5 सेकंड के बयान से इजरायल भी हैरान, दुश्मनों से निपटने का क्या है हिमंता का प्लान?
एक बड़ा कदम उठाते हुए असम सरकार ने आधार कार्ड को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी से जोड़ने का ऐलान कर दिया है। असम में अब जिसने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया होगा उसे आधार कार्ड नहीं मिलेगा। जानकारी के लिए बता दें कि एनआरसी एक रजिस्टर है जिसमें भारत में रहने वाले सभी वैद्य नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश को लेकर एक ऐसा ऐलान किया है, जिसने हड़कंप मचा दिया है। हिमंता बिस्वा सरमा ने इजरायल का नाम लेकर एक ऐसी बात कही है जिसे सुनकर कट्टरपंथियों और बांग्लादेशियों के होश उड़ गए हैं। इजरायल का नाम लेकर हिमंता बिस्वा सरमा ने रातों रात एक ऐसा फैसला किया है जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। हिमंता बिस्वा सरमा ने सोनितपुर के जमुगुरीहाट में ‘शहाद दिवस’ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि असम की सीमाएं कभी भी सुरक्षित नहीं थीं। हम (असमिया लोग) 12 जिलों में अल्पसंख्यक हैं। हमें इजरायल जैसे देशों के इतिहास से सीखना होगा कि कैसे ज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके और अदम्य साहस के साथ, दुश्मनों से घिरे होने के बावजूद भी यह एक मजबूत देश बन गया है।
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दरअसल, एक बड़ा कदम उठाते हुए असम सरकार ने आधार कार्ड को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी से जोड़ने का ऐलान कर दिया है। असम में अब जिसने एनआरसी के लिए आवेदन नहीं किया होगा उसे आधार कार्ड नहीं मिलेगा। जानकारी के लिए बता दें कि एनआरसी एक रजिस्टर है जिसमें भारत में रहने वाले सभी वैद्य नागरिकों का रिकॉर्ड रखा जाता है। यानी अब असम में किसी को आधार कार्ड चाहिए तो उसे पहले एनआरसी सर्टिफिकेट दिखाकर साबित करना होगा कि वो भारत का वैद्य नागरिक है। हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि पिछले दो महीने में असम पुलिस, त्रिपुरा पुलिस और बीएसएफ ने बड़ी संख्या में घुसपैठियों को पकड़ा है। ये सारे बांग्लादेश से आए थे।
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आपको बता दें कि बांग्लादेशी घुसपैठिए आराम से आधार कार्ड बनवाकर चुपचाप असम और दूसरे इलाकों में बस जाते हैं। लेकिन अब ये नहीं होगा। बांग्लादेशी घुसपैठिओं की वजह से सबसे बड़ा संकट असम पर था। कुछ समय पहले हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया था कि असम में बांग्लादेशियों की वजह से मुस्लिम जनसंख्या 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जबकि 1991 में असम में मुस्लिमों की जनसंख्या केवल 12 प्रतिशत थी। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि ये मेरे लिए जीने मरने का सवाल है। इसी कड़ी में हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि हमें इजरायल से सीखने की जरूरत है
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