मोदी सरकार के सख्त फैसलों के चलते उड़ गयी है विपक्षी नेताओं की नींद
मोदी सरकार के इस साहसिक फैसले पर पूरे देश में राजनीति हो रही है। युवाओं को भड़काया और आगजनी के लिए उकसाया जा रहा है, जबकि तमाम सेना विशेषज्ञ और बुद्धिजीवी मोदी सरकार की अग्निपथ योजना की खुले दिल से प्रशंसा कर रहे हैं।
देश तरक्की करे, विकास की नई ऊचांइयों पर पहुंचे। देश में खुशहाली आए। यह बातें तो अक्सर नेताओं से सुनने को मिल जाती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि किसी भी पार्टी को देश की चिंता नहीं है। सभी दलों का नेतृत्व इसी ताल-तिकड़म में लगा रहता है कि किसी भी तरह से सत्ता पर काबिज हो जाएं। इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। जनता को बरगलाया-भड़काया जाता है। सरकार के हर फैसले पर उंगली उठाई जाती है। चाहे यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक सरोकारों अथवा राष्ट्रहित से जुड़ा हो, विरोधी दलों के नेता सरकार के किसी भी फैसले पर उसके साथ खड़े नजर नहीं आते हैं। इसीलिए तो उस नागरिकता सुरक्षा कानून के खिलाफ लोगों को भड़काया जाता है जिस कानून का देश की जनता से कोई सरोकार ही नहीं होता है। वहीं उन कृषि सुधार कानून को भी रद्द करने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया जाता है, जिसकी मांग पूरे देश में लम्बे समय से की जा रही होती है।
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अब तो सरकार ही नहीं न्यायपालिका के फैसलों पर भी सवाल खड़े किए जाने का चलन-सा चल पड़ा है। बाबरी मस्जिद/रामजन्म भूमि विवाद के समय यह देखा गया था तो ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने का मामला हो या फिर एक बार में तीन तलाक, हिजाब पर अदालत का फैसला, सब पर प्रश्नचिन्ह लगाया जाता है। इतना ही नहीं समाज का एक धड़ा तो आतंकवादियों को सजा सुनाए जाने पर भी हंगामा खड़ा कर देता है। उसे हिन्दुस्तान लिंचिस्तान नजर आता है। बीजेपी की एक प्रवक्ता के विवादित बयान पर पूरे देश को हिंसा की आग में झोंक दिया जाता है, लेकिन उस मौलाना के खिलाफ मुंह नहीं खोला जाता है, जिसने नुपूर शर्मा के अराध्य देवी-देवताओं को गाली देकर उसे (नुपूर को) पैगम्बर साहब के खिलाफ विवादित बयान देने के लिए उकसाया था। आज राहुल गांधी जैसे नेताओं द्वारा विदेश में जाकर देश की बेइज्जती की जाती है। जांच एजेंसियां जब अपराधियों पर भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करती हैं तो सड़क पर उधम काटा जाता है। इसकी नई बानगी तब देखने को मिली जब ईडी ने नेशनल हेराल्ड घोटाले के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया। कांग्रेसियों ने इसके विरोध में जिस तरह से सत्याग्रह के नाम पर शर्मनाक तरीके से देश को ‘जलाया’ उसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है। अब मोदी सरकार की तीनों सेनाओं में भर्ती की नई योजना अग्निपथ के विरोध में कई राज्यों में आगजनी और लूटपाट की जा रही है।
दरअसल, यह सब अचानक नहीं हो रहा है। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है भारतीय जनता पार्टी का देश में बढ़ता जनाधार। नरेन्द्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना भी कई दलों और एक विशेष समुदाय के लोगों को रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस सहित वह तमाम राजनैतिक दल जिन्होंने देश की जनता को आपस में बांट और लड़ाकर लम्बे समय तक देश-प्रदेश में राज किया, खासकर तुष्टिकरण की सियासत को बढ़ावा दिया। मोदी के दिल्ली के तख्त पर बैठने के बाद इन लोगों की जातिवादी राजनीति पर ग्रहण लग गया है। अब कांग्रेस सरकारों की तरह हिन्दुओं के हत्यारे यासीन मलिक जैसे अलगाववादियों की शान में कसीदे नहीं पढ़े जाते हैं, बल्कि उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई जाती है। अखिलेश सरकार की तरह