हिमंत बिस्व सरमा के आह्वान को मिला असम की जनता का समर्थन, राष्ट्रविरोधियों के खिलाफ खड़ा हुआ मुस्लिम समाज

Himanta Biswa Sarma
ANI

गोवालपारा के पुलिस अधीक्षक वीवी राकेश रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि मटिया थानाक्षेत्र के पखिउरा चार में इस मदरसे और उससे सटे मकान का दो बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा कथित रूप से जिहादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।

गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हाल ही में आह्वान किया था कि यदि स्थानीय मदरसों में राज्य के बाहर का कोई मौलवी या इस्लामी शिक्षक आकर तालीम देने लगे तो पुलिस को सूचित करें क्योंकि ऐसे लोग राष्ट्रविरोधी तत्व हो सकते हैं। सरमा के इस आह्वान का जनता ने स्वागत किया और पुलिस को तमाम ऐसी सूचनाएं दी जा रही हैं जिससे राष्ट्रविरोधी लोगों की धरपकड़ तेजी से हो रही है। यही नहीं अब तो जनता ने राष्ट्रविरोधी गतिविधियों का अड्डा बने मदरसों को ढहाना भी शुरू कर दिया है। जी हाँ, असम के गोवालपारा जिले में स्थानीय लोगों ने एक मदरसे और उससे सटे एक मकान को जिहादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किये जाने के विरोध में मंगलवार को ढहा दिया।

गोवालपारा के पुलिस अधीक्षक वीवी राकेश रेड्डी ने संवाददाताओं से कहा कि मटिया थानाक्षेत्र के पखिउरा चार में इस मदरसे और उससे सटे मकान का दो बांग्लादेशी नागरिकों द्वारा कथित रूप से जिहादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि दोनों बांग्लादेशी नागरिक फिलहाल फरार हैं। पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘‘स्थानीय लोगों ने मदरसे को ध्वस्त करने की पहल की है। पुलिस और जिला प्रशासन इस घटना में शामिल नहीं है।’’ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘स्थानीय लोगों ने जिहादी गतिविधियों के प्रति तीखी नाराजगी जताते हुए स्वेच्छा से मदरसे और उससे सटे मकान को ढहा दिया।’’ उन्होंने बताया कि फरार बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान अमीनुल इस्लाम उर्फ उस्मान उर्फ मेहदी हसन और जहांगीर आलम के रूप में की गयी है तथा दोनों भारतीय उपमहाद्वीप में सक्रिय अल कायदा के संगठन (एक्यूआईएस)/अंसारुल बांग्ला टीम (एबीटी) के सदस्य हैं। बताया जा रहा है कि मदरसे के मौलवी जलालुद्दीन शेख की गिरफ्तारी के बाद ही राष्ट्र विरोधी गतिविधि के लिए मदरसा परिसर के इस्तेमाल के बारे में पता चला था।

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पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार मौलवी जलालुद्दीन शेख ने कथित तौर पर दोनों बांग्लादेशी नागरिकों को दरोगर अलगा पखिउरा चार मदरसा के शिक्षकों के रूप में नियुक्त किया था। उनके मुताबिक हाल ही में मौलवी को दोनों बांग्लादेशी नागरिकों के साथ संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हम आपको बता दें कि यह असम में ढहा दिया जाने वाला चौथा मदरसा है। 

इस बीच, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि राज्य सरकार को शिक्षण संस्थानों पर बुलडोजर नहीं चलाना चाहिए। बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को ध्वस्त करना सही नहीं है, चाहे वह मदरसा हो या कोई अन्य शैक्षणिक या धार्मिक संस्थान। बदरुद्दीन अजमल ने कहा, ‘‘यदि कोई 'जिहादी' पाया जाता है, तो राज्य को मामले की उचित जांच करनी चाहिए और देश के कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।'' अजमल ने कहा कि अगर कोई अदालत विध्वंस का आदेश देती है, तो यह ठीक है लेकिन अचानक किसी भी संस्थान को ढहाना स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’’

उधर, असम के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) भास्कर ज्योति महंत ने कहा है कि राज्य में कुछ मदरसों के शिक्षकों के ‘‘आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध पाए जाने’’ के हालिया मामलों के बीच, राज्य के ऐसे सभी संस्थानों को अपने मूल निकायों एवं स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है। महंत ने कहा कि राज्य के अधिकतर मदरसों का संचालन करने वाले चार मुख्य संगठनों को छह महीने के भीतर इस प्रकार के धार्मिक शिक्षण संस्थानों का सर्वेक्षण करने को कहा गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूर्वोत्तर राज्य में इस समय 3,000 से अधिक पंजीकृत और गैर-पंजीकृत मदरसे संचालित किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि आतंकवादी संगठनों से संबंध के संदेह में पिछले कुछ महीनों में शिक्षकों की गिरफ्तारी के बाद से ये संस्थान जांच के दायरे में आ गए हैं।

डीजीपी ने इस्लामी समुदाय के नेताओं के साथ बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘‘अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट’ (एक्यूआईएस) और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) जैसे संगठनों के कट्टरपंथी तत्व यहां अपनी सोच लागू करना चाहते हैं और यह वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में चिंता का विषय है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कट्टरपंथी ताकतें राज्य में मुसलमानों को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन समुदाय ने कुल मिलाकर सहयोग किया है और आबादी का बहुत छोटा हिस्सा इन कट्टरपंथी सिद्धांतों के झांसे में आ रहा है।’’

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महंत ने कहा, ‘‘मदरसों को संचालित करने वाले संगठनों के पहले से ही कुछ अपने दिशानिर्देश हैं। हमने कुछ और अतिरिक्त नियम प्रस्तावित किए हैं और मुस्लिम संगठनों ने हमारे सुझावों का समर्थन किया है।’’ डीजीपी ने कहा, ‘‘हमने उनसे छात्रों की भलाई के लिए मदरसों में धार्मिक शिक्षा देने के साथ-साथ सामान्य विषयों को भी पढ़ाने का आग्रह किया है।’’ अधिकारी ने बताया कि सरकार जल्द ही एक पोर्टल शुरू करेगी, जिसमें सभी मदरसों को अपना पता, शिक्षकों का नाम एवं पता और दिए जाने वाले वेतन की जानकारी उपलब्ध करानी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में राज्य में आतंकवादी संगठनों से कथित तौर पर जुड़े 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

उधर, पुलिस के साथ बैठक के बाद इस्लामी समुदाय के नेताओं ने पत्रकारों से बात करते हुए असम पुलिस की पहल का स्वागत किया और कहा कि एक ‘नया माहौल’ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह बैठक ‘‘राष्ट्र विरोधी तत्वों को उखाड़ फेंकने की दिशा में पहला कदम’’ है।

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