Israel पर Hamas के भीषण आतंकी हमले का एक वर्ष पूरा, साल भर में यह संघर्ष क्षेत्रीय युद्ध में बदल चुका है
वैसे देखा जाये तो क्षेत्रीय युद्ध अब लगभग शुरू हो चुका है। लगभग एक वर्ष पहले गाजा में शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया में फैल चुका है। इजराइल अपनी सीमा से दूर देशों और समूहों से लड़ रहा है, जिसके कई वैश्विक परिणाम भी हैं।
इजराइल पर हमास के भीषण आतंकी हमले को आज एक साल पूरा हो गया। इजराइलियों ने आतंकी हमले में जान गंवाने वाले लोगों को याद किया और बंधकों की शीघ्र रिहाई के लिए प्रार्थना की। हम आपको याद दिला दें कि एक साल पहले हमास के आतंकवादियों ने 7 अक्टूबर को इज़राइल में रॉकेट हमलों के अलावा जमीनी हमले भी किये थे। हमास के आतंकवादियों ने 1,200 लोगों की हत्या कर दी थी और लगभग 250 बंधकों को वह गाजा ले गए थे। इसी हमले की याद में यरूशलम में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के घर के बाहर, बंधकों के परिवारों के नेतृत्व में लगभग 300 लोगों ने अपने प्रियजनों की तस्वीरें लेकर मृतकों के लिए एक मिनट का मौन रखा। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम अभी भी पिछले साल हुए हमले के गम में हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम खुद को, अपने प्रधानमंत्री को और इज़राइल की जनता को यह याद दिलाने के लिए इस दिन की शुरुआत एक साथ करना चाहते थे कि भले ही यह दुःख का दिन है, फिर भी बंधकों को वापस लाने का हमारा मिशन जिंदा है।
इसके अलावा, रीम स्थित संगीत समारोह स्थल जहां 360 से अधिक लोग मारे गए थे और दर्जनों को बंधक बना लिया गया था, वहां आयोजित कार्यक्रम की राष्ट्रपति इसहाक हर्ज़ोग ने अध्यक्षता की। यहां समारोह में एक साल पहले पार्टी में बजाए गए आखिरी ट्रैक को फिर बजाया गया। राष्ट्रपति हर्ज़ोग ने कहा, "हम हमेशा याद रखेंगे कि किसने अपहरण किया, किसने हत्या की, किसने बलात्कार किया, किसने कत्लेआम किया। साथ ही, हमने असाधारण धैर्य भी देखा है। हमारे पास अद्भुत लोग हैं और हम मजबूती के साथ खड़े हैं।
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हम आपको बता दें कि इजराइली सेना और पुलिस ने कहा है कि सुरक्षा बल आज पूरे देश में हाई अलर्ट पर हैं क्योंकि उन्हें 7 अक्टूबर, 2023 की सालगिरह के दिन संभावित फिलिस्तीनी हमलों की आशंका थी। रिपोर्टों के मुताबिक, इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में आवाजाही आज बाधित है साथ ही प्रवेश परमिट रखने वाले कुछ फिलिस्तीनियों को उनके मोबाइल फोन पर नोटिस मिला है कि उन्हें सोमवार को इज़राइल में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
हम आपको बता दें कि गाजा में 101 इजराइली अब भी बंधक बने हुए हैं। इजराइली सेनाएं क्षेत्र पर हमास के शासन को खत्म करने और उसकी सैन्य क्षमताओं को ध्वस्त करने के अपने मिशन पर लगातार आगे बढ़ रही हैं। लेकिन युद्ध का ध्यान तेजी से उत्तर की ओर लेबनान में स्थानांतरित हो गया है, जहां ईरान समर्थित हिज्बुल्ला समूह द्वारा मिसाइलों की बौछार शुरू करने के बाद से इजराइली सेना गोलीबारी कर रही है। सीमित दैनिक संघर्ष के रूप में जो चीज शुरू हुई थी वह बेरूत में हिजबुल्लाह के गढ़ पर बमबारी और सीमावर्ती गांवों में जमीनी हमले में बदल गयी। इजराइल के हमले में पिछले दो हफ्तों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। इसके अलावा दक्षिणी लेबनान से बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हो गया है, जहां 1 मिलियन से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि इजराइल ने 1 अक्टूबर को दूसरे ईरानी हमले पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन उसने कड़ी प्रतिक्रिया देने की कसम खाई है। इजराइली हवाई हमलों में हमास और हिजबुल्ला नेताओं के मारे जाने के जवाब में ईरान ने जब इस सप्ताह इजराइल पर 180 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल दागीं थीं तो कुछ लोग तेहरान की इस जोरदार प्रतिक्रिया को देखकर दंग रह गये। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू ने तुरंत एक निश्चित समय पर कठोर जवाबी कार्रवाई की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि देर रात जब उनके सुरक्षा मंत्रिमंडल ने एक बैठक की तो उसमें तय हुआ कि जो कोई भी हम पर हमला करेगा, हम उस पर हमला करेंगे। इसलिए यह देखना जरूरी हो जाता है कि इजराइल की जवाबी कार्रवाई कैसी हो सकती है और क्या ईरान व इजरायल के बीच युद्ध की शुरुआत हो सकती है या फिर अमेरिका अपने वादे के अनुरूप इजराइल के लिए युद्ध में शामिल हो सकता है?