आतंकवादियों से मुकदमे वापस लेने की बात नहीं होती है। वैसे भी मोदी सख्त फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। पूरी दुनिया में उनकी वजह से देश का सम्मान बढ़ा है। यह बात कई दलों के नेताओं को कांटे की तरह चुभ रही है। यह वह नेता हैं जिनकी राजनीति मोदी के चलते हाशिये पर पहुंच गई है। मोदी के सहारे बीजेपी ने कई प्रदेशों में भी अपनी सरकारें बना ली हैं। डेढ़ दर्जन से अधिक राज्यों में बीजेपी की सरकार है या फिर वह सरकार का हिस्सा है। जहां भी बीजेपी की सरकार है, वहां विपक्ष अवरोध खड़ा करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता है।
तीनों सेनाओं में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ का विरोध भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। मोदी सरकार के इस साहसिक फैसले पर पूरे देश में राजनीति हो रही है। युवाओं को भड़काया और आगजनी के लिए उकसाया जा रहा है, जबकि तमाम सेना विशेषज्ञ और बुद्धिजीवी मोदी सरकार की अग्निपथ योजना की खुले दिल से प्रशंसा कर रहे हैं, लेकिन विपक्ष अग्निपथ के खिलाफ अराजकता पर उतर आया है। पहले राहुल गांधी ने सरकार की अग्निपथ योजना पर सवाल खड़े किए तो उसके बाद बसपा और सपा नेता भी सामने आ गए। अग्निपथ योजना के खिलाफ पहले बसपा प्रमुख मायावती ने अग्निपथ स्कीम पर सवाल खड़ा किया। इसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अग्निपथ योजना पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा है कि ‘अग्निपथ’ से पथ पर अग्नि न हो, यानी सड़कों पर आग न लगे, इसका ध्यान रखा जाए। अखिलेश यादव ने कहा है कि देश की सुरक्षा को लेकर शॉर्ट टर्म नीतियां नहीं बननी चाहिए। सपा अध्यक्ष ने ट्वीट कर कहा है कि देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है।
अग्निपथ की आग से उत्तर प्रदेश भी झुलसने लगा है। बलिया में प्रदर्शनकारियों के साथ कुछ उपद्रवियों ने स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों में जमकर तोड़फोड़ की। फिर ट्रेन को भी आग के हवाले कर दिया। यहां पत्थरबाजी भी की गई। इसके बाद वाराणसी में भी युवा उग्र हो गए। कई युवाओं को पुलिस ने हिरासत में लिया है। जौनपुर में युवाओं ने हाईवे जाम कर प्रदर्शन किया। कुशीनगर में अग्निपथ के विरोध में रेलवे ट्रैक पर उतरे लोगों ने छपरा से आ रही पैसेंजर ट्रेन को रोक लिया। रेलवे ट्रैक पर उतर कर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। जिले के बड़े पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे। एहतियात के तौर पर तमकुहीरोड स्टेशन पर भी भारी फोर्स तैनात की गई। ग्रेटर नोएडा में भी केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के खिलाफ जेवर में युवाओं ने हल्ला बोला। यमुना एक्सप्रेस वे पर अराजक तत्वों ने ट्रैफिक को दोनों तरफ से जाम कर वाहनों की रफ्तार थाम दी।
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उधर, केंद्र सरकार द्वारा सेना में चार साल की भर्ती के लिए घोषित की गई अग्निपथ योजना के विरोध में देश भर में युवाओं के प्रदर्शन को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया है कि अग्निवीरों को यूपी सरकार पुलिस व अन्य सेवाओं में वरीयता देगी। मुख्यमंत्री योगी ने ट्वीट कर कहा कि युवा किसी के बहकावे में न आएं। अग्निपथ योजना युवाओं के जीवन को नए आयाम प्रदान करने के साथ ही भविष्य को स्वर्णिम आधार देगी। उन्होंने ट्वीट किया कि युवा साथियों, अग्निपथ योजना आपके जीवन को नए आयाम प्रदान करने के साथ ही भविष्य को स्वर्णिम आधार देगी। आप किसी बहकावे में न आएं। मां भारती की सेवा हेतु संकल्पित हमारे अग्निवीर राष्ट्र की अमूल्य निधि होंगे व उत्तर प्रदेश सरकार अग्निवीरों को पुलिस व अन्य सेवाओं में वरीयता देगी।
-संजय सक्सेना
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