मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व एवं चम्बल सफारी का मज़ा एक साथ ले सकेंगे पर्यटक

mukundara-hills-tiger-reserve

मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व रास्ट्रीय राज मार्ग 12 पर स्थित है। रास्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 249.41 वर्ग किलोमीटर है जब कि बाघ परियोजना का क्षेत्रफल 759.99 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 417.17 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कोर क्षेत्र है एवं 342.82 बफर जोन क्षेत्र है।

पर्यटकों एवं वन्यजीव प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है अब जल्द ही देश का एक और मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व के चार जॉन देखने के लिए खोल दिया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक फरवरी तक इसकी अनुमति मिल सकती है।

टाइगर रिजर्व धोषित होने के बाद इसमें अबतक 4 बाघ छोड़ें जा चुके हैं। रिजर्व के सेल्जर क्षेत्र में एक हैक्टेयर में एक एनक्लोजर एवं 28 हैक्टेयर में एक अन्य एनक्लोजर सावन भादो क्षेत्र में बनाया गया है। यहां छोड़े गए बाघों की गतिविधियों पर कुछ दिन नजर रखी जा रही है, जब वे यहां के वातावरण में पूरी तरह से ढल जाएंगे तो उन्हें खुला छोड़ दिया जाएगा। जनवरी में बाघ-बाघिन का एक और लाने की कोशिश है। इसके बाद यहां 6 बाघ हो जाएंगे।

इसे भी पढ़ें: सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है चाय के बागानों का शहर मुन्नार

दरा, रावठ, बोराबस, कोलीपुरा चार ज़ोन के रिजर्व बफर जोन में पर्यटकों के लिए रोड नेट वर्क का कार्य जनवरी तक पूर्ण होने की आशा है।

अभी तक करीब 80 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है। रिजर्व में भृमण के लिए मोरुकलां से प्रवेश देने की तैयारी है। पर्यटक करीब 25 किमी क्षेत्र में टाइगर एवं अन्य वन्यजीव देख सकेंगे। मार्ग में बर्ड वाचिंग के साथ साथ तालाब के किनारे कई पशु देखने को मिलेंगे।

मुकुन्दरा इको विकास समिति के माध्य्म से पर्यटक वाहनों का पंजीकरण किया जाएगा। पशु-पक्षियों की जानकारी देने के लिए 50 नेचर गाइड की भर्ती भी की जाएगी। इस से स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। आस पास के क्षेत्र में सवाईमाधोपुर अभययारय की तरह पर्यटक सुविधाओं का विकास होगा। 

मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व राष्ट्रीय राजमार्ग 12 पर स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्रफल 249.41 वर्ग किलोमीटर है जब कि बाघ परियोजना का क्षेत्रफल 759.99 वर्ग किलोमीटर है। इसमें 417.17 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कोर क्षेत्र है एवं 342.82 बफर जोन क्षेत्र है।

घना जंगल, पहाड़, झरने, पोखर, तालाब और सदानीरा चम्बल और प्रकृति की गोद में पलते सैकड़ों प्रजाति के वन्यजीव जैसा स्थान बाघों की बसावट के लिए मुकुन्दरा सुरक्षित, अनुकूल और आदर्श जगह है।  इस अनूठे रिजर्व में वन्यजीव, वनस्पति, पुरा सम्पदा पर्यटकों को आकर्षित करती है। 

वनस्पति एवं जैव विविधता इसकी विशेषता है। इसमें शुष्क, पतझड़ी वन, पहाडिय़ां, नदी, घाटियों के बीच तेंदू, पलाश, बरगद, पीपल, महुआ, बेल, अमलताश, जामुन, नीम, इमली, अर्जुन, कदम, सेमल और आंवले के वृक्ष पाये जाते हैं। यहां करीब 800 से 1000 चीतल, 50 से 60 के मध्य भालू, 60 से 70 पैंथर व 60 से 70 सांभर हैं। चम्बल नदी किनारे बघेरे, भालू, भेडिय़ा, चीतल, सांभर, चिंकारा, नीलगाय, काले हरिन, दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ प्राणी भी देखने को मिलते हैं। विशेष प्रजाति का गगरोनी तोता यहां पाया जाता है जिसकी कंठी लाल रंग की एवं पंख पर लाल रंग का धब्बा होता है। इसे हीरामन तोता कहा जाता है। वन विभाग ने इसे झालवाड़ जिले का शुभंकर घोषित किया है।

