एंड्राइड ऐप बनवाने जा रहे हैं तो ध्यान रखें यह बातें
कोविड-19 के दौर में समूची दुनिया ऑनलाइन शिफ्ट हो रही है। ऐसे में हर कोई ऑनलाइन आना चाहता है और न केवल औपचारिक तौर पर, बल्कि इसके माध्यम से वह व्यवसाय भी करना चाहता है। आपको एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशंस के बारे में जानकारी देंगे, क्योंकि बदले हुए समय में ऐप बनवाने का चलन जोर पकड़ता जा रहा है।
टेक्नोलॉजी दिन पर दिन बदलती जा रही है और ऐसे में आवश्यक है कि आप बदलती हुई टेक्नोलॉजी के अलग-अलग पहलुओं के बारे में गहराई से ना सही, किंतु बेसिक जानकारी अवश्य रखें।
कोविड-19 के दौर में समूची दुनिया ऑनलाइन शिफ्ट हो रही है। ऐसे में हर कोई ऑनलाइन आना चाहता है और न केवल औपचारिक तौर पर, बल्कि इसके माध्यम से वह व्यवसाय भी करना चाहता है।
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वेबसाइट और सोशल मीडिया के प्रयोग से तो आप पहले ही परिचित हैं और इस लेख में आपको एंड्राइड मोबाइल एप्लीकेशंस के बारे में कुछ जानकारी देंगे, क्योंकि बदले हुए समय में ऐप बनवाने का चलन जोर पकड़ता जा रहा है।
आइए जानते हैं कुछ जरूरी बातें...
ब्रांडिंग के लिहाज से 'बेसिक वेब व्यू' एप्लीकेशन
जी हां! अगर आपके पास पहले से वेबसाइट है और सिर्फ आपको ब्रांडिंग के लिहाज से एक एप्लीकेशन भर की जरूरत है तो वेब व्यू का ऑप्शन आजमाया जा सकता है। सामान्य तौर पर इसकी डेवलपमेंट भी आसान होती है और अगर आप किसी दूसरे एप डेवलपर से इसे डिवेलप कराना चाहते हैं तो इसकी कॉस्टिंग भी कम आती है।
ऑनलाइन भी कई सारे एप्लीकेशंस हैं, जो मुफ्त में वेब्यु एप्लीकेशंस का निर्माण कर देंगे। हालांकि उसमें उनका एडवर्टाइजमेंट और ब्रांडिंग इंक्लूड रहती है।
इसके बाद आप प्ले स्टोर पर अकाउंट बनाकर एंड्राइड एप्लीकेशन को अपलोड कर सकते हैं।
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नेटिव एप्लीकेशन
इसे आप प्रॉपर एप्लीकेशन मान सकते हैं, जो सामान्य तौर पर आप इस्तेमाल भी करते हैं।
इसके डेवलपमेंट के लिए आपको किसी ट्रेंड ऐप डेवलपर की सहायता लेनी चाहिए और एक्जैक्टली आप अपने एप्लीकेशन में क्या फैसिलिटी चाहते हैं, इसका प्लान आप निश्चित कर लें।
तात्पर्य यह कि आपको सिर्फ प्रोडक्ट या सर्विसेज को ही डिस्प्ले कराना है, या फिर आप उसमें यूजर से इंटरेक्शन भी चाहते हैं, इसका ध्यान ऐप डेवलपमेंट स्टार्ट करने से पहले रखना होगा। मोबाइल एप्लीकेशन, वेबसाइट इत्यादि से इस मायने में फायदेमंद है कि अगर कोई यूजर एक बार ऐप इंस्टॉल कर लेता है तो आपके ब्रांड के प्रति यूजर की लॉयल्टी निश्चित रूप से बढ़ जाती है।
आगे अगर आप अपने एप्लीकेशन में कुछ भी अपडेट करते हैं, कुछ भी पोस्ट करते हैं, कोई भी नई चीज आती है तो उसके पास ना केवल नोटिफिकेशन जाती है, बल्कि वह खुद भी आपके एप्लीकेशन को ब्राउज करता रहता है। इसीलिए प्लानिंग आवश्यक है किसी भी ऐप के निर्माण से पहले!
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नेटिव ऐप में बहुत सारी फैसिलिटी आप ऐड करा सकते हैं, जैसे अगर कोई प्रोडक्ट या सर्विस है तो उसकी वीडियो या फोटो खींचकर सीधे एप्लीकेशन में ही आपका कस्टमर अपलोड कर सकता है, ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है, कोई भी प्रोडक्ट या सर्विस खरीद सकता है, ऑनलाइन पेमेंट हो सकती है। यह सारी सुविधाएं आपको नेटिव ऐप में मिल सकती हैं।
हाइब्रिड एप डेवलपमेंट
डेवलपमेंट की यह नई टेक्निक काफी पॉपुलर हो रही है। चूंकि ऐप डेवलपमेंट के लिए एंड्रॉयड और आईओएस जैसे प्लेटफार्म प्रचलित हैं। ऐसे में अगर आप एंड्राइड के लिए एप्लीकेशन डिवेलप कराते हैं तो उसका सोर्स कोड आईओएस के लिए कार्य नहीं करता है। उसके लिए अलग से प्रोग्रामिंग व डेवलपमेंट की जरूरत पड़ती है, किंतु हाइब्रिड ऐप डेवलपमेंट में आपके एप्लीकेशन की कोडिंग या उसका सोर्स कोड एक ही रहता है और दोनों की आउटपुट फाइल अलग-अलग बन जाती है।
फिर गूगल के प्लेस्टोर व एप्पल के एप स्टोर पर अलग-अलग आउटपुट फाइल अपलोड कर सकते हैं। तकनीकी विशेषज्ञों के अनुसार, हाइब्रिड एप्लीकेशन डेवलपमेंट वर्तमान में काफी पॉपुलर ही रहा है, क्योंकि अपेक्षाकृत यह फास्ट भी होता है।
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एप डेवलपमेंट कराने से पहले ऐप की उपयोगिता आपको समझने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए। इतना जान लें कि ऑनलाइन बिजनेस में एक तरह से यह क्रांति के जैसा है और आपके बिजनेस को यह काफी दक्षता से बूस्ट कर सकता है, इस बात में दो राय नहीं है।
-मिथिलेश कुमार सिंह
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