भारतीय विमान अगर बालाकोट पहुँच सकते हैं तो रावलपिंडी भी पहुँच सकते हैं
पाकिस्तान को यह समझ आ जाना चाहिए कि अगर भारत के लड़ाकू विमान बिना किसी बाधा बालाकोट तक पहुंच सकते हैं तो वे रावलपिंडी भी पहुंच सकते हैं। उसे यह भी समझ आना चाहिए कि परमाणु बम के इस्तेमाल की उसकी धमकियां अब काम आने वाली नहीं।
पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान की बहानेबाजी एवं आतंकवाद को लगातार प्रोत्साहन एवं पल्लवन देने की स्थितियों को देखते हुए यह आवश्यक हो गया था कि उसे न केवल सबक सिखाया जाए, बल्कि यह संदेश भी दिया जाए कि भारत अब उसकी चालबाजी में आने वाला नहीं है। इसके लिये भारतीय वायुसेना ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके जो आतंकी कैंपों को ध्वस्त किया है, वह बहुत सराहनीय कदम है और जोश से भर देने वाली साहसिक एवं अनूठी घटना है। इस घटना से आतंकवाद को समाप्त करने की दिशा में एक सार्थक पहल हुई है। शांति का आश्वासन, उजाले का भरोसा सुनते-सुनते लोग थक गए थे। उन्हें तो शांति व उजाला हमारे सामने चाहिए था, पाकिस्तान में पोषित हो रहे आतंकवाद के लिये कठोर कार्रवाई चाहिए थी। वायुसेना की इस कार्रवाई से न केवल भारत को बल्कि समूची दुनिया को राहत की सांसें मिली हैं। इस कार्रवाई से भारत ने पाकिस्तान को बेहद सख्त और निर्णायक संदेश दिया है कि वह अपने यहां पल रहे आतंकी कैंपों को बंद करे।
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यदि भारत ने पाकिस्तान और वहां पल-पल पनप रहे आतंकवाद को सबक नहीं सिखाया तो वे पुलवामा जैसी दुखद घटनाओं को अंजाम देते रहेंगे, इसे पहले उरी में भी उन्होंने ऐसा किया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सच्चे राष्ट्रभक्त एवं राष्ट्रनायक की भांति आतंकवाद की अनिर्णायक स्थिति में निष्पक्षता एवं कठोरता का पार्ट अदा किया है। अब तक हमने सदैव ”क्षमा करो और भूल जाओ“ को वरीयता दी है। यही कारण है कि आतंकवाद बढ़ता गया, आतंकवादी पनपते गये, निर्दोष लाशें बिछती रहीं। यह वक्त बताएगा कि पाकिस्तान कोई सही सबक सीखता है या नहीं, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने उसकी सीमा में घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े आतंकी अड्डे पर हमला करके यह बता दिया कि भारत के सहने की एक सीमा है, उसके धैर्य का बांध टूट गया है। यह बेहद महत्वपूर्ण है कि हमारे लड़ाकू विमानों ने नियंत्रण रेखा के साथ पाकिस्तान की मूल सीमा रेखा भी पार कर एक तरह से उसके मर्म पर प्रहार किया।
पाकिस्तान ने संयम एवं इंसानियत को छोड़ दिया था, उसने मर्यादा और सिद्धान्तों के कपड़े उतार कर नंगापन को ओढ़ लिया था। पूर्वाग्रह एवं आतंकवादी अहंकार के कारण वह विवेकशून्य हो गया था। उसको परास्त करना जरूरी हो गया था, उसको परास्त करने का अर्थ नेस्तनाबूद करना नहीं बल्कि काबू में कर सही रास्ते पर लाना है। अब भी यदि वह सबक नहीं सिखता है तो उसका संकट बढ़ सकता है। क्योंकि बालाकोट वह स्थान है जो पाकिस्तान के सैन्य मुख्यालय रावलपिंडी से ज्यादा दूर नहीं है। पाकिस्तान को यह समझ आ जाना चाहिए कि अगर भारत के लड़ाकू विमान बिना किसी बाधा बालाकोट तक पहुंच सकते हैं तो वे रावलपिंडी भी पहुंच सकते हैं। उसे यह भी समझ आना चाहिए कि परमाणु बम के इस्तेमाल की उसकी धमकियां अब काम आने वाली नहीं। हर आतंकवादी घटना मानवीयता को घायल करती है और हर ऐसी जलने वाली लाश का धुआं मानवता पर कालिख पोत देता है। यह सच्चाई है कि अशांति फैलाने वाले और शांति स्थापित करने वाले, दोनों ही गोली चला रहे हैं। लेकिन आतंकवाद के शमन का कोई सभ्य और लोकतांत्रिक रास्ता मनुष्यता अभी तक खोज नहीं पाई थी। लेकिन भारत की कार्रवाई इस दिशा में एक सार्थक पहल है जिसने आतंकवाद के पैर ले लिये हैं, उसे पंगु बना दिया है। यह निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के लिये उजली सुबह की आहट है।
