राष्ट्रीय खेल संहिता में ‘वीआईपी’ प्रावधान पर नरमी बरत सकती है सरकार

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[email protected] । Oct 11 2019 6:07PM

खेल प्रशासन को लेकर हम किसी एक पेशे को नहीं चुन सकते। यह कहना गलत होगा कि व्यवसायी या राजनीतिज्ञ खेल प्रशासन का हिस्सा नहीं हो सकते।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ बात पेशे की नहीं है बल्कि यह देखना होगा कि खेल प्रशासन को चलाने के लिये कौन योग्य है।

नयी दिल्ली। खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने शुक्रवार को कहा कि सरकार प्रस्तावित राष्ट्रीय खेल संहिता में उस प्रावधान में रियायत दे सकती है जिसमें मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के देश में खेल प्रशासन का हिस्सा बनने से रोक लगाई गई है। राष्ट्रीय खेल महासंघों और भारतीय ओलंपिक संघ के अधिकारियों के साथ पहली औपचारिक मुलाकात में रीजीजू ने कहा कि सभी को स्वीकार्य खेल संहिता ही सरकार लागू करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘ खेल प्रशासन को लेकर हम किसी एक पेशे को नहीं चुन सकते । यह कहना गलत होगा कि व्यवसायी या राजनीतिज्ञ खेल प्रशासन का हिस्सा नहीं हो सकते।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ बात पेशे की नहीं है बल्कि यह देखना होगा कि खेल प्रशासन को चलाने के लिये कौन योग्य है । हमें देखना होगा कि खेल के हित में क्या है।’’

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अधिकांश एनएसएफ 70 वर्ष की उम्र की सीमा और कार्यकाल के प्रावधान के खिलाफ है। इसके अलावा उस प्रावधान का भी विरोध किया गया है जो राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों को आईओए और एनएसएफ का पदाधिकारी बनने से रोकता है। यह पूछने पर कि क्या कोई बीच का रास्ता निकल सकता है, रीजीजू ने कहा ,‘‘ कोई बीच का रास्ता नहीं है । हम सभी साथ में है। मुझे ऐसी खेल संहिता चाहिये जो सभी को स्वीकार्य हो और किसी विवाद को जन्म नहीं दे।’’

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उन्होंने कहा ,‘‘ खेल के मसलों में अदालत को दखल क्यों देना पड़ रहा है। इसके मायने हैं कि खेल की व्यवस्था नाकाम रही है । हम सभी साथ मिलकर चलेंगे तो कोई मसला ही नहीं होगा।’’ यह पूछने पर कि आईओए के खेल संहिता में आने के मायने सरकारी दखल होगा जो आईओसी के चार्टर के खिलाफ है, रीजीजू ने कहा ,‘‘ संप्रभुता नाम की भी कोई चीज है । क्या कोई इससे बाहर रहकर काम कर सकता है।’’

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