सीमित संसाधनों के बीच कड़ी मेहनत के जरिये भारोत्तोलन में उम्मीद बन गईं शाहजहांपुर की दो बहनें

Winner Mirabai Chanu
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पांडे ने बताया कि अन्य गांव के लोगों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए और किसी न किसी विद्या में अपने गांव का नाम रोशन करना चाहिए। शासन द्वारा ऐसी तमाम तरह की योजनाओं को संचालित किया जाता है जिससे ग्रामीण तथा शहरी लोग लाभ उठा सकते हैं।

शाहजहांपुर जिले की दो बहनों ने सीमित संसाधनों के बावजूद कड़ी मेहनत करके भारोत्तोलक के रूप में प्रशिक्षण लिया और प्रदेश स्तर पर कई पदक जीते जिससे वे गांव की उभरती हुई खिलाड़ियों के लिए उम्‍मीद की किरण बन कर उभरी हैं। शाहजहांपुर जिले के सिधौली ब्लाक अंतर्गत महाऊ दुर्ग गांव में रहने वाले अजय पाल वर्मा ने अपनी दोनों बेटियों निकिता (17 वर्ष) और रोली (15 वर्ष) को छोटी उम्र में ही प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया था। वर्मा युवावस्था में खुद भारोत्तोलक थे जिनके पास संसाधनों की कमी थी। उन्होंने कहा, मेरी बेटियों ने लोहे की छड़ों से बंधे पत्थरों को उठाकर प्रशिक्षण शुरू किया क्योंकि हमारे पास भारोत्तोलक के रूप में प्रशिक्षित होने के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे। वर्मा ने ‘पीटीआई भाषा’ से बताया कि वह अपने वेतन का आधा पैसा बच्चों के प्रशिक्षण में ही प्रतिमाह खर्च कर देते हैं।

बड़ी बेटी स्नातक और छोटी 11वीं कक्षा की छात्रा है। निकिता ने उत्तर प्रदेश भारोत्तोलन संघ द्वारा आयोजित राज्य स्तर की भारोत्तोलन चैम्पियनशिप 2020 में कांस्य पदक जीता था। उनकी छोटी बेटी ने इस साल के शुरु में इसी चैम्पियनशिप के विभिन्न वर्गों में रजत और कांस्य पदक जीता था। रोली राज्य के युवा मामलों के विभाग द्वारा आयोजित एक भारोत्तोलन टूर्नामेंट में शीर्ष पर रही थीं। हाल में दोनों ने राज्य में खेलो इंडिया टूर्नामेंट में कई पदक जीते थे। अब उनके गांव के कई परिवारों ने अपने बच्चों को इन दोनों बहनों के साथ प्रशिक्षण के लिए भेजना शुरु कर दिया है। उचित जगह के अभाव में नवोदित खिलाड़ी अपने गांव से एक किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्कूल में प्रशिक्षण लेते हैं। वर्मा ने कहा, गांव के दो दर्जन से अधिक लड़के और लड़कियां अब मेरी बेटियों के साथ प्रशिक्षण लेते हैं।

उन्होंने व्यायाम के नियम को साझा करते हुए कहा, बच्चे सुबह दो घंटे अभ्यास करते हैं और उसके बाद शाम को तीन घंटे का कठोर सत्र करते हैं। दोनों बहनें ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू को अपना आदर्श मानती हैं और कहती हैं कि वे अपने पिता का सपना पूरा करेंगी और जिले का नाम रोशन करेंगी। अपर जिलाधिकारी प्रशासन संजय कुमार पांडे ने बताया कि गांव में अगर ऐसी प्रतिभा है तो यह हमारे लिए बड़ी ही प्रसन्नता की बात है और हम इसे और प्रोत्साहित करेंगे, जिला क्रीड़ा प्रोत्साहन समिति के माध्यम से हम इसे और आगे बढ़ाएंगे उसे प्लेटफार्म उपलब्ध कराने के साथ ही खिलाड़ियों की हम सूचीबद्ध करने के लिए जिला क्रीड़ा अधिकारी से कहेंगे। पांडे ने बताया कि अन्य गांव के लोगों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए और किसी न किसी विद्या में अपने गांव का नाम रोशन करना चाहिए। शासन द्वारा ऐसी तमाम तरह की योजनाओं को संचालित किया जाता है जिससे ग्रामीण तथा शहरी लोग लाभ उठा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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