एक अंग्रेज ने धन्यवाद कहकर भोपाल के व्यापारियों को दी अपनी मातृभाषा हिंदी को सम्मान देने की प्रेरणा
बाजार की एक भी दुकान है ऐसी नहीं है जिसका अंग्रेजी में नाम लिखा हो शब्द भले ही अंग्रेजी के हैं, लेकिन उन्हें हिंदी भाषा में ही लिखा गया है जैसे मेडिकल, मोबाइल, सैलून क्लीनिक सहित अन्य दुकानों के नाम हिंदी में ही लिखे हुए हैं।
भोपाल में हुए विश्व हिंदी सम्मेलन ने भोपाल के व्यापारियों की अपनी राष्ट्रभाषा मातृभाषा के प्रति नजरिया ही बदल कर रख दिया। यही कारण है कि तत्कालीन शिवराज सरकार ने विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान भोपाल के सभी व्यापारियों से अपने व्यावसायिक स्थानों पर हिंदी में ही साइन बोर्ड लगाने का अपील की थी। यही नहीं नगर निगम भोपाल ने भी इस अभियान को चलाते हुए भोपाल के बाजारों में दुकानदारों की पहचान वाले बोर्ड भी हिंदी में तथा एक ही रंग में लगाने को लेकर व्यापारियों को जागृत किया। जिसका एक उदाहरण भोपाल का 6 नंबर स्थित सुभाष मार्केट है। जहां हर दुकान पर लगे बोर्ड हिंदी में ही लगे हैं।
यही नहीं यहां के व्यापारी संघ ने यह निर्णय भी लिया है की वह अपने ग्राहकों से हिंदी में ही बात करेंगे तथा उनके बिल भी हिंदी में ही बनाएंगे बाजार के 56 व्यापारियों ने 5 साल पहले एक संकल्प लिया की दुकानों पर आने वाले ग्राहकों से हिंदी में ही बात करेंगे तथा जो हिंदी में वार्तालाप करेगा उनका सम्मान भी करेंगे। भोपाल के 6 नम्बर स्थित सुभाष मार्केट 31 साल पुराना है। अब इस छोटे से बाजार की पहचान हिंदी बाजार के रूप में बन चुकी है। बाजार में दुकानें शुरू होते ही बड़ा बोर्ड लगाया गया है। जिसमें हिंदी में ही वेलकम लिखवाया है। भोपाल के सुभाष मार्केट व्यापारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश रावत बताते हैं कि सभी व्यापारी ग्राहकों से हिंदी में ही बात करते हैं। शुरुआत में ग्राहकों से हिंदी में बोलने की अपील की गई, जो ग्राहक अंग्रेजी बोलते थे उन्हें जागरूक करने के लिए रोको टोको अभियान चलाया गया। दो महीने तक लगातार अभियान चलाकर लोगों को हिंदी का प्रयोग करने के प्रति जागरूक किया गया। अभी जब कोई ग्राहक जायदा अंग्रेजी में बात करता है तो उसे यही कहते हैं कि कृपया हिंदी में बात कीजिए।
इसे भी पढ़ें: सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी देश को एकता की डोर में बांध सकती है: अमित शाह
सुभाष मार्केट व्यापारी संघ के सचिव राजेंद्र हेमनानी बताते हैं कि, एक बार मार्केट में एक अंग्रेज उपभोक्ता आया उसने एक दवाई मांगी मैंने उसे दवाई दी तो उसने कहा "धन्यवाद" इस पर मुझे लगा कि जब विदेशी भारत आकर हिंदी बोलते हैं तो हम क्यों थैंक यू कहते हैं। वही भोपाल में विश्व स्तरीय हिंदी सम्मेलन हुआ जिसमें इस बाजार के व्यापारी भी गए थे। वहां हमने देखा और साझा किया कि जब चीन, रूस, फ्रांस सहित अन्य देशों के लोग अपनी भाषा, मातृभाषा बोलते हैं, तो हम हिंदुस्तान में रहकर हिंदी बोलने लिखने में संकोच शर्म महसूस क्यों करते हैं। इसके बाद बाजार में कामकाज के लिए हिंदी का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
अन्य न्यूज़