पर्यटक मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 25 किलोमीटर जंगल की सैर के साथ चंबल की सफारी भी कर सकेंगे। पर्यटकों को चंबल में बोटिंग करवाई जाएगी। जवाहर सागर से भैंसरोडगढ़ तक बोट में सवार होकर चंबल के सौन्दर्य को नजदीक से निहार सकेंगे और साथ ही जंगल के दिलचस्प नजारों को आप कैमरें में कैद कर सकेंगे। यहां आपको ऐसे नजारे देखने को मिलेंगे की आज तक आपने देखे ही नहीं होंगे। मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघ आने के बाद हाड़ौती में पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। इसके अलावा स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिलेगा। आने वाले समय में हाड़ौती पूरे देश में पर्यटन सर्किल के रूप के उभरेगा। यह रिजर्व अन्य टाइगर रिजर्वों से कहीं अधिक खूबसूरत, बड़ा और समृद्ध है। यह पहला टाइगर रिजर्व है, जहां लोगों को जंगल और जल दोनों मार्गों की यात्रा का अवसर मिलेगा। टाइगर रिजर्व के विकास के लिए 29 करोड़ का बजट स्वीकृत हो चुका है, 8 करोड़ मिलना शेष है। इसके अलावा 130 करोड़ केंपा फंड से मिलेंगे। 

इसे भी पढ़ें: चले आइए पहाड़ियों पर बसे भोपाल में, तहज़ीब भरे इस शहर में बहुत कुछ है

मुकुन्दरा हिल्स को राष्ट्रीय पार्क का दर्जा देने के लिए 9 जनवरी 2012 को अधिसूचना जारी की गई। जवाहर सागर अभयारण्य, चंबल घड़ियाल अभयारण्य, दरा अभयारण्य के कुछ भाग लगभग 199.51 वर्ग क्षेत्र को मिलाकर राज्य का तीसरा राष्ट्रीय पार्क बनाने की घोषणा की गई एवं 10 अप्रैल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह राजस्थान का तीसरा टाइगर रिजर्व बनगया है। रणथंभौर एवं सरिस्का पहले से टाइगर रिजर्व हैं। उल्लेखनीय है कि मुकुन्दरा हिल में 1955 में दरा वन्य जीव अभयारण्य की स्थापना की गई थी। 

अभयारण्य क्षेत्र में कोटा के शासक मुकुंद सिंह द्वारा स्थापित मुकुंद सिंह के महल एवं पहाड़ी की चोटी पर स्थित अबली मीणी का महल एवं इसके समीप ही गुप्तकालीन मंदिर भीम चौरी के अवशेष हैं। चित्तौड़गढ़ जिले में रावतभाटा के समीप प्राचीन बाडोली का प्रसिद्ध शिव मंदिर समूह है। राजस्थान का पहला मंदिर जिस पर निर्माण की तिथि अंकित है। पहाड़ियों में कोटा के राव रावठा गांव में रावठा महल दर्शनीय हैं। मुकुंदरा पहाड़ियों के शैलाश्रयों में आदिमानव द्वारा चित्रित शैलचित्र मिलते हैं। अभयारण्य क्षेत्र में रामसागर व झामरा नामक स्थानों पर जंगली जानवरों के अवलोकन के लिए अवलोकन ओदिया बनाई गई हैं। मुकुंदरा अभयारण्य से चंबल, काली सिंध, आहू, आमझर नदियाँ जुड़ी हुई हैं।

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

लेखक एवं पत्रकार

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़