एक साल मोदी सरकार: कैसा रहा पीएम का ये सफर? बड़े फैसलों पर एक नजर

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अभिनय आकाश । Jun 3 2020 8:42PM

साल 2019 के सबसे चर्चित फैसले जम्मू कश्मीर से 370 हटाना और इसे दो भागों में विभाजित करना रहा। प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया। इस बिल को सबसे पहले पीएम मोदी के साथी, सहयोगी और सारथी अमित शाह राज्यसभा में लेकर आए।

मोदी सरकार ने अपने कैंपेन के लिए एक नारा दिया था "मेरा देश बदल रहा है'। सिर्फ देश ही नहीं लोगों की सोच भी बदल रही है, ये सब मोदी सरकार के साहसिक कदमों से मुमकिन हो पाया है। 2019 के मई महीने में दोबारा पूरे दम-कम से सत्ता में आने वाले मोदी सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिससे देश का इतिहास, भूगोल, और यूं कहे भारत को लेकर दुनिया की सोच भी बदली। मोदी सरकार के एक साल पूरे हो गए हैं। सरकार को दोबारा मिले पांच साल के जनादेश के हिसाब से समय का यह टुकड़ा छोटा हो सकता है। इतने समय में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं और कई चुनौतियां बाकी हैं। नरेंद्र मोदी सरकार के 1 साल पूरा होने पर मीडिया में विमर्श, संवाद और विवाद निरंतर है। पिछले एक वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चाहने वालों के दिलों में, विपक्ष के निशाने पर और दुनिया के सभी बड़े देशों की नजरों में लगातार बने रहें। मोदी सरकार के लिए यह एक वर्ष चुनौतियों और उपलब्धि से भरा रहा क्योंकि उन्होंने हिंदुस्तानियों को भरोसा और आत्मविश्वास दिया लेकिन तीन तलाक और 370 जैसे फैसले चुनौतिपूर्ण भी रहे। तो आइए डालते हैं मोदी सरकार के एक साल के बड़े फैसले पर नजर।

तीन तलाक से दिलाई मुक्ति

तीन तलाक बोलकर कोई भी मुसलमान अब अपनी बीबी-बच्चों की जिम्मेदारियों से बरी नहीं हो सकता। अंकगणित के हिसाब से लोकसभा में सशक्त मोदी सरकार ने राज्यसभा में अल्पमत में होने के बावजूद भी इस ऐतिहासिक बिल को पास करा दिया। सरकार के कुशल फ्लोर मैनेजमेंट की वजह से बिखरे हुए विपक्ष ने अपने हथियार डाल दिए। पीएम मोदी जानते थे कि ये राह आसान तो कतई नहीं है, लेकिन उन्हें ये करना था और जरूर करना था। नए कानून की नई रोशनी में तीन तलाक बोलकर अब जिम्मेदारियों से बरी हो जाने वालों की खैर नहीं। तीन तलाक का गैर कानूनी हो जाना हिन्दुस्तान की नागरिक स्वतंत्रता के पक्ष में एक ऐसी मुनादी है जिसकी कल्पना संविधान निर्माता बाबा साहब आंबेडकर ने कभी की थी।

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जम्मू कश्मीर से 370 का खात्मा

साल 2019 के सबसे चर्चित फैसले जम्मू कश्मीर से 370 हटाना और इसे दो भागों में विभाजित करना रहा। प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाया। इस बिल को सबसे पहले पीएम मोदी के साथी, सहयोगी और सारथी अमित शाह राज्यसभा में लेकर आए। जिसमें कश्मीर से 370 हटाना, राज्यों का बंटवारा और केंद्र शासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव था। लोकसभा में तो सरकार के पास बहुमत था लेकिन राज्यसभा में बहुमत नहीं था। इसके बावजूद सरकार ने इसे पास करा लिया। याद होगा आपको 5 अगस्त का वो क्षण जब बिल पास होने के बाद सदन में प्रवेश करते ही गृह मंत्री अमित शाह ने झुककर अभिवादन किया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीठ थपा-थपाकर गृहमंत्री अमित शाह की सराहना की थी।

यूएपीए एक्ट में संशोधन

मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ शुरू से ही जीरो टॉलरेंस सहित प्रो एक्टिव सुरक्षा रणनीति अपनाई है। यूएपीए एक बेहद सख्त कानून है और इसे आतंकवादी और देश की अखंडता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया गया है। यह कानून संसद द्वारा 1967 में पारित किया गया था और उसके बाद इसमें कई संशोधन हो चुके हैं। अगस्त 2019 में इस कानून में संशोधन किया गया था जिसके बाद अब इसके तहत संगठनों की जगह व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है।

