किसी जन्नत से कम नहीं है हिमाचल का नारकंडा

Narkanda

कोरोना वायरस के चलते, इस साल पर्यटन सेवा पूरी तरह से बंद है। ऐसे में शिमला और उसके आसपास के क्षेत्रों में आजकल काफी कम संख्या में लोग दिख रहे हैं। आप आसानी से शिमला से नारकंडा 2 घंटे में पहुंच सकते हैं। पहाड़ों की रानी शिमला से नारकंडा की दूरी महज 65 किलोमीटर है।

शायद ही ऐसा कोई शख्स होगा जिसे पहाड़ों से मोहब्बत ना हो। और विशाल पहाड़ों व प्राकृतिक खूबसूरती के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है हिमाचल प्रदेश। सफेद व बर्फ़ से ढका शिमला भी आकर्षण का केंद्र है। हिमाचल में स्थित शिमला को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है। यह प्रदेश की राजधानी के साथ-साथ सबसे बड़ा शहर भी है। हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक शिमला आते हैं। शिमला के आलावा मनाली भी पर्यटकों को बहुत भाता है। नार्थ इंडिया मे सर्दी हो चाहे गर्मी हर सीज़न मे लोग शिमला और मनाली घूमने जाना पसंद करते हैं।

इसे भी पढ़ें: भारत की इन जगहों पर ले सकते हैं हॉट एयर बैलून का मजा

लेकिन एक ऐसी खूबसूरत जगह है जहां शिमला के मुकाबले कम भीड़ और ज्यादा ताज़गी मिलेगी और वह है “नारकंडा”। जी हां, एक ऐसा छोटा शहर जो हिमालय की गोद में बसा है और अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और देश के सबसे पहले स्कीइंग डेस्टिनेशन के लिए जाना जाता है। नारकंडा समुद्र तल से 2,700 मीटर की ऊंचाई पर बसा है, जिसके चारों ओर पर्वत की श्रृंखला और हरियाली है। इस जगह को फलों का कटोरा भी कहा जाता है। यहां पर आप स्कीइंग के साथ-साथ ट्रैकिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं। साथ ही जंगली ताड़ के पेड़, लैवेंडर के सफ़ेद फूल भी देखने को मिलते हैं जो नारकंडा की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। इसलिए नारकंडा पूरे साल पर्यटकों के लिए एक परफेक्ट टूरिस्ट डेस्टिनेशन बना रहता है। 

कैसे पहुंचे नारकंडा?

कोरोना वायरस के चलते, इस साल पर्यटन सेवा पूरी तरह से बंद है। ऐसे में शिमला और उसके आसपास के क्षेत्रों में आजकल काफी कम संख्या में लोग दिख रहे हैं। आप आसानी से शिमला से नारकंडा 2 घंटे में पहुंच सकते हैं। पहाड़ों की रानी शिमला से नारकंडा की दूरी महज 65 किलोमीटर है। इसके साथ ही नारकंडा पहुंचने के लिए सभी साधन उपलब्ध हैं। अगर आप फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो निकटतम एयरपोर्ट भुंतर पहुंच सकते हैं। भुंतर एयरपोर्ट से नारकंडा हिल स्टेशन की दूरी लगभग 82 कि.मी. है। अगर आप ट्रेन से आने का मन बना रहें हैं तो सबसे नज़दीक रेलवे स्टेशन शिमला है। यहां से आपको टैक्सी मिल सकती है और यदि आप बस से आना चाहते हैं तो वो भी आसानी से उपलब्ध है। 

घूमने का सबसे अच्छा समय-

वैसे तो पहाड़ों की सैर कभी भी किसी भी मौसम में की जा सकती है लेकिन यहां ज्यादातर लोग सर्दियों में आना पसंद करते हैं। सर्दियों में बर्फ के ढके होने के कारण, यह जगह स्कीइंग डेस्टिनेशन से मशहूर है। गर्मियों में भी यहां का मौसम काफी अनुकूल होता है क्योंकि तब सर्दियों के मुकाबले कम भीड़ होती है। ठंड के मौसम में आप नवंबर से लेकर फरवरी तक और गर्मियों के दिनों में आप अप्रैल और मई के महीने में यहां का ट्रिप लगा सकते हैं। 

इसे भी पढ़ें: भारत के इन एम्यूजमेंट पार्क में घूमने का अपना एक अलग ही है आनंद

घूमने के लिए कहां जाएं?

यदि आप नारकंडा की खूबसूरती को करीब से देखना चाहते हैं तो आप शिमला से नारकंडा की दूरी सड़क से तय करें। यह आपको एक अनोखा और सुखद अनुभव देगा। नारकंडा की सड़कों पर आपको चेरी, सेब और देवदार के पेड़ देखने को मिल जाएंगे। साथ ही ठानेधार जगह सेब के बगीचों के लिए मशहूर है। और जिन्हें बर्फ़ और पहाड़ों के बीच अच्छा लगता है वह कोटगढ़ घाटी को देखने आते हैं। कोटगढ़ और ठानेधार नारकंडा से 17 कि.मी. की दूरी पर हैं।

इसके अलावा और भी स्थान हैं जो नारकंडा में घूमने के लिए फेमस हैं। आइये नज़र डालते हैं-

हाटू पीक-

नारकंडा की सबसे मशहूर जगहों में से एक है हाटू पीक-भीम। इस जगह पर हाटू माता का मंदिर है। यह सबसे ऊंचाई पर स्थित है जो कि समुद्र तल से करीब 12,000 फुट ऊपर है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी हाटू माता की भक्त थीं और उन्होंने ही इस मंदिर को बनवाया था। यहां पर आप हिमालय की सभी दिशाओं का दर्शन कर सकते हैं। यह नारकंडा से 6 कि.मी. दूर है। इसके साथ ही इस जगह पर आप स्कीइंग का भी आनंद ले सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: भारत में यहां 12 मास देखी जा सकती है बर्फबारी, मिनी स्विट्जरलैंड के नाम से है मशहूर!

भीम का चूल्हा-

हाटू पीक के पास में ही भीम का चूल्हा भी है जो कि हाटू मंदिर से 500 मीटर आगे है। इनके बारे में ट्रैवल एक्सपर्ट का कहना है कि पांडवों को जब अज्ञातवास मिला था तो वह चलते-चलते इसी जगह पर रूके थे और खाना भी यहीं बनाया था। 

नारकंडा का बाज़ार- 

प्रकृति के नज़ारों के बीच घूमते-घूमते आप नारकंडा के बाज़ार में टहल सकते हैं। यहां का बाज़ार उतना ही है जितनी की एक सड़क। इस बाज़ार में छोटी-छोटी दुकानें हैं जिनमें छोले-पूरी से लेकर कीटनाशक दवाइयां मिलती हैं। अगर आपको नारकंडा के सेबों का स्वाद चखना है तो बागान के मालिक से पूछकर तोड़ सकते हैं।

- शैव्या शुक्ला

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़