History Revisited: ताज महल या तेजोमहालय और इसके 22 कमरों की कहानी, पहली ईंट रखे जाने से 12 मई के फैसले तक
ताजमहल को लेकर विवाद की शुरुआत इतिहास कार पीएन ओके किताब ट्रू स्टोरी ऑफ ताज से हुई। इस किताब में पीएन ओक ने ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे पेश किए। यह किताब 1979 में प्रकाशित हुई। ताजमहल को एक शिव मंदिर और राजपूताना महल बताया गया है।
1964 में एक फिल्म आई थी लीडर, इसमें शकील बदायूंनी की एक नज्म है गौर फरमाइएगा-
एक शहंशाह ने बनवाया की हंसी ताजमहल,
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है।
इसके साये में सदा प्यार के चर्चे होंगे,
खत्म जो हो न सकेगी वो कहानी दी है।
आज हमें इस नज्म की याद इसलिए आई क्योंकि ताजमहल को लेकर विवादों का सिलसिला शाहजहां की मौत के बाद से ही चला रहा है। मौजूदा दौर में मोहब्बत की निशानी सियासत की निशानी बन चुकी है। वैसे तो पूरी दुनिया इस अजूबे को देखने भारत आती है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को ने दुनियाभर में 10154 जगहों को वर्ल्ड हैरीटेज का दर्जा दिया है, यानी पूरी दुनिया के लिए एक धरोहर। मई के महीने में ज़िटैंगो ट्रैवल के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में किसी भी अन्य यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की तुलना में लोगों ने ताजमहल को सबसे ज्यादा सर्च किया है। ताजमहल को 1 महीने में 14 लाख लोगों द्वारा सर्च किया गया। बीते तीन साल में ताजमहल ने भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण यानी एएसआई को दो सौ से ज्यादा कमाकर दिए। इनमें से 13 करोड़ 37 लाख ताजमहल पर खर्च हुए बाकी पैसा बाकी धरोहरों के संरक्षण के काम आया। लेकिन ताजमहल के विवादों का जिन्न एक बार फिर से बोतल से बाहर आ गया। वैसे ताजमहल के साथ विवाद हालिया दिनों में खूब देखने को मिला बस मुद्दे अलग-अलग रहे। कभी रामनामी दुपट्टे को लेकर विवाद, कभी प्रदेश सरकार की टूरिज्म बुकलेट में ताज का नाम न होने पर विवाद। पिछले दिनों तो भगवा पहनकर जगतगुरु परमहंसाचार्य के प्रवेश को लेकर खूब विवाद हुआ था। लेकिन ताजमहल और तेजोमहालय का विवाज जो इन दिनों कोर्ट-कचहरी में भी देखने को मिला है उसका इतिहास दशकों पुराना बताया जाता है। ऐसे में आज ताजमहल या तेजोमहालय से जुड़े 5 सवालों के जवाब इस रिपोर्ट के जरिये देंगे।
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ताजमहल के निर्माण
आर्किटेक्ट का डिजाइन
22 कमरे खुलवाने की अर्जी
विवाद और इसका इतिहास
शिवायल के दावे वाले प्रोफेसर की कहानी
ताजमहल के बनने की कहानी
1661 की बात है शाहजहां को बादशाहत मिले 4 बरस बीते थे। इधर बेगम की लगातार बिगड़ती सेहत से परेशान बादशाह मुमताज के साथ दिन-रात बिताने लगा। मुमताज बहुत कमजोर हो गई थी और 14वें बच्चे को जन्म देने से पहले मुमताज ने शाहजहां से 2 वादे लिए। पहला कि उनके मरने के बाद वो किसी और महिले से बच्चा नहीं पैदा करेंगे। दूसरा कि बेगम ने अपने सपनों का जिक्र करते हुए खूबसूरत महल और बाग का जिक्र किया, जैसा कि दुनिया में कही न हो। मुमताज ने इसके साथ ही बादशाह ने वैसे ही सपनों वाला महल बनवाने का वादा लिया। बच्चे को जन्म देने के बाद मुमताज की मौत हो गई। 1632 के जनवरी महीने में ताजमहल बनाने का काम शुरू हुआ। शाहजहां ने यमुना किनारे आगरा में जगह खोजनी शुरू की। बादशाह ने राजा मान सिंह के पोते जय सिंह से 3 एकड़ जमीन ली। दावा किया जाता है कि जमीन के बदले शाहजहां से जय सिंह को 4 हवेलियां दी। जमीन को बराबर कर मुमताज के लिए रउजा ए मुनव्वरा यानी मकबरा बनाने का काम शुरू हुआ। 20 हजार मजदूरों ने दिन रात काम करके ईमारत की नींव खोदी। महल बनाने वाले ज्यादातर मजदूर कश्मीर और कन्नौज के हिंदू थे। 40 तरह के रत्नों को महल की दीवारों पर जड़ा गया। शाहजहां ने चीन, श्रीलंका, अरब और तिबब्त से रत्न मंगवाए थे। 1645 में खूब गर्मी पड़ी और बादशाह ने मजदूरों की ऊर्जा बढ़ाने के लिए उन्हें पेठा खिलाया। तभी से आगरा का पेठा फेमस हुआ। 1653 में 73 मीटर ऊंचा महल बनकर तैयार हुआ। 21 जनवरी 1666 को शाहजहां की मौत हो गई।
