साइबर अटैक से भारत की सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ ने बताये यह महत्वपूर्ण उपाय
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने एम्स प्रणाली पर साइबर हमले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि एम्स पर रैनसमवेयर हमला भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा पर हमला है।" यह किसी अस्पताल पर नहीं बल्कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान पर हमला है।
साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, एम्स के सिस्टम पर हमला अहम है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की प्रणालियों पर हाल ही में हुए साइबर हमले के परिणामस्वरूप भारत की सुरक्षा सेवाएँ कठिन स्थिति में हैं। इस साइबर हमले से जुड़ी पहेली अभी भी अनसुलझी है। इस बीच इस तरह के साइबर हमलों से निपटने के लिए भारत की तैयारी को लेकर चिंता जताई जा रही है। ये चिंता इसलिए भी की जा रही है क्योंकि भारत साइबर हमलों का सामना करने वाले शीर्ष 10 देशों में से एक है। अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के बाद, यह रैंसमवेयर हमलों में वृद्धि का अनुभव करने वाले शीर्ष पांच देशों में से एक है।
इसी साल अप्रैल में नेशनल पावर ग्रिड साइबर हमला हुआ था। 2018 की शुरुआत में, भारतीय आधार कार्ड धारकों की जानकारी के लिए साइबर हमले हुए थे। उसी साल पुणे के कॉसमॉस बैंक पर साइबर हमला हुआ और हैकर्स ने कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से 94.42 करोड़ रुपये चुराए। लंबे समय से संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से जुड़े साइबर सुरक्षा कानून के जाने-माने राष्ट्रीय विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक, भारत के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर पर साइबर अटैक एक वेक-अप कॉल है, और सुरक्षा के प्रति और अधिक कार्य करने का समय आ गया है। साइबर सुरक्षा के आसपास के मौजूदा मुद्दों के आलोक में, दुग्गल ने एक समर्पित मंत्रालय बनाने के साथ-साथ उचित उपाय करने की आवश्यकता पर बल दिया। 2013 में, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति पेश की गई थी, लेकिन यह केवल एक लिखित दस्तावेज रह गया था।
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने एम्स प्रणाली पर साइबर हमले पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मुझे लगता है कि एम्स पर रैनसमवेयर हमला भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा पर हमला है।" यह किसी अस्पताल पर नहीं बल्कि देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान पर हमला है। एम्स में आम लोगों के अलावा बड़े नेताओं, जजों और अफसरों की जानकारी भी मिलती है। यह जानकारी वर्तमान और पूर्व प्रधानमंत्रियों से लेकर है। इस जानकारी का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। इन लोगों को निशाना बनाया जा सकता है। इसे सिर्फ एक के बजाय कई रैंसमवेयर हमलों के संदर्भ में देखें।
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साइबर विशेषज्ञ ने समझाया कि "डेटा अर्थव्यवस्था" के इस युग में साइबर हमले का एकमात्र उद्देश्य डेटा प्राप्त करना है जिसे बाद में पैसा बनाने के लिए बेचा जा सकता है। लेकिन जब एम्स में इस तरह का हमला होता है तो प्रेरणा अलग होती है। इस हमले के लिए "बाहरी तत्व" जिम्मेदार हैं। ये हमले देश के आर्थिक विकास को झटका देने और धीमा करने के लिए भी होते हैं। यह एक सोची समझी साजिश है।
एक समर्पित मंत्रालय की आवश्यकता
साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक देश को निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है। साइबर सुरक्षा के लिए एक समर्पित मंत्रालय स्थापित किया जाना चाहिए जो इस विषय पर एक राष्ट्रीय नीति विकसित करने के अलावा केवल साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों से निपटेगा। साइबर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को अब विभिन्न मंत्रालयों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
- अनिमेष शर्मा
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