हिंदुओं की अनदेखी करने वाले नेताओं को बदलनी होगी अपनी सोच

Hindu
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संजय सक्सेना । Dec 10 2024 3:43PM

हाल में सम्पन्न नौ विधान सभा सीटों की, दोनों ही बार अखिलेश ने कांग्रेस के साथ होते हुए भी उससे दूरी बनाये रखी। लोकसभा चुनाव में तो अखिलेश ने गठबंधन का धर्म निभाते हुए कुछ सीटें कांग्रेस के लिये छोड़ भी दी थीं, लेकिन उप चुनाव में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी।

बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्ध सहित अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को जलाया व मारा जा रहा है। उनकी संपत्तियां लूटी जा रही हैं। माताओं व बहनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।  मंजर ऐसा है कि किसी की भी रूह कॉप जाये। बांग्लादेश में जो हो रहा है उसके सामने यूपी के संभल में जो कुछ हुआ कोई मायने नहीं रखता है। हाल में बहराइच में हुईं हिंसा भी बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रहे अत्याचार के सामने काफी छोटी नजर आती है। क्योकि संभल हो या बहराइच की हिंसा दोनों ही को विपक्ष कुछ ज्यादा ही बढ़ा-चढ़ाकर हंगामा खड़ा कर रखा है। संभल और बहराइच पर जितना बवाल गांधी परिवार और अखिलेश यादव मचा रहे हैं उतनी ही चुप्पी वह बांग्लादेश में हिन्दुओं और दलितों के साथ हो रहे खून खराबे को लेकर साधे हुए हैं। अखिलेश के पीडीए में पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यकों की बात जरूर की जाती है,लेकिन हकीकीत यही है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुस्लिम वोट बैंक के आगे किसी को तरजीह नहीं देते हैं। अखिलेश दलितों और पिछड़ों की बात सिर्फ इस वर्ग के वोटरों को गुमराह करने के लिये करते हैं। इसी तरह से दलितों और पिछड़ों को इंसाफ दिलाने के लिये कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और उनकी टीम जातिगत जनगणना कराये जाने के लिये हाय-तौबा तो करती है,लेकिन उनका भी इससे कोई लेनादेना नहीं है। उनको भी सिर्फ मुस्लिम वोट बैंक नजर आता है।

दरअसल, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों ही मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जेदारी के चक्कर में एक-दूसरे के साथ-साथ (इंडिया गठबंधन में शामिल दोनों दल) होते हुए भी सियासी दुश्मन बनते जा रहे हैं। मुस्लिम वोट बैंक की खातिर यूपी में राहुल गांधी सपा प्रमुख की कंधे पर चढ़कर उनकी पीठ में ‘छुरा’ भोंकने की कोशिश कर रहे हैं तो अखिलेश यादव जिन्होंने भी नेताजी मुलायम सिंह के बाद मुस्लिम वोटरों को अपने जाल में फांस रखा है वह मुस्लिम वोटरों पर अपनी पकड़ कतई ढीली करने को तैयार नहीं है। इसी के चलते यूपी में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की राह जुदा होती जा रही है। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव की बात हो या फिर हाल में सम्पन्न नौ विधान सभा सीटों की, दोनों ही बार अखिलेश ने कांग्रेस के साथ होते हुए भी उससे दूरी बनाये रखी। लोकसभा चुनाव में तो अखिलेश ने गठबंधन का धर्म निभाते हुए कुछ सीटें कांग्रेस के लिये छोड़ भी दी थीं, लेकिन उप चुनाव में तो कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी।

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आलम यह है कि जब संभल में हुई हिंसा के बाद राहुल गांधी ने वहां जाने का कार्यक्रम बनाया तो समाजवादी पार्टी के महासचिव और अखिलेश के चचा रामगोपाल यादव इसे राहुल की नौटंकी करार दे दिया। इसको लेकर कांग्रेस और सपा के नेताओं के बीच एक-दूसरे के खिलाफ खूब बयानबाजी हुई, लेकिन रामगोपाल यादव की बात सच थी। इस बात का अहसास जल्द हो भी गया। ऐसा इसलिये था क्योंकि राहुल गांधी और उनकी नई-नई सांसद बहन प्रियंका वाड्रा को जब लोकसभा में संभल के पीड़ितों की आवाज उठाने का मौका मिला तो इन दोनों (राहुल-प्रियंका) के साथ-साथ पूरी कांग्रेस अडानी-अडानी करती रह गई। कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं ने एक भी शब्द संभल हिंसा को लेकर नहीं बोला।