कब-कब विवादों में रहा ताज
1965 में आई 'ताजमहल द ट्रू स्टोरी' किताब ने ताज को लेकर विवाद खड़ा कर दिया। इसमें ताजमहल को तेजोमहालय बताया गया।
1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान ताजमहल को हरे कपड़े से ढका गया।
2015 में आगरा के सिविल कोर्ट में ताज को तेजोमहालय मंदिर घोषित करने की याचिका दाखिल हुई।
2017 में BJP विधायक संगीत सोम ने कहा- ताजमहल का निर्माण गद्दारों ने किया था।
2018 में सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि ताजमहल पर मालिकाना हक हमारा है।
22 कमरे खुलवाने की अर्जी
भाजपा की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी डॉ. रजनीश सिंह ने 7 मई को ताजमहल को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। उनका दावा था कि ये मकबरा नहीं बल्कि शिव मंदिर है। याचिका में कहा गया था कि 1212 एडी में राजा परामदृदेव ने तेजो महालय बनवाया जो बाद में जयपुर के राजा मानसिंह को विरासत में मिल गई उसके बाद इसके आधिकारी राजा जयसिंह हुए। राजा ने तेजो महालय को तोड़ पाया और मकबरा बना दिया। डॉ. सिंह चाहते थे की न्यायालय एएसआई को ताजमहल के 22 कमरों को खोलने का निर्देश दे। साथ ही एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाकर ताजमहल के असली इतिहास को मालूम करे। उन्होंने पीएन ओक की किताब ताजमहल द ट्रू हिस्ट्री का हवाला दिया। पूरे मामले को सुनने के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने कहा कि ताजमहल के अंदर जांच करवाना कौन से हक के अंदर आता है। सारी बातें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि जाइए और पढ़िए पहले एमए की पढ़ाई। फिर पीएचडी कीजिए और इसमें आप अपने विषय को चुनिए। तब उस विषय पर शोध पर आपको कोई संस्थान रोके तो हमारे पास आइएगा। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया।
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ताजमहल में 'शिवालय' कह कर दुनिया को चौकानेवाले प्रोफेसर ओक की कहानी
ताजमहल को लेकर विवाद की शुरुआत इतिहास कार पीएन ओके किताब ट्रू स्टोरी ऑफ ताज से हुई। इस किताब में पीएन ओक ने ताजमहल के शिव मंदिर होने से संबंधित कई दावे पेश किए। यह किताब 1979 में प्रकाशित हुई। ताजमहल को एक शिव मंदिर और राजपूताना महल बताया गया है। किताब में दावा किया गया है कि शाहजहां ने महल पर कब्जा किया और उसको मकबरे में तब्दील कर दिया। ताजमहल में शिवालय होने का दावा करने वाले पीएन ओक के बारे में अब आपको थोड़ा बता देते हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक एक पत्रकार और लेखक थे। हिंदू विचारधारा से ताल्लुक रखने वाले ओके इतिहास के पुनर लेखन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 'ताजमहल एक शिव मंदिर' और 'फतेहपुर सीकरी एक हिंदू नगर' जैसी किताबें लिखी है। ताजमहल के अलावा ओक ने अपनी किताब में काबा पर भी सवाल उठाए थे। पीएन ओक ने इससे पहले ताजमहल पर एक और किताब 'द ताजमहल इज टेंपल पैलेस' नाम से लिखी थी। इसमें वह अपने तर्कों के आधार पर ताजमहल को एक मंदिर बता रहे थे।
किस आधार पर ताजमहल को मंदिर बताया
-ताजमहल संगमरमर की जाली में 108 कलश क्यों बने थे?
