गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की पहली स्वदेशी वैक्सीन तैयार
डॉ सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर रोके जाने योग्य होने के बावजूद गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर दुनियाभर में कैंसर से होने वाली लगभग एक-चौथाई मौतों के लिए जिम्मेदार है। वर्तमान अनुमान बताते हैं कि हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामले सामने आते हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान; पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को गर्भाशय-ग्रीवा (Cervical) कैंसर की रोकथाम के लिए भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन के विकास की घोषणा की है।
चतुष्कोणीय मानव पैपिलोमा वायरस (क्यूएचपीवी) वैक्सीन पर पिछले लगभग 10 वर्षों के दौरान किये गए वैज्ञानिक अनुसंधान के सभी चरणों की समाप्ति की घोषणा करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने इस उपलब्धि को हासिल करने में वैज्ञानिकों एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), और इसके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम- जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाइरैक) के प्रयासों की सराहना की। डॉ सिंह ने कहा, 'यह भारत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के करीब ले जाता है।
यह घोषणा की गई है कि वैक्सीन की खुराक के पर्याप्त मात्रा में उत्पादन और वितरण की तैयारी होने के बाद वैक्सीन को लॉन्च किया जाएगा। यह वैक्सीन 9-14 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों को दो खुराक, और 15-26 आयु वर्ग की लड़कियों एवं महिलाओं को तीन-खुराक के रूप में दी जाएगी।
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डॉ सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर रोके जाने योग्य होने के बावजूद गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर दुनियाभर में कैंसर से होने वाली लगभग एक-चौथाई मौतों के लिए जिम्मेदार है। वर्तमान अनुमान बताते हैं कि हर साल लगभग 1.25 लाख महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के मामले सामने आते हैं। भारत में इस बीमारी से हर वर्ष 75 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।
भारत में विभिन्न सामाजिक-आर्थिक कारकों के कारण निवारक चिकित्सा के बारे में कम जागरूकता की बात को रेखांकित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजनाओं की बदौलत गरीब और कमजोर आबादी को अब 05 लाख रुपये तक का बीमा कवरेज प्राप्त है, जिससे निवारक दवाओं और स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच आसान हुई है।
COVID-19 के लिए वैक्सीन विकास और निर्माण प्रक्रिया के दौरान नवंबर 2020 में; जाइडस बायोटेक पार्क अहमदाबाद, भारत बायोटेक हैदराबाद, और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पुणे में प्रधानमंत्री द्वारा की गयी समीक्षा यात्राओं का उल्लेख करते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उस समय रेखांकित किया था कि "भारत टीकों को न केवल अच्छे स्वास्थ्य, बल्कि वैश्विक बेहतरी के रूप में देखता है, और यह भारत का कर्तव्य है कि हम अपने पड़ोसी राष्ट्रों सहित अन्य देशों को वायरस के खिलाफ सामूहिक लड़ाई में सहायता करें।"
उन्होंने यह भी बताया कि कार्यान्वयन के एक वर्ष के भीतर ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ ने कैडिला हेल्थकेयर द्वारा COVID-19 के लिए दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन के विकास से लेकर भारत की पहली mRNA वैक्सीन और इंट्रानैसल वैक्सीन उम्मीदवार के विकास के लिए समर्थन जैसी महत्वपूर्ण उपलब्धियों का प्रदर्शन किया।
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गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर के खिलाफ नया टीका, जिसे 'सर्वावैक' नाम दिया गया है, बिल ऐंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ डीबीटी और बाइरैक की साझेदारी में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने ऐसे परिणाम-उन्मुख उत्पादों के लिए एकीकृत दृष्टिकोण की भावना के साथ अकादमिक, अनुसंधान और उद्योगों की समान भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया है।
डॉ राजेश गोखले, सचिव, डीबीटी; डॉ एन. कलाइसेल्वी, डीजी, सीएसआईआर; और अदार सी. पूनावाला, सीईओ, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे ने आशा व्यक्त की कि नये टीके का सफल विकास देश में शोधकर्ताओं और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा। ।
डिम्बग्रंथि के कैंसर के खिलाफ बहादुरी से लड़ने और जीत हासिल करने वाली फिल्म स्टार मनीषा कोइराला वर्चुअल रूप से समारोह में शामिल हुईं और वैक्सीन लाने के लिए सभी हितधारकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "यह भारत और दुनियाभर की महिलाओं के लिए एक खास दिन है।"
डॉ अलका शर्मा, वरिष्ठ सलाहकार, डीबीटी और एमडी, बाइरैक ने सभा का स्वागत किया। जबकि, डॉ शिर्शेंदु मुखर्जी, प्रभारी, मिशन कोविड सुरक्षा, बाइरैक ने प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
(इंडिया साइंस वायर)
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