मैं भी आम इंसान हूं, बस भावनाओं को काबू में रखता हूं : धोनी
धोनी ने बुधवार को यहां कहा कि मैं भी आम इंसान हूं लेकिन मैं किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से काबू में रखता हूं। जुलाई में विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद धोनी के भविष्य को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं।
नयी दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते लेकिन इस करिश्माई पूर्व कप्तान ने कहा कि वह भी आम इंसान की तरह ही सोचते हैं लेकिन बस नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखने के मामले में वह किसी अन्य की तुलना में बेहतर हैं। अपने शांतचित के कारण उन्हें भारतीय क्रिकेट में ‘कैप्टेन कूल’ का तमगा मिला लेकिन दो बार विश्व चैंपियन टीम की अगुवाई करने वाले इस विकेटकीपर बल्लेबाज ने कहा कि हर जीत और हर हार के दौरान भावनाएं उन पर भी हावी रही हैं।
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धोनी ने बुधवार को यहां कहा कि मैं भी आम इंसान हूं लेकिन मैं किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से काबू में रखता हूं। जुलाई में विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद धोनी के भविष्य को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। उन्होंने फिलहाल कुछ समय के लिये विश्राम लिया है। धोनी ने विपरीत परिस्थितियों से पार पाने के संबंध में कहा, ‘‘हर किसी की तरह मुझे भी निराशा होती है। कई बार मुझे भी गुस्सा आता है। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि इनमें से कोई भी भावना रचनात्मक नहीं है।
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इस 38 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि समस्याओं का जाल बुनने के बजाय उनका समाधान ढूंढना उनके लिये कारगर साबित रहा है। उन्होंने कहा कि इन भावनाओं की तुलना में अभी क्या करना चाहिए यह अधिक महत्वपूर्ण है। अगली क्या चीज है जिसकी मैं योजना बना सकता हूं? वह अगला व्यक्ति कौन है जिसका मैं उपयोग कर सकता हूं? एक बार जब मैं यह सोचने लगता हूं तो फिर मैं अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से काबू कर लेता हूं।
धोनी ने फिर से कहा कि अंतिम परिणाम से महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अपनी कप्तानी के दौरान वह हमेशा इस बात पर जोर देते रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर वह टेस्ट मैच है तो आपके पास दो पारियां होती है और आपको अपनी अगली रणनीति तैयार करने के लिये थोड़ा अधिक समय मिलता है। टी20 में सब कुछ तुरत फुरत होता है तो इसमें अलग तरह की सोच की जरूरत होती है। धोनी ने कहा कि वह एक खिलाड़ी हो सकता है जिसने गलती की या वह पूरी टीम हो सकती है। यह भी हो सकता है कि प्रारूप चाहे कोई भी हो हमने अपनी रणनीति पर अच्छी तरह से अमल नहीं किया हो।
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