-मकबरे में जूते चप्पल उतारने की मान्यता नहीं लेकिन संगमरमर की सीढ़ियों पर क्यों?
- 2000 में पीएन रोकने ताजमहल की खुदाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
22 कमरों का रहस्य
22 कमरों को खुलवा कर तफ्तीश करने की बात को अदालत ने खारिज कर दिया है। लेकिन बहुत लोगों के मन में कोताहल भी रहता है कि ताजमहल में इस तरह की कमरे जो तहखाने के तौर पर देखते हैं उसमें है क्या? ताजमहल के विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई का दावा है कि इसके नीचे 22 कमरों में कोई रहस्य नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मेंटेनेंस के लिए अक्सर इन कमरों को खोलकर साफ सफाई की जाती है। उन्हें आज तक ऐसा कुछ नहीं दिखा जिससे संदेह पैदा हो। एएसआई के अनुसार दिसंबर 2021 के जनवरी और फरवरी के महीनों में इन कमरों के संरक्षण का कार्य किया गया था। इस पर तकरीबन 6 लाख का खर्च आया था। 2006 और 2007 के बीच भी इन तहखानों की मरम्मत का कार्य किया जा चुका है। इससे जुड़ी सारी जानकारी एएसआई की वेबसाइट पर लगातार अपडेट की जाती रहती है। हाल ही में खोले गए कमरे की तस्वीरें भी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ताजमहल के हिंदू मंदिर होने का दावा बीते कई सालों से किया जा रहा है। लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट के साथ तमाम इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने सिरे से खारिज किया है। 2012 में एएसआई में बतौर रीजनल डायरेक्टर (नार्थ) रिटायर होने वाले केके मोहम्मद का कहना है कि उन्हें ताज के भीतर मौजूद कमरों की दीवारों पर कोई धार्मिक चिन्ह नहीं दिखा। ये हुमायूं और सफदरजंग के मकबरे जैसे ही हैं। 22 कमरों की दीवारें खाली हैं। उनका कहना है कि पहली बार ताज का जिक्र बादशाहनामा में हुआ। ये शाहजहां के समय का आधिकारिक विवरण है। जो नक्काशी यहां है वो ताजमहल के बनने से 50 साल पहले नहीं बनाई जा सकती थी।
राजा मान सिंह से जुड़ा होने का अभिलेख
ताजमहल के राजा मान सिंह से जुड़ा होने का अभिलेख जयपुर स्थित सिटी पैलेस संग्रहालय में है। इसमें जिक्र है कि राजा मान सिंह की हवेली के बदले में शाहजहां ने राजा जय सिंह को चार हवेलियां दी थीं। यह फरमान 16 दिसंबर 1633 का है। इसमें राजा भगवान दास की हवेली, राजा माधो सिंह की हवेली, रूपसी बैरागी की हवेली और चांद सिंह पुत्र सूरज सिंह की हवेलियां देने का उल्लेख है। इसके अलावा शाहजहां के फरमान में उल्लेख है कि उन्होंने जय सिंह से संगमरमर मंगवाया था, जितना संगमरमर मंगवाया गया था, उससे ताजमहल का निर्माण नहीं हो सकता।
- अभिनय आकाश
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