इस तरह भारी पड़ जाएँगे शरद पवार, ईडी ने कभी सोचा भी नहीं होगा

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प्रवर्तन निदेशालय को उम्मीद नहीं रही होगी कि पवार उस पर भारी पड़ जायेंगे। अकसर होता यही है कि ईडी मामला दर्ज करने के बाद आरोपी को पूछने के लिए सम्मन भेजती है लेकिन यहाँ तो बिना किसी सम्मन के ही पवार आने के लिए तैयार हो गये।

 महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक में 25 हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाला मामले में आरोपित किये गये शरद पवार को लेकर आज तब राजनीतिक ड्रामा देखने को मिला जब पवार अड़ गये कि वह प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होंगे और प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें ईमेल भेजकर कहा कि अभी आपको आने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन पवार तो पवार हैं, दशकों तक पावर में रहे हैं, अच्छी तरह जानते और समझते हैं कि उनके हर कदम, उनके हर बयान और उनकी हर मुलाकात का महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर क्या असर पड़ सकता है। इसलिए जब ईडी ने पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के खिलाफ मामला दर्ज किया तो ऐन चुनावों के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मुश्किलों में पड़ गयी। अपने संसदीय जीवन में सैंकड़ों बार ऐसी परेशानियां देख चुके और उनसे खुद को और अपनी पार्टी को बाहर निकाल चुके शरद पवार ने बिना प्रवर्तन निदेशालय के किसी बुलावे के उसके समक्ष पेश होने का निर्णय किया।

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प्रवर्तन निदेशालय को उम्मीद नहीं रही होगी कि पवार उस पर भारी पड़ जायेंगे। अकसर होता यही है कि ईडी मामला दर्ज करने के बाद आरोपी को पूछने के लिए सम्मन भेजती है लेकिन यहाँ तो बिना किसी सम्मन के ही पवार आने के लिए तैयार हो गये। अब जाँच एजेंसी भी असमंजस में पड़ गयी कि अभी पूछताछ के लिए जब तैयारी ही नहीं हो पायी है, संभवतः उनसे पूछे जाने वाले प्रश्न भी तैयार नहीं हो पाये हैं तो उनके आने से लाभ क्या होगा। तुरत फुरत ईडी की ओर से शरद पवार को ईमेल कर संदेश दिया गया कि अभी आपको आने की जरूरत नहीं है, अभी आपको कार्यालय में आने की इजाजत नहीं होगी। लेकिन पवार कहाँ मानने वाले थे, वह तो प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होकर राजनीतिक बढ़त हासिल करने का मौका खोना नहीं चाहते थे। दूसरी ओर उनकी पार्टी के कार्यकर्ता प्रवर्तन निदेशालय के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने में जुट गये। जब मुंबई पुलिस की ओर से लगाई गई धारा 144 का भी कुछ खास असर नहीं दिखा तो शहर के पुलिस कमिश्नर संजय बार्वे खुद शरद पवार के घर पहुँचे और उनसे ईडी के दफ्तर नहीं जाने का आग्रह किया। आखिरकार शरद पवार ने अपना मन बदला और अपने इस फैसले की जानकारी मीडिया को देते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि कानून व्यवस्था खराब हो, इसलिए ईडी दफ्तर नहीं जाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियां उनके साथ हैं और बैंक घोटाले से उनका कोई लेना-देना नहीं है। शरद पवार ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय ने भी कहा है कि पूछताछ की जरूरत नहीं है।

शरद पवार ने बिना बुलाये ईडी के दफ्तर जाने का दाँव चल कर राजनीतिक रूप से निश्चित ही बढ़त हासिल कर ली है। उन्होंने अपने एक कदम से जहाँ अपने कार्यकर्ताओं को सड़कों पर सक्रिय कर दिया वहीं विपक्षी दलों को भी एकजुट कर दिया। यही नहीं शिवसेना भी पवार के समर्थन में खड़ी हो गयी जो भाजपा के लिए झटका है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार द्वारा निशाना बनाए जाने वाले शरद पवार विपक्ष के नए नेता हैं तो वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने पवार को भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह बताते हुए कह दिया कि जिस बैंक में घोटाले को लेकर ईडी ने एफआईआर में पवार का नाम दर्ज किया है, उस बैंक में वह किसी भी पद पर रहे ही नहीं हैं। पवार घोटाले में शामिल थे या नहीं, यह तय करना जाँच एजेंसियों और अदालतों का काम है लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि शरद पवार ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपना दबदबा और सामने वाले के पैंतरों का जवाब देने में माहिर होने की अपनी कला का प्रदर्शन एक बार फिर कर दिया है।

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उधर दूसरी ओर मुंबई ने इस प्रकरण के फिलहाल थमने से राहत की सांस ली है। गौरतलब है कि मुंबई पुलिस ने कानून व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से सात थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू करने की जानकारी ट्वीट के माध्यम से दी थी। जिन थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गयी थी उनमें कोलाबा थाना, कफे परेड थाना, मरीन ड्राइव थाना, आजाद मैदान थाना, डोंगरी थाना, जेजे मार्ग थाना और एमआरए थाना शामिल हैं।

-नीरज कुमार दुबे

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