भारतीयों को आपस में लड़ाने की विदेशी साजिश के खिलाफ सबको खड़ा होना पड़ेगा

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छोटे-छोटे मुद्दों को इस प्रकार हवा दी जा रही है ताकि देश में एक वर्ग दूसरे वर्ग के खिलाफ खड़ा हो जाये। हाल में विशेष रूप से हिंदुओं पर कातिलाना हमले हुए हैं, जैसे उदयपुर, अमरावती, कर्नाटक आदि जगहों पर एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा कुछ हिंदू नागरिकों की हत्या कर दी गई।

भारत चूंकि पूरे विश्व में सबसे तेज गति से विकास करने वाली अर्थव्यस्था बन गया है अतः कुछ अन्य देश भारत के खिलाफ षड्यंत्र करते नजर आ रहे हैं ताकि भारत में विकास गति को रोका जा सके। ये विदेशी ताकतें एवं कुछ आतंकवादी संगठन मिलकर भारत में अस्थिरता फैलाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं और आश्चर्य तब होता है जब यह ध्यान में आता है कि हमारे देश के ही कुछ नागरिक इस प्रकार के कार्यों में इन षड्यंत्रकारी ताकतों की मदद करते नजर आते हैं। 

छोटे-छोटे मुद्दों को इस प्रकार हवा दी जा रही है ताकि देश में एक वर्ग दूसरे वर्ग के खिलाफ खड़ा हो जाये। अभी हाल ही में विशेष रूप से हिंदुओं पर कातिलाना हमले हुए हैं, जैसे उदयपुर, अमरावती, कर्नाटक आदि जगहों पर एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा कुछ हिंदू नागरिकों की हत्या कर दी गई। इन हत्याओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर के आतंकवादी संगठनों का हाथ होने की जांच भी केंद्र सरकार की विभिन्न एजेंसियां कर रही हैं। परंतु, अब समय आ गया है कि देश के समस्त नागरिक इस विषय पर विचार करें कि हिंदू ही क्यों हर बार इन दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। कई आतंकवादी संगठन तो गजवा ए हिंद का आंदोलन चलाते नजर आ रहे हैं और जिस प्रकार से पूरी दुनिया में हिंदुत्व का प्रभाव बढ़ रहा है, इसे देखकर ये आतंकवादी संगठन बौखला गए हैं एवं भारत में भय का वातावरण बनाने एवं आतंकवादी घटनाओं को गति देते नजर आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह देखी जा रही है कि ये संगठन भारतीय नागरिकों की भावनाएं भड़काने का काम भी करते नजर आ रहे हैं और इनके जाल में कई भारतीय फंसते दिखाई दे रहे हैं।

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इस विषय पर अब गम्भीर होने का समय आ गया है एवं समस्त भारतीयों को मिलकर, देश में फैलायी जा रही अराजकता एवं हिंदुओं के नरसंहार को किस प्रकार रोका जाये, इस विषय पर विचार करने की जरूरत दिखाई देने लगी है। भारत में आतंकवादी संगठन अपने नापाक इरादों में कभी भी कामयाब नहीं हो सकते हैं क्योंकि भारत की महान हिंदू संस्कृति इनका सामना करने में सक्षम है। ये लोग देश में कुछ अशांति फैलाने के प्रयास में कुछ सफल होते जरूर दिखाई दे रहे हैं क्योंकि इनका विरोध करने की देश में अभी तैयारी नहीं की गई है। यदि कस्बों एवं ग्रामों में भारत के नागरिक एक हो जाएं और इन आतंकवादी संगठनों का डटकर मुकाबला करने की ओर अग्रसर होने लगें तो इन आतंकवादी संगठनों की क्या मजाल कि मां भारती को किसी भी प्रकार का नुक्सान पहुंचा सकें। 

