ड्रग डिस्कवरी हैकथॉन प्रतिभागियों के लिए शुरू हुआ प्रशिक्षण कार्यक्रम
डॉ. शास्त्री ने गणित और जीव विज्ञान विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि दवाओं की खोज के लिए जीव विज्ञान और गणित का एक संयोजन आवश्यक है। दवाओं की खोज अंतर्विषयक प्रयासों पर आधारित है, जिसमें विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के विेशेषज्ञों की आवश्यकता होती है।
कोविड-19 की दवा खोजने के लिए हाल में शुरू हुए ऑनलाइन ड्रग डिस्कवरी हैकथॉन-2020 के अंतर्गत अब प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई है। जोरहाट स्थित नॉर्थ ईस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (एनईआईएसटी) की देखरेख में शुरू किए गए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं।
एनईआईएसटी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रमुख के तौर पर संस्थान के निदेशक डॉ जी. नरहरि शास्त्री कंप्यूटेशनल ड्रग डिस्कवरी से संबंधित पूरी प्रक्रिया को संचालित कर रहे हैं। हैकथॉन समिति को प्रतियोगिता के शुरुआती दौर में 90 समस्या विवरण (problem statements) मिले हैं, जिसमें से सिर्फ 29 को आगामी चरणों के लिए चुना गया है।
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वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे ने इस संबंध में हाल में दिए गए अपने व्याख्यान में दवा लक्ष्यों की पहचान व सत्यापन, परीक्षण विकास, वर्चुअल स्क्रीनिंग (वीएस), उच्च थ्रूपुट स्क्रीनिंग (एचटीएस), मात्रात्मक संरचना-गतिविधि संबंध (क्यूएसएआर) एवं यौगिकों के शोधन, संभावित दवाओं के लक्षण वर्णन, जानवरों पर परीक्षण, क्लीनिकल ट्रायल, फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की मंजूरी, प्रोटीन-लिगैंड डॉकिंग और डॉकिंग सॉफ्टवेयर्स आदि पर जोर दिया है।
डॉ. शास्त्री ने "गणित और जीव विज्ञान" विषय पर अपने व्याख्यान में कहा कि दवाओं की खोज के लिए जीव विज्ञान और गणित का एक संयोजन आवश्यक है। दवाओं की खोज अंतर्विषयक प्रयासों पर आधारित है, जिसमें विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है। दवा विकास के शुरुआती चरणों- लीड ऑप्टिमाइजेशन, हिट-टू-लीड, हिट जेनरेशन, लक्ष्य सत्यापन और लक्ष्य पहचान में अत्यधिक उपयोगी होने के कारण कंप्यूटर समर्थित ड्रग डिस्कवरी सेवाओं का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
कोविड-19 दवा की खोज के लिए शुरू किए गए इस हैकथॉन में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागी शामिल हो सकते हैं। इस कार्यक्रम को कंप्यूटेशनल ड्रग डिस्कवरी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने से जुड़ी एक पहल के रूप में देखा जा रहा है। हैकथॉन का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी अणु की खोज करने के साथ-साथ दवा की खोज के लिए सॉफ्टवेयर कोड विकसित करने की संस्कृति विकसित करना भी है। हैकथॉन में उभरकर आए विचारों को सीएसआईआर की प्रयोगशालाओं, स्टार्टअप्स और अन्य संस्थानों द्वारा विकसित किया जाएगा। हैकथॉन के अंतर्गत पहचाने गए अणुओं, दवा लक्ष्यों या फिर टूल्स का वैज्ञानिक विधियों से परीक्षण किया जाएगा, जिसमें रासायनिक संश्लेषण और जैविक परीक्षण शामिल है। इस तरह, हैकथॉन में उत्पन्न डेटा सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध होगा।
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यह पहल भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार कार्यालय, सीएसआईआर, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इनोवेशन सेल और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की संयुक्त पहल पर आधारित है। 02 जुलाई, 2020 को शुरू हुए ड्रग डिस्कवरी हैकथॉन के अन्य भागीदारों में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी), फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया और सी-डैक पुणे शामिल हैं।
इंडिया साइंस वायर
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