केजरीवाल को आप के कैडर पर अब नहीं रहा भरोसा- भाजपा और कांग्रेस के बागियों के सहारे जीतेंगे चुनाव?
अरविंद केजरीवाल इस बार दूसरी पार्टियों के बागियों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। असुरक्षा की भावना ने उन्हें इस तरह से घेर लिया है कि इस बार वो पार्टी के विधायक दल में भी पूरी तरह से केजरीवाल को नेता मानने वालों को ही जीता कर लाना चाहते हैं।
नई तरह की राजनीति करने का दावा कर, राजनीति के मैदान में उतरे अरविंद केजरीवाल अब थकते हुए से नजर आ रहे हैं। शराब घोटाला, डीटीसी बस घोटाला और इस तरह के अनगिनत घोटालों का आरोप झेल रहे केजरीवाल भले ही कितनी भी मजबूती से अपना बचाव करने का प्रयास करें लेकिन शीशमहल ने उनकी छवि पर बड़ा सवालिया निशान तो लगा ही दिया है। जेल से बाहर निकल कर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल भले ही लाख तर्क दें लेकिन भारतीय राजनीति की इस खासियत और इतिहास को भी वह बखूबी समझते हैं और जानते भी हैं। केजरीवाल को यह अहसास है कि आज की तारीख में वह मुख्यमंत्री नहीं है। वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी भले ही सार्वजनिक रूप से यह कहती रहें कि केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के लिए वह यह विधानसभा चुनाव जीतना चाहती हैं लेकिन आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो को इस बात का अहसास है कि अगर उनकी पार्टी जीत भी गई तो भी एक महिला को हटाकर मुख्यमंत्री बनना उनके लिए आसान नहीं होगा।
शायद यही वजह है कि पार्टी के मूल कैडर से हटकर अरविंद केजरीवाल इस बार दूसरी पार्टियों के बागियों पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। असुरक्षा की भावना ने उन्हें इस तरह से घेर लिया है कि इस बार वो पार्टी के विधायक दल में भी पूरी तरह से केजरीवाल को नेता मानने वालों को ही जीता कर लाना चाहते हैं। यहां यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि पार्टी के सुप्रीमो होने और पार्टी पर मजबूत पकड़ होने के बावजूद केजरीवाल जेल में रहने के दौरान तमाम नियमों को धत्ता बताते हुए अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल से आदेश तो भिजवाते रहे लेकिन बगावत के डर से अपनी पत्नी को दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने की हिम्मत नहीं कर पाए थे।
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दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी द्वारा 21 नवम्बर गुरुवार को जारी किए गए 11 उम्मीदवारों की लिस्ट में यह भावना साफ-साफ नजर आती है। केजरीवाल ने किराड़ी विधानसभा सीट से अपने मौजूदा विधायक ऋतुराज झा का टिकट काट कर हाल ही में भाजपा से आए इलाके के पूर्व विधायक अनिल झा को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से ही आए ब्रह्म सिंह तंवर को छतरपुर से और बीबी त्यागी को लक्ष्मी नगर से उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं कांग्रेस से टिकट के लिए आम आदमी पार्टी में शामिल हुए जुबैर चौधरी को सीलमपुर, सुमेश शौकीन को मटियाला और वीर सिंह धींगान को सीमापुरी से टिकट थमा दिया गया है। कांग्रेस से विधायक रह चुके वीर सिंह धींगान को टिकट देते समय केजरीवाल शायद यह भी भूल गए कि आंदोलन के शुरुआती दौर में उनकी साथी रह चुकी और 2005 से उनके हर संघर्ष में साथ देने वाली स्वर्गीय संतोष कोली ने इनके खिलाफ लंबा संघर्ष किया था।
यानी आम आदमी पार्टी ने अपने 11 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में भाजपा और कांग्रेस से आने वाले 6 नेताओं को टिकट थमा कर यह बता दिया है कि इस बार अरविंद केजरीवाल को आप के कैडर की भाजपा और कांग्रेस के बागियों पर ज्यादा भरोसा है। आप को 59 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान अभी और करना है और यह माना जा रहा है कि आने वाली लिस्टों में भी यही ट्रेंड जारी रहेगा।
- संतोष पाठक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)
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