राम को काल्पनिक बताने वाली कांग्रेस को राहुल में कैसे दिख गये हिंदुओं के आराध्य?
सलमान खुर्शीद के बयान पर जिस तरीके से कुछ हिंदूवादी नेताओं व कुछ संतों ने प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं वह भी मर्यादित नहीं हैं। किसी भी व्यक्ति ने अगर कोई विवादित बयान दिया है, किसी की भावना को ठेस पहुंचाई है तो उससे निपटने के लिए कानून मौजूद है, हमारी जांच एजेंसियां मौजूद हैं।
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने राहुल गांधी की तुलना हिंदुओं के आराध्य भगवान श्रीराम से करके जो राजनीतिक तूफान खड़ा किया है, उससे बचा जा सकता था। दरअसल राजनीति में आजकल देखने को मिल रहा है कि अपने हितों को साधने के लिए नेता शॉर्टकट की राजनीति करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार यह बता चुके हैं कि शॉर्टकट की राजनीति देश के लिए ठीक नहीं है लेकिन उसके बावजूद नेताओं के विवादित बयानों का सिलसिला जारी है जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ रहा है। राजनीतिक रूप से नए-नए तूफान खड़ा करना दर्शाता है कि आज के नेताओं को सामयिक मुद्दों व प्रासंगिक विषयों पर बहस करने, उन मुद्दों का हल निकालने आदि में कोई रुचि नहीं है। सिर्फ और सिर्फ राजनीति के लिए अपने अपने आकाओं को खुश करने के लिए हर नेता प्रयासरत रहता है।
दूसरी ओर, सलमान खुर्शीद के बयान पर जिस तरीके से कुछ हिंदूवादी नेताओं व कुछ संतों ने प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं वह भी मर्यादित नहीं हैं। किसी भी व्यक्ति ने अगर कोई विवादित बयान दिया है, किसी की भावना को ठेस पहुंचाई है तो उससे निपटने के लिए कानून मौजूद है, हमारी जांच एजेंसियां मौजूद हैं। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी व्यक्ति के खिलाफ हथियार उठाने की अपील करे। खासतौर पर जो संत हैं, धर्मगुरु हैं उनका कर्तव्य है कि समाज में शांति बनी रहे इसके लिए वह निरंतर प्रयासरत रहें, लेकिन यदि उन्हीं की तरफ से कड़ी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जाएंगी तो यह समाज हित में नहीं होगा। धर्म भी यही सिखाता है कि सब मिलकर रहें, एक रहें, एकजुटता के साथ रहें, आपसी भाईचारा बनाये रखें, इसलिए जो धार्मिक गुरु हैं उनकी जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही हो जाती है।
जहां तक सलमान खुर्शीद की बात है तो इससे पहले उन्होंने सनराइज ओवर अयोध्या नामक पुस्तक लिखकर हिंदुत्व और हिंदुओं पर निशाना साधा था। उन्होंने हिंदुत्व की तुलना आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन से की थी। उन्होंने बोको हराम जैसे आतंकी संगठन के समकक्ष हिंदुत्व को बताया था। यह सब चीजें पूर्व में जो कांग्रेस नेता कर चुके हैं आज उन्हें यदि श्रीराम याद आ रहे हैं तो उनसे सवाल पूछा जाना चाहिए कि जिस पार्टी की सरकार ने भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताया था, आज उन्हें कैसे यह आभास हुआ कि श्रीराम काल्पनिक नहीं हैं बल्कि वह साक्षात भगवान हैं?
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जहां तक उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के प्रवेश के मौके पर दिए गए सलमान खुर्शीद के बयान की बात है तो यह भी जगजाहिर है कि अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर ना बने इसके लिए यदि किसी पार्टी ने सर्वाधिक प्रयास किया तो वह कांग्रेस है, अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर ना बने इसके लिए अदालतों में वकील के तौर पर प्रस्तुत होने वालों में सलमान खुर्शीद शामिल रहे। लेकिन सलमान खुर्शीद यदि आज श्री राम का नाम ले रहे हैं, राम का नाम जप रहे हैं तो इस परिवर्तन का भी स्वागत होना चाहिए।
हालांकि अब सलमान खुर्शीद कह रहे हैं कि मैंने जो कहा था उसको गलत तरीके से पेश किया गया, उसको तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। देखा जाये तो हमारे नेताओं की यह पुरानी आदत है कि पहले विवादित बोल बोलो, उस पर हंगामा खड़ा करो, जब मामला गरमा जाए, अपने राजनीतिक हित साधे जाएं उसके बाद उस बयान से पल्ला झाड़ लो और कह दो कि मेरे बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। सलमान खुर्शीद ने अब यह कहा है कि मुझे राहुल गांधी की तारीफ करने के लिए नागपुर से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। देखा जाये तो सलमान खुर्शीद ने बिल्कुल सही कहा है कि किसी को भी किसी की तारीफ करने के लिए या किसी की आलोचना करने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है लेकिन सलमान खुर्शीद ने अपने हालिया बयान के जरिये आरएसएस पर हमला करके साबित कर दिया है कि उनका निशाना हिंदुत्ववादी शक्तियां ही थीं।
बहरहाल, राहुल गांधी की यात्रा ने उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर ही लिया है देखना होगा कि यह यात्रा विवादों से कितनी परे रह पाती है क्योंकि जब आरंभ ही इतना विवादास्पद रहा है तो प्रदेश में रहने के समय इस यात्रा के संग कोई विवाद ना जुड़े ऐसा होना मुश्किल ही प्रतीत होता है।
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