सिंधिया भाजपा में तो आ गये, पर संसद सदस्यता और मंत्री पद अब भी दूर बना हुआ है
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ज्योतिरादित्य सिंधिया का निरंतर संवाद बना हुआ है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे और हो रही मौतों पर दोनों के बीच चर्चा होने के साथ बचाव कार्यों तथा कोरोना संक्रमण रोकने के उपायों पर भी लगातार बात होती है।
मध्य प्रदेश में कोरोना संकट से पहले पिछले माह दो सप्ताह तक चले सियासी उठापटक के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने और उनके समर्थकों द्वारा भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद से प्रदेश की राजनीति में ठहराव सा आ गया है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में हमेशा ही सत्ता के केन्द्र में रहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक वीडियो पिछले रविवार 05 अप्रैल 2020 को सोशल मीडिया पर दिखा था। जिसमें बढ़ी हुई दाढी के साथ वह इंदौर के लोगों से कोरोना संक्रमण को लेकर अपील करते हुए नजर आए, वही शाम को वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवाहन पर दीप जलाते हुए दिखे। इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट किया और उसमें लिखा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आवाहन पर सभी देशवासियों के साथ आज दीप प्रज्वलित कर कोरोना को हराने का संकल्प लिया। अखंड भारत की ज्योति ने आज सकारात्मक ऊर्जा से विश्व को आलोकित कर दिया।
वही 07 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया के दो ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल होते है। जिसमें वह प्रदेश की राजधानी भोपाल में पुलिस पर हुए हमले को लेकर निंदा करते हुए, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध करते है, कि प्रदेश में जहां भी ऐसे अपराधी हैं उन्हें शीघ्र गिरफ्तार कर कठोर सज़ा दी जाए। तो दूसरी ओर कोरोना संक्रमण के दौर में दिल्ली और उत्तर प्रदेश से मुरैना और ग्वालियर पहुंचने वाले लोगों के स्वास्थ्य, भोजन एवं रहने की व्यवस्था करने के निर्देश दोनों जिला कलेक्टर को देने वाला ट्वीट 29 मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया था। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई महत्वपूर्ण बयान अब तक न तो समाचार पत्रों और न ही मीडिया की सुर्खिया बना है। ज्योतिरादित्य सिंधिया बस ट्वीट कर अपनी भावनाओं और अपने विचारों को इस दौरान व्यक्त करते हुए नज़र आते है।
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हालंकि सूत्र बताते है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनका निरंतर संवाद बना हुआ है। प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते दायरे और हो रही मौतों पर दोनों के बीच चर्चा होने के साथ बचाव कार्यों तथा कोरोना संक्रमण रोकने के उपायों पर भी लगातार बात होती है। हालंकि सार्वजनिक रूप से इस बारे में कोई पुष्ट खबर अभी तक सामने नहीं आई है। कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया का शिवराज सिंह चौहान से मिलने उनके सरकारी बंगले मिलने जाने की खबर मीडिया की खूब सुर्खिया बनती थी, जिसे ज्योतिरादित्य सिंधिया एक सौजन्य भेंट कहकर आगे बढ़ जाते थे। वही ज्योतिरादित्य सिंधिया को आखिरी बार शिवराज सिंह चौहान के इस बंगले पर 12 मार्च 2020 की रात को आयोजित भोज पर देखा गया था जिसमें मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती साधना सिंह खुद खाना परोसते दिखी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में भाजपा की सदस्यता लेने के बाद भोपाल पहुँचे थे और उनका प्रदेश की राजधानी भोपाल में जोरदार स्वागत हुआ था।
लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनने और शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से प्रदेश की राजनीति से ज्योतिदित्य सिंधिया की दूरी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रदेश की सत्ता सम्हाले के बाद से लगातार कोरोना संक्रमण को लेकर बचाव कार्यों और व्यवस्थाओं में व्यस्त है तो दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली के अपने खुद के घर में परिवार के साथ लॉकडाउन का पालन कर रहे है। चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कोरोना संक्रमण से फैली महामारी से जनता के बचाव कार्यों को लेकर रात-दिन काम में जुटे शिवराज सिंह चौहान के आवाहन पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने व्यक्तिगत कमाई से 30 लाख रूपए मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करवाए जिसकी जानकारी भी उन्होनें ट्वीट कर दी। जिसमें उन्होनें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम लिखा पत्र भी संलग्न किया। हालंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री की शपथ लेने के तुरंत बाद ट्वीट कर बधाई प्रेषित की थी जिसमें उन्होनें लिखा था कि प्रदेश के विकास प्रगति और उन्नति में मैं सदैव आपके साथ खड़ा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि कि आपके नेतृत्व में मप्र विकास के ने आयाम स्थापित करेगा।
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कुल मिलाकर देखा जाए तो भाजपा की सदस्यता लेने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थकों से ट्वीटर के जरिए ही संवाद बनाए हुए है। वह आखिरी बार मीडिया के माइकों के सामने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते 21 मार्च 2020 को दिखे थे जब वह प्रधानमंत्री द्वारा 22 मार्च से जनता कर्फ्यू के लिए उन्होनें देश की जनता से निवेदन किया था। जिसके बाद से वही महत्वपूर्ण जानकारीयों को भी ट्वीटर के माध्यम से ही लोगों के बीच साझा करते हुए नज़र आते है। अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया न तो भाजपा के किसी संगठनात्मक पद पर है और न ही अभी वह राज्यसभा सदस्य ही नामित हुए है। क्योंकि कोरोना संक्रमण के चलते राज्यसभा के होने वाले चुनाव भी स्थगित हो गए जिसके चलते उनकी राज्यसभा सदस्यता भी जाती रही है। जबकि भारतीय जनता पार्टी के सदस्य के रूप में अभी तक ज्योतिरादित्य सिंधिया कुछ ऐसा संदेश दे पाने में सफल नहीं हुए है जो सियासी हलकों में हलचल मचाने के साथ ही अखबारों और मीडिया की सुर्खिया बन सकें। हां कोरोना संकट से पार पाने के बाद राज्य की 25 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया की क्या भूमिका होती है, यह भविष्य की कोख में है। जबकि ग्वालियर चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक देव श्रीमाली की माने तो ग्वालियर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने उनके विधानसभा क्षेत्र से सिंधिया समर्थक नेता के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा था कि “यह भाजपा है देखते जाइए”...वही ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के संबंधों को लेकर लगाए जाने वाले कयास मात्र अभी कयास तक ही सीमित दिखते है।
- दिनेश शुक्ल
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