Chai Par Sameeksha: देश का विश्वास जीतने चली Congress अपने सहयोगी दलों का ही भरोसा नहीं जीत सकी
नीरज दुबे ने कहा कि अखिलेश यादव यह बोल चुके हैं कि जैसा व्यवहार हमारे साथ मध्य प्रदेश में हुआ है, वैसा हम उत्तर प्रदेश में करेंगे। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि कांग्रेस को वह क्या संदेश देना चाहते हैं।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में बढ़ती आपसी खटास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उतार प्रदेश में दिये गये एक महत्वपूर्ण बयान पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के गठन के समय इसमें शामिल राजनीतिक दलों ने सीट समझौते के दौरान 'बड़ा दिल' दिखाने संबंधी बड़ी-बड़ी बातें की थीं लेकिन 5 States Assembly Elections में सबने छोटा दिल दिखाते हुए किसी सहयोगी दल के लिए कोई सीट नहीं छोड़ी। मध्य प्रदेश को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के रिश्तों में खासतौर पर जो खिंचाव सामने आया है वह उतार प्रदेश में विपक्ष के लिए चुनावी संभावनाएं धूमिल करेगा। कांग्रेस का रुख यदि ऐसा ही रहा तो गठबंधन साथियों के बीच अविश्वास की खाई बढ़ती ही चली जायेगी।
नीरज दुबे ने कहा कि अखिलेश यादव यह बोल चुके हैं कि जैसा व्यवहार हमारे साथ मध्य प्रदेश में हुआ है, वैसा हम उत्तर प्रदेश में करेंगे। इससे साफ तौर पर जाहिर होता है कि कांग्रेस को वह क्या संदेश देना चाहते हैं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव का नाम लेते हुए कहा कि वह हमेशा अखिलेश यादव को कांग्रेस से किसी भी तरह के सियासी गठबंधन से दूरी बनाए रखने की हिदायत देते थे। हालांकि अखिलेश ने उन्हें कभी नहीं माना और आज देखिए किस तरीके से वह कांग्रेस के झटको से नाराज हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शायद अखिलेश यादव को अब अपने पिता की बातें समझ में आ रही होगी। नीरज दुबे ने कहा कि बातचीत के बाद भी अगर समाजवादी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली तो इसे साफ तौर पर जाहिर होता है कि कांग्रेस खुद को बड़े रुतबे वाली पार्टी दिखाने की कोशिश में है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस हमेशा बड़े भाई का रोल चाहती हैं लेकिन अब उसकी स्थिति में परिवर्तन आया है और यही कारण है कि उस छोटे दल उस रोल में स्वीकार नहीं करना चाह रहे। नीरज दुबे ने कहा कि हमने देखा है कैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी संसदीय चुनाव में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतरती थी और उन्हें जीत मिलती थी।
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नीरज दुबे ने कहा कि अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस ने जो व्यवहार किया है, उसे इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों को भी कुछ समझ में आया होगा। उनके लिए भी यह सबक होगा। नीरज दुबे ने कहा कि नीतीश कुमार शायद इन चीजों को समझने लगे हैं, यही कारण है कि वह मुंबई बैठक के बाद से खामोश दिख रहे हैं। ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल की भी सक्रियता कम नजर आ रही है। गठबंधन को लेकर जो पहले चर्चाएं होती थी, उस पर फिलहाल शांति दिखाई दे रही है। नीरज दुबे ने कहा कि बैठक में यह कहना कि सभी को बड़ा दिल दिखाना होगा, बहुत आसान होता है लेकिन कांग्रेस ने सहयोगी दलों के लिए छोटा दिल भी नहीं दिखाया। गठबंधन सहयोगी के लिए कांग्रेस की ओर से अच्छी भाषा का इस्तेमाल नहीं हो रहा है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि विधानसभा के ही चुनाव में अगर अविश्वास के खाई इतनी बड़ी है तो आगे क्या होगा?
प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली-मेरठ ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (RRTS) गलियारे के 17 किलोमीटर लंबे प्राथमिकता वाले खंड का उद्घाटन करते हुए कहा कि अगले 12-18 महीने में जब यह परियोजना पूरी हो जाएगी, तब भी वह लोगों की सेवा में उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने कहा कि अगले साल होने वाले Lok Sabha Elections 2024 से पहले पुनः प्रधानमंत्री बनने के संदर्भ में Modi का यह बयान काफी मायने रखता है। नीरज दुबे ने कहा कि प्रधानमंत्री भारत मंडपम में भी यह बात कह चुके हैं कि मैं अगले कार्यकाल में आऊंगा। नीरज दुबे ने यह भी दावा किया कि 2019 में भी भाजपा और खास करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जीत को लेकर आस्वस्थ थे। नीरज दुबे ने कहा कि अगले तीन-चार महीना में हम देखेंगे कि भाजपा कैसे अपने वादों को पूरा करते हुई दिखाई देगी और तमाम नई-नई चीजों का उद्घाटन भी होगा।
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