ति की मदद की गई और इन्हें घर तक पहुंचाया गया।
लाॅकडाउन के बीच इस तरह की तस्वीर निकल कर सामने आने पर सरकार के खिलाफ भी सवाल खड़ा होना लाजमी है। बिहार सरकार कोरोनावायरस को लेकर जितना एक्टिव नजर आ रही है, उतना ही स्वास्थ्य से जुड़े सभी मामलों पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है।
मामला बिहार के जहानाबाद जिले का है, जहां सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस ऐसे इमरजेंसी हालातों में भी उपलब्ध नहीं हो पाई। एक गरीब दंपत्ति अपने 3 साल के बेटे के लिए दर-दर भटकते रहे। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पहुंचने की कोशिश में मां का कलेजा पिघला तो अपने लाल को गोद में उठाकर ही अस्पताल के लिए दौड़ लगा दी। आखिरकार मां की दौड़ से बच्चे की सांसे ज्यादा तेज निकलीं। मासूम की दर्दनाक मौत उसकी मां की गोद में ही हो गई।
बिहार के ये गरीब दंपत्ति जहानाबाद के सदर अस्पताल में अपने 3 साल के बच्चे की तबीयत खराब होने पर लेकर गए। जहां डॉक्टरों ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए जहानाबाद से पटना के सरकारी हॉस्पिटल में रेफर कर दिया।
जहानाबाद के सरकारी अस्पताल में किसी भी सरकारी नुमाइंदे ने एम्बुलेंस उपलब्ध कराने में इनकी मदद नहीं की। आखिरकार दर-ब-दर भटकने के बाद मां बच्चे को गोद में लेकर ही दौड़ती रही। मासूम बच्चे के पिता ने कई लोगों से मदद करने की अपील की लेकिन किसी ने भी मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। बच्चे की हालत और भी गंभीर होती गई, आखिरकार बच्चे ने दम तोड़ दिया।
अस्पताल प्रशासन की ऐसी हरकत पर उठे सवाल?
जहानाबाद जिला कलेक्टर नवीन कुमार से जब इस मामले पर सवाल उठाए गए एवं अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही पर संज्ञान लेने को कहा गया तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही है। तत्काल कार्रवाई करते हुए अस्पताल के हेल्थ मैनेजर को सस्पेंड कर दिया है।
क्षेत्रीय लोगों की मदद से पहुंचाया गया घर
आखिरकार बेबस मां और पिता अपने मासूम बच्चे की लाश लिए भटक रहे थे। पत्रकारों के द्वारा क्षेत्र के लोगों को सूचित कर मजबूर और बेसहारा दंपत्ति की मदद की गई और इन्हें घर तक पहुंचाया गया।
लाॅकडाउन के बीच इस तरह की तस्वीर निकल कर सामने आने पर सरकार के खिलाफ भी सवाल खड़ा होना लाजमी है। बिहार सरकार कोरोनावायरस को लेकर जितना एक्टिव नजर आ रही है, उतना ही स्वास्थ्य से जुड़े सभी मामलों पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है।
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