सुपरबग से निपटने के लिए चल रही है अनोखी प्रदर्शनी
प्रदर्शनी के ह्यूमन खंड में जीवाणुरोधी प्रतिरोध की चुनौती का सामना करने से जुड़े प्रयासों को दर्शाया गया है। इस खंड में बताया गया है कि एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने से मरीजों की जान जोखिम में कैसे पड़ सकती है। ग्लोबल खंड में बताया गया है कि बैक्टीरिया किसी तरह की सीमाओं में बंधे नहीं हैं और वे दुनियाभर में तेजी से फैल सकते हैं।
नई दिल्ली। (इंडिया साइंस वायर): दवाओं के प्रति रोगजनक बैक्टीरिया की बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए ‘सुपरबग्स-एंटीबायोटिक्स का अंत’ नामक एक प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत कार्यरत राष्ट्रीय विज्ञान संग्राहलय परिषद और विज्ञान संग्राहलय समूह, लंदन द्वारा शुरू की गई यह एक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी है, जो दुनियाभर में घूमकर एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में लोगों को जागरूक करते हुए भारत पहुंची है।
यह प्रदर्शनी देश के चार स्थानों पर आयोजित की जाएगी। नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में 06 सितंबर से 17 नवंबर 2019, नेहरु विज्ञान केंद्र, मुंबई में 18 दिसंबर, 2019 से 16 फरवरी, 2020, विश्वेश्वरैया औद्योगिक एवं प्रौद्योगिक संग्राहलय, बंगलूरू में 20 मार्च-17 मई, 2020 और साइंस सिटी, कोलकाता में 19 जून से 30 अगस्त 2020 तक यह प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी। उम्मीद की जा रही है कि इस दौरान 10 लाख से अधिक लोगों तक यह प्रदर्शनी पहुंच सकती है।
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नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र में इस प्रदर्शनी का उद्घाटन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने किया है। इस मौके पर बोलते हुए डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि "एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा उपयोग करने का परिणाम है कि रोगजनक सूक्ष्मजीवों में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो रही है। हमें एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार को तेज करने की जरूरत है। पोलियो के बारे में जागरूकता से जुड़े अपने अनुभवों के आधार पर मैं कह सकता हूँ कि इस कार्य में छात्रों की भूमिका अहम हो सकती है।"
इस अवसर पर मौजूद संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बताया कि "वर्ष 1965 से अब तक राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय के पास इस तरह की प्रदर्शनियों के लिए सिर्फ 23 मोबाइल वैन उपलब्ध थीं। लेकिन, अब 25 और मोबाइल वैन इस काम के लिए जोड़ी गई हैं, जो दूरदराज के जिलों और गांवों में इस तरह के संवेदनशील विषयों के बारे में जागरूकता कार्यक्रमों के संचालन में उपयोगी हो सकती हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलूरु के चार विज्ञान केंद्रों के अलावा 21 अन्य शहरों में भी यह प्रदर्शनी जाएगी।"
यह प्रदर्शनी माइक्रोस्कोपिक, ह्यूमन और ग्लोबल तीन खंडों में विभाजित की गई है। माइक्रोस्कोपिक खंड में बैक्टीरिया की दुनिया को दर्शाया गया है। दुनियाभर में बैक्टीरिया की अनगिनत प्रजातियां हैं। उनमें से लाखों बैक्टीरिया हमारे शरीर के भीतर रहते हैं। कई बैक्टीरिया हानि रहित हैं और कुछ हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हैं। लेकिन, कई हानिकारक बैक्टीरिया शरीर में पहुंचकर तेजी से बढ़ते हैं और हानिकारक संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
प्रदर्शनी के ह्यूमन खंड में जीवाणुरोधी प्रतिरोध की चुनौती का सामना करने से जुड़े प्रयासों को दर्शाया गया है। इस खंड में बताया गया है कि एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने से मरीजों की जान जोखिम में कैसे पड़ सकती है। ग्लोबल खंड में बताया गया है कि बैक्टीरिया किसी तरह की सीमाओं में बंधे नहीं हैं और वे दुनियाभर में तेजी से फैल सकते हैं।
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एंटीबायोटिक दवाओं के बेअसर होने से लोग ऐसे संक्रमणों से ग्रस्त होने लगते हैं, जिनका इलाज संभव नहीं है। कई बार अस्पतालों में भी बैक्टीरिया के प्रसार को नियंत्रण में रखना मुश्किल हो जाता है। पर्यावरणीय स्थितियां संक्रमण को फैलने में मदद करती हैं और मनुष्यों के साथ-साथ पशुओं में भी संक्रमण फैल सकता है। डॉक्टरों, मरीजों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नर्सों, सामाजिक कार्यकर्ताओ, फार्मासिस्ट और किसानों सभी को इस समस्या से निपटने के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
रोगजनक बैक्टीरिया के संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर हैं। टीबी से लेकर निमोनिया, फोड़े-फुंसी और गले की खराश जैसी स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कई दशकों से हो रहा है। लेकिन, जैसे ही एंटीबायोटिक दवाओं का असर खत्म होता है, तो रोगजनक बैक्टीरिया फिर से उभरने लगते हैं। इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक नए तरीकों की तलाश में जुटे हैं।
प्रदर्शनी के दौरान कई अन्य गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी, जिसमें पॉपुलर साइंस लेक्चर, पोस्टर प्रतियोगिता, रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भाषण प्रतियोगिता, समूह चर्चा और छात्रों द्वारा नुक्कड़ नाटक शामिल हैं।
(इंडिया साइंस वायर)
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