मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं के मत एकतरफा रूप से शिवराज के पक्ष में दिख रहे हैं

Shivraj Singh Chouhan
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शिवराज सिंह चौहान ने अपने पहले कार्यकाल से ही स्त्री सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में वातावरण बनाया है। ये जो 7.07 लाख नयी महिला मतदाता हैं, उनके लिए भी प्रदेश में मुख्यमंत्री के जनअभियानों के कारण एक सकारात्मक वातावरण बना है।

मध्यप्रदेश में कुछ समय पहले तक कहा जा रहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का सरकार में लौटना बहुत कठिन दिख रहा है। कांग्रेस की ओर से किए जा रहे लोकलुभावन वायदे पिछली बार से कहीं अधिक इस बार जनता को अपनी ओर खींच लेंगे। इसके अलावा यह भी दिखायी दे रहा था कि कांग्रेस की ओर से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे बड़े नेता कार्यकर्ताओं से लगातार संवाद कर रहे थे। विशेषकर दिग्विजय सिंह ने प्रदेशभर में एक पाँव से चक्कर लगाकर छोटे-छोटे समूहों में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से संवाद किया। वहीं, भाजपा की सक्रियता अपेक्षाकृत कम दिख रही थी। लेकिन, अब ऐसी स्थितियां नहीं हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता, केंद्रीय संगठन की नये सिरे से जमावट और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं ने मध्यप्रदेश की राजनीतिक तस्वीर में नये सिरे से भगवा रंग भरना शुरू कर दिया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं भाजपा के विश्वसनीय चेहरे शिवराज सिंह चौहान ने सक्रियता दिखाते हुए जनसामान्य से संवाद के कार्यक्रम बनाए। उनके प्रयासों को ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ ने पंख लगा दिए हैं। एक समय तक चुनावी तैयारियों में बहुत पीछे दिख रही भाजपा अब कांग्रेस के बराबर आकर खड़ी हो गई। ओपीनियन पोल में भी इसी बात के संकेत मिलते हैं कि विधानसभा चुनाव को जहाँ कांग्रेसी नेता एवं कुछेक राजनीतिक विश्लेषक एकतरफा समझ रहे थे, वह मामला वैसा नहीं रहा है अपितु भाजपा आगे निकलती दिख रही है।

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कहना होगा कि महिलाओं को आत्मनिर्भर, स्वावलंबी एवं सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना भाजपा को सियासी लाभ भी पहुँचा रही है। यानी महिलाओं के हाथ मजबूत होने पर उनका सहारा भाजपा को चुनावी वैतरणी भी पार करा देगा। मध्यप्रदेश में योजना को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह दिखायी दे रहा है। शिवराज सिंह चौहान ने प्रति माह एक हजार रुपये राशि की दो किस्तें महिलाओं के खातों में भेजने के साथ उनके मन में यह विश्वास भी जगा दिया है कि यदि शिवराज मुख्यमंत्री रहे तो यह राशि बढ़कर तीन हजार रुपये हो जाएगी। इस विश्वास के कारण कांग्रेस की डेढ़ हजार रुपये देने की घोषणा अब बेमानी हो गई है। कांग्रेस के वचन-पत्र अब कोरे कागज के टुकड़े रह गए हैं। मुरैना की एक हितग्राही से जब पूछा कि क्या वह लाड़ली बहना बनने के बाद डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह पाने की आस में कांग्रेस के वचनपत्र को भरेंगी? उन्होंने एक झटके में उत्तर दिया कि हमें शिवराज भैया पर विश्वास है। मुख्यमंत्री ने पहले भी हमारे लिए बहुत योजनाएं शुरू की हैं, आगे भी वे ही चिंता करेंगे। इसके आगे उसने हंसते हुए कहा, “अब तो कमलनाथ के वचन पत्र समोसा-कचोड़ी लपेटने के काम आ रहे हैं”। इस उत्तर में वह विश्वास छिपा है, जिससे भाजपा को ऑक्सीजन मिल रही है।

