कोलकाता के इस मंदिर में माँ काली की पूजा करता है चीनी समुदाय, प्रसाद में भक्तों को मिलती है नूडल्स

Chinese Kali Temple
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एकता । Sep 28 2022 5:38PM

आज हम आपको कोलकाता के एक ऐसे काली मंदिर के बारे में बताएँगे, जहाँ प्रसाद के रूप में भक्तों को नूडल्स दी जाती हैं। इतना ही नहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी की इस मंदिर में माँ काली की पूजा अर्चना चीनी लोगों द्वारा की जाती है।

देशभर में इन दिनों नवरात्रि की धूम देखने को मिल रही है। लोग बड़े जोश और उत्साह के साथ माँ दुर्गा और उनके नौ स्वरूप की पूजा अर्चन करने में लगे हुए हैं। नवरात्रि का त्यौहार देश के हर राज्य ने बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में इसका अलग ही भव्यता देखने को मिलती है। बंगाल में माँ दुर्गा के पंडाल लगाए जाते हैं और उनकी भव्य तरीके से उपासना भी की जाती है। ऐसे में आज हम आपको कोलकाता के एक ऐसे काली मंदिर के बारे में बताएँगे, जहाँ प्रसाद के रूप में भक्तों को नूडल्स दी जाती हैं। इतना ही नहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी की इस मंदिर में माँ काली की पूजा अर्चना चीनी लोगों द्वारा की जाती है।

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चीनी समुदाय ने बनवाया था मंदिर

माँ काली के इस मंदिर को चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर कोलकाता से 12 किमी दूर टांग्रा शहर में मौजूद है। टांग्रा शहर में अधिकतर चीनी लोग रहते हैं, इसलिए यह शहर चाइना टाउन के नाम से भी मशहूर है। टांग्रा शहर के चीनी समुदाय द्वारा ही इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था और आज भी इसका रख रखाव उन्हीं के द्वारा किया जाता है। इस मंदिर की ख़ास बात यह है कि यहां भक्तों को प्रसाद के तौर पर नूडल्स दिए जाते हैं। इसके अलावा मंदिर में आए भक्त हाथ से बने एक पेपर को जलाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।

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मंदिर से जुड़ी प्रचलित कथा

प्रचलित कथा के अनुसार, 60 साल पहले यहाँ कोई मंदिर नहीं था, बस एक पेड़ था और उसके नीचे कुछ काले पत्थर रखे हुए थे। इन पथरों को लोग देवी माँ का प्रीतक मानकर पूजते थे। एक दिन एक चीनी लड़का बीमार हो गया, बहुत कोशिशों के बाद भी उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो उसके परिवार वाले पेड़ के नीचे स्थित माता की पूजा करने लगे। परिवार की पूजा के करने के बाद लड़का ठीक हो गया और उस दिन से चीनी लोगों को देवी माँ की शक्तियों पर भरोसा हो गया। इस घटना के कुछ समय बाद समुदाय द्वारा यहाँ पर मंदिर का निर्माण करवाया गया, जिसे आज चाइनीज काली मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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