बांग्लादेश में हिन्दुओं और खासकर दलितों के खूब खराबे को लेकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं की चुप्पी न तो बीजेपी को रास आई न ही बसपा सुप्रीमों मायावती को यह बर्दाश्त हुआ। योगी बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है उससे कुछ ज्यादा ही दुखी हैं। वह राहुल और अखिलेश जैसे नेताओं का नाम लिये बिना सवाल करते हैं “आज कुछ लोग समाज को धोखा दे रहे हैं। वे ही लोग समाज में झूठ फैला रहे हैं। हैदराबाद के निजाम और उनके रजाकारों की ओर से जब दलितों के गांव जलाए जा रहे थे तब भी वे चुप थें उस दौरान उनका शोषण हो रहा था।  तब भी बाबा अंबेडकर ने खुला पत्र लिखा था कि निजाम की रियासत के सभी दलित रियासत को छोड़कर महाराष्ट्र चले जाएं, लेकिन अपना धर्म और मत न बदलें। पड़ोसी मुल्कों में अल्पसंख्यक हिंदुओं की घटती आबादी पर सीएम योगी ने कहा कि साल 1947 में पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की बड़ी तादाद में आबादी रहती थी। बांग्लादेश में साल 1971 तक 22 फीसदी हिंदू रहा करते थे, लेकिन आज उनकी संख्या 6 से 8 फीसदी ही रह गई है। योगी ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग हमेशा दलितों को अपना वोट बैंक बना कर उनका शोषण करते आए हैं, वे आज बांग्लादेश की घटना पर मौन हैं. उनके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा। वे सच को स्वीकार नहीं कर सकते और न ही सच बोल सकते हैं। सिर्फ संविधान की प्रति दिखाकर ढोंग कर रहे हैं। उन्हें बाबा साहेब के मूल्यों से कोई लेना-देना ही नहीं है।

  

ऐसे ही आरोप बसपा सुप्रीमो मायावती भी लगा रही हैं। उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार की घटनाओं को लेकर विपक्षी दलों को घेरा और पूछा कि मुख्य विपक्ष दल होने के बाद भी कांग्रेस और सपा इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं ? ये दोनों दल सिर्फ मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए सिर्फ संभल हिंसा की बात कर मुस्लिम समाज को लड़वा रही हैं। मायावती ने मांग की कि केंद्र सरकार को बांग्लादेश के दलितों को भारत लाना चाहिए। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि संसद चल रही है और विपक्षी दल देश और यहां के जनहित के मुद्दे न उठाकर अपने राजनीतिक स्वार्थ में संभल में हुई हिंसा की आड़ में खासकर सपा और कांग्रेस पार्टी मुस्लिम वोट को रिझाने में लगी हुईं हैं। इन्हें बाकी मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि ये दल मुस्लिम समाज को भी तुर्क और नॉन तुर्क को आपस में लड़ा रही है, जिससे मुस्लिम समाज को भी सतर्क रहना है।    

कई दलों के नेता तो बांग्लादेश में हो रही हिंसा को लेकर चुप्पी साध रहे हैं, इसके अलावा मुस्लिम संगठन भी बांग्लादेश की हिंसा मुखर नजर नहीं आ रहे हैं, इसी के चलते भारतीय जनता पार्टी नेता शाहनवाज हुसैन देश के मुस्लिम संगठनों को लानत-मलानत भेज रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश में जिस तरह अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ जुल्म और ज्यादती हो रही है। उन पर जुल्म की सभी सीमाएं पार कर दी गईं। उस पर भारत सरकार की पूरी नजर है। लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर जो अत्याचार हो रहा है, धार्मिक स्थल जलाए जा रहे हैं, धर्म गुरुओं को मारा-पीटा जा रहा है, उस पर मुस्लिम संगठनों के लोग चुप हैं।

शाहनवाज ने कहा, अगर फिलिस्तीन या ईरान में मुस्लिमों के साथ कुछ होता है, तो ये लोग प्रदर्शन करते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है, वे मारे-काटे जा रहे हैं, लेकिन उलेमाओं की जुबान खुल ही नहीं रही है। वह कुछ बोल ही नहीं रहे हैं। पूरी दुनिया में अल्पसंख्यकों को कैसे रखा जाता है, उसके लिए आदर्श देश भारत है। अल्पसंख्यकों के लिए भारत से अच्छा कोई देश नहीं हो सकता। बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की क्या हालत कर दी गई। पूरे मुस्लिम समुदाय को खुलकर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर मार्च निकालना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।’

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