प्रदेश में महिला मतदाताओं की निर्णायक स्थिति

यह योजना किस प्रकार भाजपा के लिए संजीवनी बूटी साबित हो रही है, उसे समझने के लिए प्रदेश में मतदाताओं की स्थिति समझनी चाहिए। मध्यप्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 5 करोड़ 50 लाख से अधिक है, जिनमें से 2 करोड़ 60 से अधिक महिला मतदाता हैं। एक आंकड़े के अनुसार, 2018 के चुनाव के बाद लगभग 13.39 नये मतदाता जुड़े हैं, जिनमें लगभग 7.07 लाख महिलाएं हैं। अर्थात् महिला मतदाताओं की संख्या में 2.79 की वृद्धि हुई है और पुरुष मतदाताओं की संख्या में 2.30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। लगभग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। कांग्रेस हो या भाजपा यूँ ही महिलाओं पर फोकस नहीं कर रही हैं, ये आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में महिला मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। लाड़ली बहना योजना को छोड़ भी दें, तब भी मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं के बीच अधिक लोकप्रिय हैं।

दरअसल, शिवराज सिंह चौहान ने अपने पहले कार्यकाल से ही स्त्री सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में वातावरण बनाया है। ये जो 7.07 लाख नयी महिला मतदाता हैं, उनके लिए भी प्रदेश में मुख्यमंत्री के जनअभियानों के कारण एक सकारात्मक वातावरण बना है। मुख्यमंत्री ने ‘बेटी बचाओ’ जैसे समाजोन्मुखी अभियान चलाकर मध्यप्रदेश में न केवल जनसंख्या अनुपात में सुधार की नींव रखी अपितु बेटियों के प्रति देखने की दृष्टि भी बदली है। एक और तथ्य है, जिसके कारण महिला मतदाता प्रदेश के चुनाव में मुख्य किरदार निभाती नजर आ रही हैं, प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 18 सीट ऐसी हैं, जिन पर महिलाओं की निर्णायक भूमिका रहेगी। इनमें जनजाति बाहुल्य बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे जिले शामिल हैं। याद रखें कि महिलाओं के लिए स्वस्थ्य वातावरण बनने के कारण मतदान में भी महिलाओं की भागीदारी उत्साहजनक है। पिछले विधानसभा चुनाव में लगभग 76 प्रतिशत पुरुष मतदाताओं के मुकाबले 74 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2018 के विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भागीदारी पिछले चुनाव के मुकाबले 3.75 बढ़ी थी।

अपनी पसंद का नेता चुन रही हैं महिलाएं

उपरोक्त आंकड़ों के विश्लेषण से यह बात तो साफ होती है कि महिला मतदाता अब मतदान के लिए घरों से बाहर निकल रही हैं और अपनी पसंद के नेता को चुन रहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषक यह भी मानते हैं कि पिछली बार भी महिला मतदाता शिवराज सरकार के साथ थीं, इसलिए कांग्रेस बहुमत से दूर रह गई थी। वहीं, लाड़ली बहना योजना के बाद से महिलाओं में शिवराज सरकार के प्रति विश्वास और बढ़ गया है। महिलाओं के इस रुझान ने कांग्रेस की नींद उड़ा रखी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी इस योजना को लेकर जिस प्रकार का फीडबैक मिला है, उससे उनका आत्मविश्वास भी बढ़ गया है। अभी इस योजना के दायरे में 1 करोड़ 25 लाख से अधिक महिलाएं लाभार्थी के तौर पर आ गई हैं। इस दायरे को और बढ़ाने का मन सरकार ने बना लिया है। योजना के फॉर्म 25 जुलाई से फिर भरवाना शुरू किया जा रहा है। जो महिलाएं कागज नहीं होने से छूट गईं थीं, वे भी इसमें शामिल हो सकेंगे और 21 साल की महिलाएं भी फॉर्म भर सकेंगी।

-दीपाली शुक्ला

लेखिका वरिष्ठ पत्रकार एवं जी मीडिया में एंकर हैं

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