हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर इस बार कैसा है चुनावी मौसम?

Himachal Elections 2022
Prabhasakshi

होटल कारोबारियों का मानना है कि विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद यात्रा उद्योग के प्रति सरकार की उदासीनता ने हितधारकों को अधिक नुकसान पहुंचाया है। होटल कारोबारियों के लिए पर्यटन को ‘उद्योग’ का दर्जा दिया जाना अहम चुनावी मुद्दा है।

हिमाचल प्रदेश का नाम आते ही वहां के मनोहर पर्यटन स्थल आंखों के सामने घूम जाते हैं। हिमाचल की ठंडक, साफ और स्वच्छ हवा, मनमोहक वादियां और लोक संस्कृति सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस समय इस पहाड़ी प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां हैं। लेकिन उसके बावजूद यदि प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों को देखेंगे तो वहां पर्यटकों की ही भीड़ है और पर्यटन कारोबार से जुड़े लोग अपने व्यवसाय में ही व्यस्त हैं। फिर भी ऐसे कई मुद्दे हैं जो यहां के स्थानीय लोगों के लिए मायने रखते हैं।

पर्यटन के लिए विश्वविख्यात शहरों धर्मशाला व मैक्लॉडगंज की राजनीति की बात करें तो यहां बहुत से लोगों का मानना है कि उनके सामने अभी कई समस्याएं हैं जिनमें- यातायात जाम, खस्ताहाल सड़कें एवं खराब संपर्क प्रमुख हैं जिनके कारण स्थानीय लोगों के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हालांकि यात्रा और आतिथ्य उद्योग से जुड़े लोग राजनीतिक नेताओं द्वारा प्रस्तावित विकास या भविष्य की गारंटी के दावों पर ध्यान देने के बजाय पर्यटन सीजन के अंतिम चरण के दौरान आगंतुकों का स्वागत करने में अधिक रुचि ले रहे हैं।

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देखा जाये तो मैक्लॉडगंज में पर्यटन उद्योग कोविड-19 महामारी के बाद उपजे हालातों से उबर रहा है लेकिन यातायात जाम, पार्किंग स्थलों की कमी, खराब सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी अब भी यहां बरकरार है और पर्यटकों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ता है। ‘ट्रैवल एंड टूर’ ऑपरेटरों का कहना है कि यात्रियों को बेहतरीन अनुभव उपलब्ध कराने के लिये शहर के अंदर और आसपास के इलाकों में थीम पार्क और बड़े होटल विकसित किए जाने चाहिए जिससे पर्यटक आकर्षित हों। टूर ऑपरेटरों का कहना है कि आकर्षण की कमी और खराब हवाई संपर्क के चलते धर्मशाला महज एक रात ठहरने की जगह बन गया है। टूर ऑपरेटरों का मानना है कि धर्मशाला और मैक्लॉडगंज के बीच यात्रा समय को सड़क मार्ग से लगने वाले 45 मिनट से पांच मिनट करने के लिए 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की गई रोप-वे परियोजना का भी अपेक्षित फायदा नहीं मिलता दिख रहा। इसके बनने से यातायात की समस्या का समाधान नहीं हुआ क्योंकि टिकट की ऊंची दर की वजह से ज्यादा लोग उससे सफर नहीं करते। हालांकि कुछ रियायतों की घोषणा की गई थी लेकिन तब भी एक तरफ का किराया 300 रुपये प्रति टिकट है तो वहीं आने-जाने के लिये टिकट की दर 450 रुपये है। इसके अलावा धर्मशाला में पार्किंग की कमी भी यात्रियों का यहां से मोहभंग करती है।

यह भी काबिलेगौर है कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा मानचित्र पर होने के बावजूद मैक्लॉडगंज को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उचित तवज्जो नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं यहां ज्यादा खर्च करने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और यात्रियों की कम आमद भी होटल उद्योग से जुड़े लोगों की चिंता की वजह है। होटल कारोबारियों का मानना है कि विशेष रूप से कोरोना महामारी के बाद यात्रा उद्योग के प्रति सरकार की उदासीनता ने हितधारकों को अधिक नुकसान पहुंचाया है। होटल कारोबारियों के लिए पर्यटन को ‘उद्योग’ का दर्जा दिया जाना अहम चुनावी मुद्दा है। होटल कारोबारियों का कहना है कि राज्य में पर्यटन क्षेत्र उस पार्टी का समर्थन करेगा जो वास्तव में उसकी समस्याओं का समाधान करेगी और उसे उद्योग का दर्जा देगी।

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उल्लेखनीय है कि धर्मशाला सीट से तीन निर्दलीय समेत कुल छह उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जहां राकेश चौधरी को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है। कुलवंत सिंह राणा आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव हैं और मतगणना आठ दिसंबर को होगी। भारतीय जनता पार्टी राज्य में अपनी सत्ता कायम रखने की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस की नजर भाजपा की सरकार को हटाने पर है।

-गौतम मोरारका

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