पूर्वोत्तर में ‘वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व’ का वाहक बना सीएसआईआर संस्थान
सीएआईआर-एनईआईएसटी, आईसीएमआर-क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र और डीबीटी-जैव संसाधन एवं स्थायी विकास संस्थान समेत पूर्वी भारत के तीन संस्थान SARs-CoV-2 वेरिएंट के जीनोम अनुक्रमण के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। कोविड-19 परीक्षण में भी इन संस्थानों की भूमिका अग्रणी रही है।
नॉर्थ ईस्ट इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नोलॉजी (एनईआईएसटी), जोरहाट भारत के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक घटक प्रयोगशाला है। सीएसआईआर-एनईआईएसटी विशेष रूप से देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रासंगिक तथा बहु-विषयक अनुसंधान एवं विकास कार्य में लगा हुआ है। संस्थान के वैज्ञानिक, प्रयोगशाला के बाहर भी अपना सामाजिक योगदान दे रहे हैं। सीएसआईआर-एनईआईएसटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये भारत के दृष्टिकोण और वैज्ञानिक बिरादरी एवं विज्ञान से जुड़े संस्थानों के वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) का अनुसरण करते हुए कार्य कर रहा है।
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सामाजिक विकास के लक्ष्य को केंद्र में रखकर अपनी मातृ-संस्था सीएसआईआर द्वारा शुरू की गई विभिन्न गतिविधियों एवं योजनाओं से जनसामान्य को जोड़ने का उल्लेखनीय कार्य सीएसआईआर-एनईआईएसटी कर रहा है। विशेष रूप से ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के क्षेत्रों में संचालित की जा रही इन गतिविधियों में सीएसआईआर-अरोमा मिशन, जिज्ञासा, और चिकित्सा अनुसंधान एवं विकास संबंधी कार्य उल्लेखनीय रूप से शामिल हैं। संस्था द्वारा जारी एक हालिया बयान में यह जानकारी दी गई है।
सीएसआईआर-अरोमा मिशन सुगंधित पौधों की खेती, उनके मूल्यवर्धन और विपणन के माध्यम से ग्रामीण सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। जबकि, सीएसआईआर का 'जिज्ञासा' कार्यक्रम केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) के सहयोग से संचालित किया जाने वाला एक ‘छात्र-वैज्ञानिक कनेक्ट’ कार्यक्रम है; जिसका उद्देश्य कक्षा में सीखने का विस्तार करना और अनुसंधान प्रयोगशाला आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना है।
सीएसआईआर-एनईआईएसटी की टीम समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के साथ-साथ लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के तरीकों पर प्रशिक्षण देने के लक्ष्य के साथ दूरदराज के क्षेत्रों का दौरा कर रही है। ऐसी ही एक हालिया पहल के अंतर्गत, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर जी. नरहरि शास्त्री के नेतृत्व में सीएसआईआर-एनईआईएसटी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश में वैज्ञानिक सोच का प्रचार करने के लिए कृषि क्षेत्रों एवं स्कूलों का दौरा करके किसानों एवं छात्रों से मुलाकात की। 'जिज्ञासा' कार्यक्रम के अंतर्गत सीएसआईआर-एनईआईएसटी स्कूलों में किताबें, प्रयोगशाला उपकरण और औषधीय पौधे वितरित कर रहा है। सीएसआईआर की ओर से अनुसंधान संस्थानों के स्कूलों तक पहुँचने की इस मुहिम को एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। इसका उद्देश्य सुनियोजित और व्यवस्थित अनुसंधान उन्मुख शिक्षण और प्रशिक्षण गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।
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सीएआईआर-एनईआईएसटी, आईसीएमआर-क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र, (आईसीएमआर-आरएमआरसी) और डीबीटी-जैव संसाधन एवं स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी) समेत पूर्वी भारत के तीन संस्थान SARs-CoV-2 वेरिएंट के जीनोम अनुक्रमण के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। कोविड-19 परीक्षण में भी इन संस्थानों की भूमिका अग्रणी रही है।
हाल ही में, सीएसआईआर-एनईआईएसटी ने धेमाजी, असम में सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत अपने 7वें 'मल्टी-लोकेशनल ट्रायल ऐंड रीजनल रिसर्च एक्सपेरिमेंटल फार्म' का उद्घाटन किया है। सीएसआईआर-अरोमा मिशन के अंतर्गत असम के धेमाजी जिले के लाईमेकुरी में सुगंधित तेल डिस्टिलेशन (आसवन) इकाई शुरू की गई है। यह इकाई ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने और ग्रामीण निवासियों के जीवन को बेहतर बनाने उद्देश्य से स्थापित की गई है।
संस्थान अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी सियांग जिले के ओयून और रून्ने में भी इसी तरह की आसवन इकाइयों को संचालित कर रहा है। सीएसआईआर-एनईआईएसटी ने अपने एक वक्तव्य में कहा है कि वह सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत पूरे पूर्वोत्तर भारत में ऐसी आसवन इकाइयां स्थापित करने के लिए तत्पर है, जिससे पूर्वोत्तर भारत में ग्रामीण सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
(इंडिया साइंस वायर)
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