अभी हाल ही में उदयपुर में हुई श्री कन्हैयालाल की हत्या के बाद न केवल उदयपुर बल्कि देश के अन्य कई नगरों में भी लाखों की संख्या में भारतीय नागरिक इस जघन्य हत्याकांड के विरोध में सड़कों पर शांतिप्रिय तरीके से उतरे हैं एवं अपनी एकता का प्रदर्शन किया है, यह एक अतुलनीय प्रयास ही कहा जाना चाहिए। भारतीय नागरिक अब छोटे-छोटे कस्बों में भी जागरूक हो रहे हैं एवं इस तरह की घटनाओं का प्रतिवाद भी करते दिखाई दे रहे हैं। देश के एक अखबार ने इस तरह के विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में तीन बातों की ओर इशारा किया है: (1) इन कस्बों/नगरों के नागरिकों में निरीह हिंदू नागरिकों की हत्या किए जाने के बाद जबरदस्त आक्रोश था और पूरा हिंदू समाज एकता की कड़ी में जुड़ा हुआ दिखाई दिया, इससे स्थानीय प्रशासन भी सकते में आ गया; (2) इस तरह के शांतिप्रिय विरोध प्रदर्शनों में पूर्णतः अनुशासन दिखाई दिया एवं कहीं भी किसी भी प्रकार के पत्थर फेंकने अथवा पुलिस/नागरिकों पर हमले करने की घटनाएं नहीं हुईं; एवं (3) इन प्रदर्शन करने वाले नागरिकों में देश भक्ति की भावना दिखाई दी तथा इन्होंने किसी भी प्रकार की सम्पत्ति को नुक्सान नहीं पहुंचाया। यह है भारतीय संस्कृति का खुला प्रदर्शन।

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अब समय आ गया है कि देश में आतंकवादी घटनाओं का सामना करने की तैयारी कस्बों एवं ग्रामीण स्तर तक की जाये। इस सम्बंध में टोलियों का गठन किया जाकर अपने अपने इलाकों में होने वाली असामान्य घटनाओं पर पूरी नजर रखी जाये और इस तरह की घटनाओं की सूचना तुरंत पुलिस विभाग एवं स्थानीय प्रशासन को दी जाये। आतंकवादियों को खदेड़ने के लिए स्वयं को जागरूक करने एवं तैयार करने की आज आवश्यकता है। इन टोलियों में स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली नागरिकों जैसे वकील, पत्रकार, डॉक्टर, सज्जन शक्ति आदि को भी शामिल किया जा सकता है। कई बार अनजाने में, भारतीय नागरिक ही आतंकवादी संगठनों को सूचना पहुंचा कर मदद करते नजर आते हैं। इसलिए संवेदनशील क्षेत्रों में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। समाज में किस प्रकार की चर्चाएं की जा रही हैं एवं क्या असामान्य गतिविधियां चल रही हैं, इन पर भी पूरा पूरा ध्यान देने की आज आवश्यकता है। 

मुगलों एवं अंग्रेजों के शासनकाल में भारत में हिंदुओं को विभिन्न जाति, धर्म, पंथ एवं सम्प्रदाय में अलग-अलग बांटने की पुरजोर कोशिश की गई थी, ताकि भारत एक सशक्त राष्ट्र के रूप में उभर नहीं सके। इसके लिए अंग्रेजों ने तीन सूत्रीय कार्यक्रम पर कार्य किया, जिसमें उन्हें सफलता भी मिली थी। (1) हिंदू सोसायटी का गैरराष्ट्रीयकरण अर्थात भारतीय नागरिकों को राष्ट्रवाद की भावना से भटकाना; (2) हिंदू सोसायटी का गैर सामाजीकरण अर्थात भारतीय नागरिकों को विभिन्न समाजों के बीच बांटना; एवं (3) हिंदू सोसायटी का गैरहिंदुत्ववादीकरण अर्थात भारतीय नागरिकों को महान भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति से दूर ले जाना। साथ ही, अंग्रेजों एवं मुगलों एवं इसके बाद वामपंथी विचारधारा के लोगों ने भारतीय नागरिकों के बीच आपस में खाई उत्पन्न करने के उद्देश्य से इस प्रकार की कल्पना को भी हवा दी थी कि भारत में आर्य बाहर से आए थे। इसी प्रकार के प्रयास अब आतंकवादियों एवं विदेशी ताकतों द्वारा पुनः किए जा रहे हैं जो भारत की आर्थिक प्रगति को सहन नहीं कर पा रहे हैं। एक बार पुनः सिख समाज एवं कुछ अन्य समाजों को हिंदू समाज से काटने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु, भारतीय नागरिक अब विदेशी ताकतों की इन चालों को सहज रूप से समझ चुके हैं एवं इस प्रकार की विदेशी एवं आतंकवादियों की चालों में आने वाले नहीं हैं। 

मां भारती को एक बार पुनः यदि विश्व गुरु के स्थान पर प्रतिस्थापित करना है तो मां भारती की हम सभी संतानों को सतर्क रहते हुए पूर्ण एकता का प्रदर्शन करना जरूरी हो गया है क्योंकि भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ विदेशी ताकतें एवं आतंकवादी संगठन एक बार पुनः सक्रिय होते दिखाई दे रहे हैं। 

-प्रह्लाद सबनानी 

सेवानिवृत्त उप महाप्रबंधक

भारतीय स्टेट बैंक

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