शिवराज ने दशमत रावत का सुदामा के रूप में सत्कार कर दिलों को छू लिया
एक तरफ इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्ष अनर्गल आरोप लगाकर हाय तौबा मचाये हुए है। आखिर मचाये भी क्यों ना, वंशवाद परंपरा के अधीन चल रही पार्टी के नेताओं और उनके पुत्रों के लिए ऐसे दृश्य मात्र कल्पना में ही पूर्ण हो सकते हैं।
इस सप्ताह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास के दृश्य लगभग पूरे देश में चर्चा का केंद्र बने रहे। कैसे एक प्रदेश का मुखिया, सीधी में हुई एक घटना से पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने, उसका सम्मान पुनः लौटाने का हर संभव प्रयास करता है और प्रदेश के सभी जाति वर्ग के लोगों को सामाजिक समरसता व लोक आचरण का एक सारगर्भित पाठ पढ़ा जाता है।
इससे पूर्व ही मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ट्वीट कर अपने मन की पीड़ा व्यक्त की थी। शिवराज सिंह चौहान ने कहा था "कि जबसे मैंने सीधी की घटना का वीडियो देखा, अंतर्मन अत्यधिक व्याकुल और हृदय पीड़ा से भरा हुआ है। मैं तबसे ही दशमत जी से मिलकर उनका दुःख बांटना चाहता था और यह विश्वास भी दिलाना चाहता था कि उनको न्याय मिलेगा। उनसे और उनके परिवार से भोपाल में अपने निवास पर मिलकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के साथ परिवार को ढांढस बंधाऊंगा।"
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उनके इस कथन के बाद से ही मीडिया और सोशल मीडिया में अनेकों प्रकार के कयास लगाये जा रहे थे। पर जिस प्रकार से प्रदेश के मुखिया का एक मानवीय पक्ष समाज के सामने आया है, वह अकल्पनीय है। जो मुख्यमंत्री निवास के वीडियो सभी मीडिया व सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर दिख रहे हैं, उसमें वे खुद दशमत जी को लेकर आवास के अंदर आए। उन्हें कुर्सी पर बैठाकर खुद नीचे जा बैठे और उनके पैर धोए। इसके बाद सीएम ने शॉल ओढ़ाकर, तिलक लगाकर व भगवान गणेश की एक प्रतिमा भेंट में देकर उनका सम्मान भी किया। उन्होंने कहा, "कि मैं दशमत जी से माफी मांगता हूं। मेरे लिए जनता ही भगवान है।"
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने दशमत जी से अनेक विषयों पर चर्चा भी की। दशमत से पूछा कि क्या करते हो, घर चलाने के क्या साधन हैं, कौन-कौन-सी योजनाओं का लाभ मिल रहा है? यहां तक कि उन्होंने दशमत को सुदामा भी कहा। सीएम ने कहा कि दशमत अब मेरे दोस्त हैं।
एक तरफ इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्ष अनर्गल आरोप लगाकर हाय तौबा मचाये हुए है। आखिर मचाये भी क्यों ना, वंशवाद परंपरा के अधीन चल रही पार्टी के नेताओं और उनके पुत्रों के लिए ऐसे दृश्य मात्र कल्पना में ही पूर्ण हो सकते हैं। जिन्होंने कभी गरीबी स्वप्न में भी ना देखी हो, उनके लिए किसी पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के सम्मान की चिंता कल्पना का ही एक रूप है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री का यह नया संवेदनशील रूप लोगों द्वारा अत्याधिक सराहा जा रहा है। जहां उन्होंने दशमत के मनोभाव से उस घटना को विस्मृत करवाने का हरसंभव प्रयास किया व उससे व्यक्तिगत स्तर पर सुख दुख भी बाटें।
पूर्व में भी एक ऐसा ही संवेदनशीलता का वाकया सितंबर 2021 में आया था। जब एक प्रदेश का मुखिया कितना सहज और सरल होना चाहिए, ये जनता को देखने को मिला था। जब खंडवा जिले में सीएम की यात्रा पंधाना के बलरामपुर गांव पहुंची तो भाषण के दौरान गांव की एक बेटी ने मुख्यमंत्री को अपनी व्यथा से भरी चिट्ठी सौंपी थी। सीएम ने भाषण के दौरान ही कलेक्टर को चिट्ठी में लिखी समस्या देखने को कहा था और साथ ही कलेक्टर को तुरंत आर्थिक मदद जारी करने के निर्देश दिए। दरअसल उस बालिका के पिता का चार माह पहले कोरोना से देहावसान हुआ था। सीएम का ये अंदाज उस वक्त भी ग्रामीणों को खूब भाया था और अब सीधी मामले में उनके व्यक्तित्व के इस मानवीय पहलू की चारों ओर लोगों द्वारा निरंतर प्रशंसा की जा रही है।
-उदयभान सिंह
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