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दरअसल, पाकिस्तान इसलिए अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा था, क्योंकि उसे ठीक से कड़ा संदेश नहीं मिल रहा था। इस तरह उनकी हिम्मत बढ़ती गयी थी और उसने भारत में एक नहीं अनेक बार पुलवामा जैसी दर्दनाक घटनाओं को अंजाम दिया है। इसीलिए नियंत्रण रेखा के पार जाकर इस आतंकवादी संगठन जैश के ट्रेनिंग कैंपों को ध्वस्त करने और उनकी आतंकी योजनाओं को नाकाम करने की सख्त जरूरत पड़ी, ताकि आगे हम अपने और जवान न खोयें, अशांति को न झेलें एवं भय को न जीयें। भारतीय वायुसेना ने यह कर दिखाया है। बालाकोट में जैश के जिस आतंकी अड्डे को मटियामेट किया गया, वैसे तमाम अड्डे पाकिस्तानी सेना के संरक्षण और समर्थन से ही चलते रहे हैं। अभी तक पाकिस्तान ऐसे अड्डों को खत्म करने का दिखावा करने के साथ यह बहाना भी बनाता रहा है कि हम तो खुद ही आतंक के शिकार हैं। यह झूठ न जाने कितनी बार बेनकाब हो चुका है, किंतु पाकिस्तान बेशर्मी से बाज नहीं आता। बालाकोट में सफल हवाई हमले को अंजाम देने के बाद भारत दुनिया को यह संदेश देने में भी कामयाब रहा कि उसने पाकिस्तान को निशाना बनाने की बजाय उसके यहां कायम आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। वायुसेना ने अपनी पराक्रम क्षमता और साहस का जो परिचय दिया, वह पाकिस्तान के साथ विश्व समुदाय को भी एक संदेश है। वह यह संदेश इसीलिए दे सकी, क्योंकि प्रधानमंत्री ने जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया। चूंकि पाकिस्तान के लिए दुनिया को यह समझाना मुश्किल होगा कि उसके यहां आतंकी अड्डे नहीं चल रहे थे, इसलिए उसके लिए कोई कार्रवाई कर पाना भी कठिन होगा। उसे यह भय भी सताएगा कि उसकी ओर से भारत के खिलाफ कोई कदम उठाया गया तो उसे कहीं अधिक करारा जवाब मिलेगा।
उस जवाब का अर्थ होगा पाकिस्तान के सम्मुख संकटों के पहाड़ खडे़ होना, वहां की अर्थ-व्यवस्था ध्वस्त होना, जनजीवन का परेशान होना, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ना। इसलिये इन जटिल स्थितियों की संभावना के बावजूद पता नहीं कि फिलहाल लीपापोती के साथ तेवर दिखाने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान आगे क्या करेगा, लेकिन भारत के लिए यह जरूरी है कि वह उस पर दबाव बनाए रहे। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह काम नहीं किया गया था। अब यह जरूर किया जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान आसानी से सुधरने वाला नहीं है। इसी के साथ भारत सरकार को कश्मीर के हालात सुधारने के लिए भी ठोस कदम उठाने होंगे, क्योंकि पाकिस्तान वहां के हालात का ही फायदा उठा रहा है।
कश्मीर को शांत करने के प्रयासों को राजनीतिक एकजुटता का सहारा मिलना चाहिए। पुलवामा हमले के बाद बनी राजनीतिक एकजुटता छिन्न-भिन्न हो रही थी। अब ऐसा न हो, यह देखना सबकी जिम्मेदारी है। राजनीतिक नेतृत्व के साथ आम जनता का भी एकजुट रहना और दिखना समय की मांग है। क्योंकि आतंकवाद से मुक्ति के इन्तजार में हमने बहुत कुछ खो दिया है। इसलिये इस अभूतपूर्व संकट के लिए अभूतपूर्व समाधान खोजना जरूरी था। बहुत लोगों का मानना है कि जिनका अस्तित्व और अस्मिता ही दांव पर लगी हो, उनके लिए नैतिकता और जमीर जैसी संज्ञाएं एकदम निरर्थक हैं। सफलता और असफलता तो परिणाम के दो रूप हैं और गीता कहती है कि परिणाम किसी के हाथ में नहीं होता। पर जो अतीत के उत्तराधिकारी और भविष्य के उत्तरदायी हैं, उनको दृढ़ मनोबल और नेतृत्व का परिचय देना होगा, पद, पार्टी, पक्ष, प्रतिष्ठा एवं पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर। अन्यथा वक्त इसकी कीमत सभी दावों व सभी लोगों से वसूल कर लेता है और भारत के साथ ऐसा लम्बे समय से होता रहा है। इसलिये नरेन्द्र मोदी ने दृढ़ता से जो संदेश दिया है उससे न केवल पाकिस्तान बल्कि दुनिया के आतंकवादी नेतृत्व को सोचने को मजबूर कर दिया है। मेरे ख्याल में पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों को अब एक सख्त संदेश मिल गया है। हालांकि, हमें यहीं नहीं रुक जाना है। भारतीय सेना को अब और भी ज्यादा मुस्तैद-सतर्क रहना होगा और बेहतर रणनीति के साथ तैयारी भी मजबूत रखनी होगी, ताकि पाकिस्तान की तरफ से अगर कोई जवाबी कार्रवाई होती है, तो उसका हमारी सेना मुंहतोड़ जवाब दे सके। यही नहीं, भारतीय सेना को अभी इस बात को भी देखना होगा कि उस क्षेत्र में जहां-जहां भी आतंकियों के ठिकाने हो सकने का अंदेशा है, वहां-वहां नजर बनाये रखे और उन्हें भी खत्म करने की रणनीति बनाये, पाकिस्तान के मनोबल को तोड़कर ही आतंकवाद को परास्त किया जा सकेगा।
-ललित गर्ग
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