वैसे देखा जाये तो क्षेत्रीय युद्ध अब लगभग शुरू हो चुका है। लगभग एक वर्ष पहले गाजा में शुरू हुआ संघर्ष पूरे पश्चिम एशिया में फैल चुका है। इजराइल अपनी सीमा से दूर देशों और समूहों से लड़ रहा है, जिसके कई वैश्विक परिणाम भी हैं। ईरान द्वारा किये गये हमले से ये साफ है कि यह संघर्ष एक तरफ इजराइल व उसके पश्चिमी सहयोगियों और दूसरी तरफ रूस व चीन द्वारा समर्थित ईरान और उसके सहयोगियों के बीच सीधा टकराव बन गया है। अमेरिका ने इजराइल को सैन्य और कूटनीतिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जबकि रूस ने ईरान को लड़ाकू विमान और वायु रक्षा तकनीक भेजने का वादा किया है। रूस, यूक्रेन के साथ अपने युद्ध के लिए ईरान से हथियार भी खरीद रहा है, जिससे तेहरान को बहुत जरूरी नकदी प्राप्त हो रही है।
दूसरी ओर, इजराइल कई मोर्चों पर जंग लड़ रहा है। सबसे पहले इजराइल और गाजा के बीच युद्ध जारी है। इस युद्ध में 40,000 से अधिक फलस्तीनी मारे जा चुके हैं। हमास एक गुरिल्ला संगठन बन चुका है हालांकि अब भी विस्थापित फलस्तीनी आबादी पर उसका कुछ नियंत्रण है। इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) वेस्ट बैंक में बढ़ती आतंकी घटनाओं से पार पाने के लिए ईरान द्वारा मुहैया हथियारों और वित्तपोषित स्थानीय आतंकवादियों के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है। इस बीच इराक व सीरिया में शिया उग्रवादी और यमन में हूती विद्रोही अभी भी इजराइल के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि शिया और हूती ईरान के अन्य छद्म समूह हैं। वहीं इजराइल और अमेरिका दोनों ने यमन में हूती विद्रोहियों पर जवाबी हमला किया है।
इजराइल ने दो सप्ताह पहले एक निर्णायक कदम उठाते हुए हिज्बुल्ला द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट करने का आदेश दिया क्योंकि नेतन्याहू को डर था कि इस ऑपरेशन के उजागर होने का खतरा है। इसके बाद इजराइली सेना ने हिज्बुल्ला के एक शस्त्रागार को नष्ट करने के उद्देश्य से एक बड़े पैमाने पर हवाई अभियान चलाया। इस शास्त्रागार में 150,000 मिसाइलों, रॉकेट और ड्रोन होने का अनुमान था। इजराइली हमले के परिणामस्वरूप लगभग दस लाख लेबनानी लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
और अब ईरान भी सीधे तौर पर जंग में शामिल हो चुका है तो एक चीज जो तेहरान को बहुत चिंतित कर रही है वह यह है कि इजराइल, अमेरिका के साथ मिलकर उसके महत्वपूर्ण ठिकानों या फिर सुविधा केंद्रों को निशाना बना सकता है। ईरान को उसके संचार और परिवहन नेटवर्क, वित्तीय संस्थान और तेल उद्योग पर हमले की आशंका हैं। इससे ईरान के भीतर अराजकता पैदा हो सकती है, जिससे सरकार को खतरा हो सकता है। वैसे तेहरान में सत्ता परिवर्तन बेहद मुश्किल है लेकिन ईरानी नेतृत्व फिर भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहता। तेहरान ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को किसी भी अनहोनी का शिकार होने से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर भेज दिया है। ईरानी नेताओं को डर सता रहा है कि इजराइल और अमेरिका इस अवसर का फायदा उठाकर उसके परमाणु ठिकानों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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