एनआईए को विशेष अधिकार

अभी तक एनआईए एटोमिक एनर्जी एक्ट 1962, अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट, 1967 के तहत कार्रवाई कर सकती थी। लेकिन अब एनआईए मानव तस्करी, फर्जी मुद्रा बनाने, प्रतिबंधित हथियारों को बनाने और बेचने, साइबर आतंकवाद और विस्फोटक सामग्री अधिनियम 1908 के मामलों में भी कार्रवाई कर सकेगी। पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए के अधिकारियों के पास देश के बाहर हुई किसी घटना पर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं था। अब एनआईए अधिकारियों के पास भारत के बाहर हुईं भारतीय नागरिकों या भारत देश के विरुद्ध की गई आपराधिक घटनाओं पर भी पुलिस की तरह कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इसके अलावा एनआईए अदालतों को लेकर किया गया है। अब तक एनआईए के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अपराधों या अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष एनआईए अदालतों का गठन किया जाता था। अब केंद्र सरकार के पास अधिकार होगा कि वो किसी भी सेशन अदालत को एनआईए अदालत में बदल सकेगी। अब तक एनआईए के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अपराधों या अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष एनआईए अदालतों का गठन किया जाता था। इस संशोधन के बाद केंद्र सरकार के पास अधिकार होगा कि वो किसी भी सेशन अदालत को एनआईए अदालत में बदल सकेगी।

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लद्दाख के साथ न्याय

जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने जाने की चर्चा तो हमेशा सुर्खियों में रहती है लेकिन लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश में तब्दिल होने की बात का जुक्र बेहद ही कम अथवा सीमित ही रहा है। लद्दाख वासियों के लिए केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) की मांग एक पुराने नारे से सच की शक़्ल में  बदल गई। पाँच अगस्त को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 के अहम प्रावधानों को हटाने और लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फ़ैसला किया। बौद्ध बहुल आबादी वाले लेह में लोगों की प्रतिक्रिया इस फ़ैसले के स्वागत की ही दिखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई संदेश वाले बैनर से ये प्रदेश सजा हुआ भी नजर आया। जम्मू कश्मीर के प्रभारी होने के वक्त से ही नरेंद्र मोदी का लद्दाख से  विशेष प्रेम भी रहा है। कई बार उन्होंने उस दौर में लद्दाख का दौरा भी किया और लद्दाखवासियों ने यह मांग भी रखी थी। जिसके बाद कई बार पीएम मोदी के संबोधन में भी ये बात निकलकर आई कि लद्दाख के दौरे के वक्त किस तरह से लोग अपनी समस्याएं उनके सानमे रखते थे।

नागरिकता संसोधन कानून

घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात मोदी सरकार द्वारा समय-समय पर की भी जाती रही है। इस दिशा में सबसे पहले असम में एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस पर काम हुआ। वर्तमान में नागरिकता संशोधन विधेयक को भी इसी कवायद का हिस्सा माना गया। नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में नागरिकता संसोधन कानून बड़े फैसले के तौर पर देखा जा सकता है। 10 जनवरी 2020 को इसे पूरे देश मे लागू कर दिया गया। इस कानून के देश में लागू होने के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदी को भारतीय नागरिकता मिल सकती है।

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आत्मनिर्भर भारत पैकेज

कोरोना संकट से निपटने के लिए देश में लॉकडाउन के बीच देश के आम जनजीवन और कारोबार-व्यापार पर पड़ते सीधे असर ने देश की अर्थव्यवस्था को भी संकट में ला खड़ा कर दिया है। इस संकट की वजह से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान करते हुए आत्मनिर्भर भारत योजना लॉन्च की। यह केवल पैकेज नहीं है बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने का एक संकल्प भी है। इस वक्त जब दुनियाभर के सारे देश इसकी चनौतियों से घिरे हैं, कोई अपने घुटनों के बल हैं तो कोई देख रहा है कि अर्थव्यवस्था कैसे वापस सुधरेगी उस समय भारत की कोशिश ये है कि दुनिया में हमारा डंका बजे। हम आत्मनिर्भर भी बनें और स्वदेशी भी दुनिया के कोने-कोने तक जाकर ये कहें कि जो मेड इन इंडिया है वही सर्वश्रेष्ठ है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया था। यह राशि देश के कुल बजट के 10 फीसद के बराबर है। अगर पीएम मोदी के द्वारा किए गए पैकेज की तुलना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था से करें तो साल 2019 में पाकिस्तान सरकार ने 7022 बिलियन पाकिस्तानी रुपये का बजट पेश किया था, भारतीय रुपये के संदर्भ में यह करीब 3.30 लाख करोड़ बैठता है। भारत का कोरोना राहत पैकेज पाकिस्तान के सालाना बजट से 6 गुना ज्यादा है। वहीं बात अगर भारत के बजट की करें तो सरकार ने साल 2020-21 के लिए 30 लाख 42,230 करोड़ रुपये का बजट पेश किया है।

कुल मिलाकर कश्मीर से कन्याकुमारी और कच्छ से कामरूप तक पीएम मोदी ने अपने कार्यों से भारत को विश्वगुरु बनाने के उद्देश्य से अपने कदम बढ़ा दिए हैं। यही कारण है कि बीजेपी ने मोदी सरकार के अभी तक के कार्यकाल को 6 साल, बेमिसाल।। कहा है

- अभिनय आकाश

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