लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले नड्डा के बारे में बड़ा फैसला करने जा रही है भाजपा
भाजपा की सर्वोच्च संस्था संसदीय बोर्ड नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने का समर्थन कर सकता है। नड्डा अपने पद पर बने रहेंगे इस बात के संकेत इससे भी मिल रहे हैं क्योंकि भाजपा की राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव अभी शुरू नहीं हुए हैं।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म होने जा रहा है लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें साल 2024 के लोकसभा चुनाव तक इस पद पर बरकरार रखा जा सकता है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि संगठन में निरंतरता बनाये रखने की जरूरत है क्योंकि लोकसभा चुनावों से पहले गुजरात, त्रिपुरा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
बताया जा रहा है कि भाजपा की सर्वोच्च संस्था संसदीय बोर्ड नड्डा का कार्यकाल बढ़ाने का समर्थन कर सकता है। नड्डा अपने पद पर बने रहेंगे इस बात के संकेत इससे भी मिल रहे हैं क्योंकि भाजपा की राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव अभी शुरू नहीं हुए हैं। पार्टी के नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले इसकी कम से कम आधी राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव होने चाहिए। हम आपको बता दें कि नड्डा से पहले भाजपा अध्यक्ष रहे अमित शाह को भी कार्यकाल विस्तार मिला था, क्योंकि पार्टी चाहती थी कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान पद पर बने रहें।
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हम आपको याद दिला दें कि साल 2019 में संसदीय चुनाव अमित शाह की अध्यक्षता में ही भाजपा ने लड़े थे और चुनाव में एक बार फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बनी थी। गुजरात के गांधीनगर संसदीय सीट से पहला लोकसभा चुनाव लड़े अमित शाह ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। तभी माना जा रहा था कि वह सरकार में शामिल होंगे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल वाली सरकार का गठन होने पर अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री बन गये थे जिसके बाद भाजपा में संगठनात्मक चुनाव हुए और नड्डा को निर्विरोध पार्टी अध्यक्ष चुन लिया गया था। हिमाचल प्रदेश से संबंध रखने वाले नड्डा मोदी के विश्वासपात्र माने जाते हैं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेताओं के साथ भी उनके मधुर संबंध हैं। ऐसा माना जाता है कि नड्डा ने भाजपा में उस संगठनात्मक गति और गतिशीलता को बनाए रखा है जो उन्हें उनके पूर्ववर्ती से विरासत में मिली थी।
नड्डा को पार्टी के विस्तार के लिए समन्वय और रणनीतियों को लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है। भाजपा ने नड्डा के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण चुनावी सफलताएं हासिल की हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और असम जैसे राज्यों में सत्ता बरकरार रखना और बिहार में प्रभावशाली प्रदर्शन करना शामिल है। हालांकि, उनके नेतृत्व में पार्टी को पिछले साल पश्चिम बंगाल में हार का सामना करना पड़ा था। नड्डा के समक्ष जो बड़ी चुनौतियां हैं उनमें गुजरात में पिछले 27 सालों से जारी भाजपा का शासन बरकरार रखने की चुनौती और अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा को लगातार दूसरी बार सत्ता में लाने की चुनौती भी है। देखना होगा कि एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस के सत्ता में आने का मिथक उत्तराखण्ड की तरह क्या हिमाचल प्रदेश में भी टूट पाता है? इसके अलावा त्रिपुरा और कर्नाटक में भी दोबारा भाजपा को सत्ता में लाने की चुनौती नड्डा के सामने है।
बहरहाल, भाजपा संसदीय बोर्ड देख रहा है कि नड्डा ने कोरोना काल में विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से संगठन को गतिमान बनाये रखा और चुनावी तैयारियों के लिहाज से भी वह संगठन को सदैव गतिशील बनाये रखते हैं, चुनाव छोटा हो या बड़ा...नड्डा सभी को गंभीरता से ले रहे हैं। यही नहीं 2024 के लोकसभा चुनावों के लिहाज से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कहां-कहां रैलियां कराना सही रहेगा इसकी योजना भी वह बना चुके हैं। कह सकते हैं कि नड्डा के कार्यकाल में भाजपा अन्य सभी दलों के मुकाबले ज्यादा सक्रिय नजर आ रही है और विपक्ष के किसी भी आरोप पर त्वरित और तथ्यों से भरी प्रतिक्रिया देना पार्टी की नई पहचान बन चुकी है।
-नीरज कुमार दुबे
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