जो मुख्यमंत्री खुद अपने प्रदेश को नहीं संभाल पा रहे वो योगी से हिसाब मांग रहे हैं

yogi adityanath
ANI

प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत के दौरान मौत हो जाने के मामले ने उत्तर प्रदेश की सियासत को गर्मा दिया है। भाजपा विरोधी दलों को प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोलने के लिए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।

उत्तर प्रदेश अतीक के आतंक से मुक्त हुआ तो विपक्षी नेताओं में खलबली मच गयी है। उत्तर प्रदेश की देश में सबसे सुदृढ़ कानून व्यवस्था वाले राज्य की छवि बनना पहले ही कई लोगों को नहीं भा रहा था। ऐसे में पुलिस के सुरक्षा घेरे में होने के बावजूद अतीक और उसके भाई अशरफ की मौत होने से विरोधियों को भाजपा पर निशाना साधने के लिए बड़ा मुद्दा मिल गया है। ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, भगवंत सिंह मान और अरविंद केजरीवाल जैसे गैर भाजपाई मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति चरमराने का आरोप लगा कर योगी सरकार का इस्तीफा तक मांग रहे हैं।

यह स्थिति तब है जब ममता बनर्जी अपने राज्य में हिंसा की घटनाओं और सत्तारुढ़ पार्टी के नेताओं को भ्रष्टाचार करने से नहीं रोक पा रही हैं, इसके अलावा अशोक गहलोत के राज में राजस्थान की कानून व्यवस्था पर समय समय पर सवाल उठते ही रहते हैं साथ ही गहलोत अपनी पार्टी के आंतरिक संघर्ष के चलते शासन व्यवस्था पर ठीक से ध्यान भी नहीं केंद्रित कर पा रहे हैं। यही नहीं, छत्तीसगढ़, पंजाब और झारखंड के हालिया बवाल इन राज्यों की सरकारों की क्षमता पर गंभीर सवाल उठाते हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पूरी सरकार ही भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में है। साथ ही नीतीश कुमार के राज में अपराध का ग्राफ भी बढ़ा है और शराबबंदी होने के बावजूद जहरीली शराब का कारोबार भी पूरे उफान पर है जिसके चलते लगातार लोगों की जान जा रही है। यही नहीं, नीतीश कुमार की सहयोगी पार्टी आरजेडी के सभी शीर्ष नेता भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों से घिरे हैं।

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इसके अलावा अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, महबूबा मुफ्ती आदि भी योगी सरकार की आलोचना कर रहे हैं। लेकिन कौन भूल सकता है कि माफियाओं को सांसद, विधायक बनने का चस्का समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने ही लगाया। राहुल और प्रियंका का अतीक के मरने पर दुख इसलिए भी स्वाभाविक लगता है क्योंकि साल 2008 में मनमोहन सिंह की सरकार बचाने के लिए गंभीर आपराधिक मामलों में जेल में बंद अतीक अहमद समेत छह लोगों को फर्लो पर रिहा किया गया था ताकि वह अपने वोट से कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार को बचा सकें। अतीक ने मनमोहन सिंह की सरकार बचाई थी इसलिए कांग्रेस का गुस्सा जायज लगता है। जहां तक महबूबा मुफ्ती की बात है तो उनकी तो विचारधारा ही अलगाववादी समर्थक की रही है इसलिए योगी सरकार पर उनका बरसना भी स्वाभाविक है।

लेकिन दूसरी ओर, इन हमलों से जरा भी विचलित हुए बिना और इतनी बड़ी घटना हो जाने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को जरा भी बिगड़ने नहीं दिया। शनिवार को वह पूरी रात जागकर स्थिति पर नजर रखे रहे और रविवार तथा सोमवार को भी आला अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर प्रदेश के हालात को नियंत्रण में बनाये रखा। योगी जानते हैं कि जनता 'योगी है तो यकीन है' नारे पर भरोसा करती है और उस भरोसे को बनाए रखना उनकी जिम्मेदारी है।

-नीरज कुमार दुबे

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