डॉ जितेंद्र सिंह ने उधमपुर में किया भूकंप वेधशाला का उद्घाटन
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर हिमालय का सबसे पश्चिमी विस्तार है। जम्मू क्षेत्र का उधमपुर जिला दो प्रमुख भूकंपीय भ्रंशों - मुख्य फ्रंटल थ्रस्ट (एमएफटी), और मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) के बीच स्थित है, जो जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में भूकंप के संभावित कारकों में से एक है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में एक नई भूकंपीय वेधशाला का उद्घाटन किया है।
उधमपुर में इस भूकंपीय वेधशाला के स्थापित होने के साथ डोडा, रामबन, किश्तवाड़ समेत अन्य जिलों में होने वाली भूगर्भीय हलचलों के बारे में सटीक जानकारी मिल सकेगी। इस वेधशाला से मिलने वाले आंकड़ों का उपयोग भूकंप संबंधी अध्ययनों में किया जा सकेगा।
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भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से सम्बद्ध राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) द्वारा उधमपुर के दंदयाल इलाके में यह भूकंप वेधशाला स्थापित की गई है। एनसीएस द्वारा अत्याधुनिक वीसैट संचार सुविधाओं के साथ पूरे देश में कुल 152 स्थायी वेधशालाएं स्थापित की गई हैं, और अगले 05 वर्षों में पूरे देश में 100 और वेधशालाएं स्थापित करने की योजना है।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले लगभग एक दशक के दौरान भूकंप अध्ययन की ओर भारत सरकार का विशेष रूप से ध्यान आकर्षित हुआ है। डॉ सिंह ने कहा है कि एनसीएस द्वारा ढांचागत सुविधाओं के उन्नयन एवं सुदृढ़ीकरण, और आपदा न्यूनीकरण और तैयारियों में सुधार के लिए आवश्यक बेहतर वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने की दिशा में कई नये उपाय शुरू किए गए हैं।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर हिमालय का सबसे पश्चिमी विस्तार है। जम्मू क्षेत्र का उधमपुर जिला दो प्रमुख भूकंपीय भ्रंशों - मुख्य फ्रंटल थ्रस्ट (एमएफटी), और मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) के बीच स्थित है, जो जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में भूकंप के संभावित कारकों में से एक है। इस क्षेत्र में भूकंप की निगरानी को अधिक मजबूती प्रदान करने के लिए यह नई भूकंपीय वेधशाला स्थापित की गई है। सरकार की योजना 2.5 परिमाण वाले छोटे भूकंपों का पता लगाने के लिए आने वाले वर्षों में कुछ और वेधशालाएं स्थापित करने की है।
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एनसीएस को विभिन्न डेटा-सेट के संग्रह, मिलान और एकीकरण का एक विशिष्ट जनादेश प्राप्त है, जो जरूरत के अनुसार साइट-विशिष्ट जोखिम मानचित्र प्रदान करता है। यह भूकंपीय माइक्रो-ज़ोनेशन नामक प्रयास का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य संरचनाओं और बुनियादी ढांचे के लिए भूकंप-जोखिम की दृष्टि से लचीले भवन डिजाइन कोड विकसित करने के लिए भू-तकनीकी और भूकंपीय मानक विकसित करना है। विशेष रूप से, इसके द्वारा हिमालय के एक छोटे से क्षेत्र के लिए पायलट आधार पर भूकंप पूर्व चेतावनी प्रणाली की स्थापना के लिए पहल की गई है।
उधमपुर को भूकंप जोन-04 में रखा गया है। उधमपुर में भूकंपीय वेधशाला स्थापित होने के बाद जिले में भूकंप संबंधी आंकड़े एकत्रित करने में मदद मिल सकेगी। यह वेधशाला स्थापित होने के बाद डोडा, रामबन किश्तवाड़ समेत कई अन्य जिलों के भी भूकंपीय रिकॉर्ड तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस दौरान वैज्ञानिकों ने भूकंपीय वेधशाला की आवश्यकता एवं इससे मिलने वाले लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) सचिव डॉ एम. रविचंद्रन और राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ ओपी मिश्रा सहित अन्य वैज्ञानिक एवं अधिकारी उपस्थित थे।
(इंडिया साइंस वायर)
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